परिषदीय स्कूलों के निलंबित टीचर्स को उनकी पसंद के विद्यालयों में तैनाती अब नहीं हो सकेगी. ऐसा मामला मिलने पर सीधे बीएसए जिम्मेदार होंगे. महानिदेशक ने इस तरह के मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट निर्देश दिया है कि टीचर का निलंबन बहुत आवश्यक होने पर अंतिम विकल्प के रूप में ही किया जाना चाहिए. साथ ही निलंबित टीचर्स के खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही को एक महीने की अवधि में पूरा करना जरूरी है. अनुशासनिक कार्यवाही एक महीने में पूरी नहीं होने पर बीएसए के साथ ही खंड शिक्षाधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी.


गोरखपुर (ब्यूरो). वर्तमान में जनपद में 15 टीचर निलंबित हैं। जिनके विरुद्ध जांच चल रही है। महानिदेशक विजय किरन आनंद के पांच जुलाई तक एक माह या उससे अधिक समय से लंबित मामलों को कारण सहित ब्योरा मांगें जाने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने तय प्रारूप पर इसकी सूचना प्रेषित कर दी है। बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि महानिदेशक के निर्देश के क्रम में जिले में निलंबित चल रहे टीचर की सूची भेज दी गई है।शिकायत पर उठाया गया कदम
शिकायत मिलने पर कि परिषदीय टीचर्स को मनपसंद जगह तैनाती के लिए पहले उन्हें निलंबित किया जाता है। फिर कुछ दिन बाद बहाल कर उनके पसंद के स्कूल में नियुक्ति दे दी जाती है के बाद महानिदेशालय ने यह कदम उठाया है। बीएसए को निर्देश दिया गया है कि निलंबन के पश्चात टीचर की पदस्थापन अधिक आवश्यकता वाले, टीचर विहीन या एकल शिक्षक वाले स्कूलों में ही की जाए।

Posted By: Inextlive