सिटी के एक फेमस स्कूल में क्लास 4 में पढऩे वाले बच्चा हाफ इयर्ली एग्जाम में फेल हो गया. पैरेंट्स टीचर्स मीटिंग में जब माता-पिता को कॉपी दिखाई गई. तब पता चला कि बच्चे ने आंसर बुक में कोरियन भाषा में उत्तर लिखा था.


गोरखपुर (ब्यूरो)।हैरान परेशान पैरेंट्स ने बताया कि उनका बच्चा मोबाइल पर कोरियन बैंड को देखता सुनता है, लेकिन इस कदर उसपर बैंड का खुमार चढ़ा है, वह कॉपी देखने पर पता चला है। वहीं साइकियाट्रिस्ट की मानें टीएन एजर्स डिल्यूजन ऑफ ग्रैंडियोर यानी भ्रम रोग का शिकार हो रहे हैं। इसका रीजन कोरियन बैंड भी है। ब्वॉयज और गर्ल हुए दिवानेअगर आपके भी घर में बच्चे बीटीएस यानी बैंगटन मोयंडन और ब्लैक पिंक साउथ कोरियाई बैंड को देखना पसंद करते हैं। अगर ऐसी स्थिति है तो आपको सावधान होने की जरूरत है। ये बता दें कि टीएन एजर्स ब्वॉयज बीटीएस और गल्र्स की ब्लैक पिंक बैंड के प्रति पागलों की तरह दिवानापन बढ़ता जा रहा है। ब्वॉयज और गल्र्स खुद को कोरियन बैंड का हिस्सा महसूस करने लग रहे हैं, उसी तरह का पहनावा और गाना गाने का प्रयास कर रह रहे हैं। टैलेंट नहीं फिर भी पागलपन
साइकियाट्रिस्ट की मानें तो कोरियन बैंड में जो भी पात्र हैं, वह सभी बेहद कम एज के हैं। उनके टैलेंट की वजह से उनकी फैन फॉलोविंग तेजी से देश विदेश में बढ़ रही है। वहीं स्कूल में पढऩे वाले टीएन एजर्स जो बैंड को सुन रहे हैं। उनके अंदर ऐसी फीलिंग आ रही है कि टैलेंट ना होते हुए भी वह खुद एक बड़ा स्टार या हस्ती समझने लग रहे हैं। इसी को डिल्यूजन ऑफ ग्रैंडियोर भ्रम रोग कहा जाता है।बच्चों पर सीरियल का भी साइड इफेक्टसाइकियाट्रिस्ट की मानें तो टीवी पर कई सीरियल, बिग बॉस में शामिल पात्र जो नई एज के हैं। उन्हें भी टीन एजर्स बेहद पंसद कर रहे हैं। लगातार उन्हें देखते रहने के कारण वह उसी तरह की हरकतें भी करने लग रहे हैं। ऐसे केस अब आने लगे हैं।ध्यान दें पैरेंट्स । बच्चों पर पूरा ध्यान दें। छोटे बच्चे को देर तक अकेला ना छोड़ें। बच्चा मोबाइल पर लगा है तो चेक करें वह क्या देखता है। किसी भी एक चीज की लत ठीक नहीं है। अगर बच्चा अधिक समय तक बीटीएस, ब्लैक पिंक देख रहा है तो रोकें। यह लत नहीं छूट रही है तो साइकियाट्रिस्ट से दिखाएं। लंबे समय तक यह बीमारी रहने पर ठीक होने की संभावना कम हो जाती हैबीटीएस - साउथ कोरियाई ब्वॉयज का बैंडब्लैक पिंक - साउथ कोरियाई गल्र्स बैंड


बीटीएस और ब्लैक पिंक के कलाकार में टीएन एजर्स खुद को देखने लग रहे हैं। उन्हीं की तरह हरकतें, कपड़े, स्टाइल बनाने लग रहे हैं। यह खतरे की घंटी है। बच्चों को समझना होगा खुद का टैलेंट, नहीं तो आगे चलकर नकल करने के चक्कर में झटका ही लगेगा। जो बच्चे के दिमाक पर भी गहरा आघात कर सकता है। - डॉ। आकृति पांडेय, साइकियाट्रिस्ट

Posted By: Inextlive