कानपुर में हुए ई-बस हादसे के बाद गोरखपुर में भी इलेक्ट्रिक बस ड्राइवर्स की टेस्ट ट्रेनिंग शुरू हो गई है. ई-बस चार्जिंग स्टेशन महेसरा में 9-9 ड्राइवर्स की 2 दिनी ट्रेनिंग के साथ लिखित टेस्ट भी लिए जा रहे हैं. टेस्ट में पास होने वाले ही ड्राइवर्स ई-बस का संचालन कर सकेंगे. हालांकि रिजल्ट को लेकर ड्राइवर्स के दिल की धड़कनें बढ़ गई हैं कि पास होंगे या फेल. फेल होने वाले ड्राइवर्स का बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. साथ ही ई-बस ड्राइवर्स के ड्राइविंग लाइसेंस भी जांच के आरटीओ भेजे गए हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। ई-बसों के संचालन के लिए 28 ड्राइवर्स की भर्ती की गई है। बसों का संचालन न रुके। इसके लिए 9-9 ड्राइवर्स की की टीम बनाकर टेस्ट लिए जा रहे हैं। टेस्ट में सफल होने के बाद ही उनसे सड़क पर बसों का संचालन कराया जाएगा। गोरखपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लि। के नोडल अधिकारी महेंद्र पांडेय ने बताया, ड्राइवर्स को महेसरा ई बस डिपो में ही एक्सपर्ट के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है। बस के तकनीकी के बारे में प्रॉपर डिटेल्स, इलेक्ट्रिक बस चलाने के लिए कौन-कौन यंत्र बस के अंदर लगाए गए हैं। वहीं, आपातकालीन स्थिति में कैसे सावधानी बरती जाए, आदि के बारे में टिप्स दिए जा रहे हैं। 15 ई-बसों का संचालन, 50 किमी। से अधिक गति नहीं
पिछले साल 29 दिसंबर को इलेक्ट्रिक बसों को नगर निगम के नवीन सदन भवन से हरी झंडी दिखाई गई थी। इसके दूसरे दिन से ही ई-बसों का संचालन शहर के विभिन्न रूटों पर शुरू कर दिया गया। पहले 25 ई-बसों की चलाने के निर्देश दिए थे, लेकिन गोरखपुर में 15 बसें ही चलाई गईं। हालांकि, नगर निगम का कहना है कि धीेरे-धीरे बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी। बसों की स्पीड 50 किलोमीटर प्रतिघंटा पर लॉक की गई है। इससे अधिक गति से ड्राइवर बसों की नहीं चला सकेंगे। इलेक्ट्रिक बस के ड्राइवर्स के लाइसेंस का हो रहा सत्यापन ई-बसों का संचालन करने वाले ड्राइवर्स का हैवी ड्राइविंग लाइसेंस आरटीओ में सत्यापन के लिए भेजे गए हैं। आरआई राघव कुशवाहा ने बताया, एक-एक कर ड्राइवर्स के हैवी ड्राइविंग लाइसेंस का सत्यापन किया जा रहा है। सत्यापन होने के बाद भी पता चल सकेगा कि कौन हैवी वाहन चलाने में सक्षम है। ड्राइवर्स के चयन के लिए ये मानक 1. ड्राइवर की ऊंचाई पांच फीट तीन इंच से कम नहीं होनी चाहिए। 2. ड्राइवर के पास पांच वर्ष पुराना हैवी व्हीकल कॉमर्शियल लाइसेंस होना चाहिए। ड्राइवर का आठवीं पास होना जरूरी है। ड्राइवर का चरित्र प्रमाण पत्र व हेल्थ प्रमाण पत्र भी होना चाहिए। 3. ई-बसों का संचालन पीएमआई से संबंधित एजेंसी के जिम्मे हैं। एजेंसी ड्राइवर्स की भर्ती से लेकर ई-बसों की देखरेख का काम करती है। 4. गोरखपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लि। ई-बसों के शेड्यूल के साथ किराये का कलेक्शन करती है। बसों के रूट निर्धारित करती है। ड्राइवर्स को दे रहे ये टिप्स - ई-बस के बारे में प्रॉपर जानकारी। - इलेक्ट्रिक बस संचालन करने के लिए कौन से यंत्र इस्तेमाल करना चाहिए।- रोड सेफ्टी, रोड साइड-ट्रैफिक सिग्नल के बारे में।


- ग्रुमिंग क्लीनिंग-अपने आप को साफ-सुथरा तैयार करना।- कस्टमर्स सर्विस-पैसेंजर्स से कैसा व्यवहार करें।- डिफेंस ड्राइविंग-बस का संचालन करते समय सावधानी कहां-कहां बरती जाए।- फटिक मैनेजमेंट-बस का संचालन करते समय ड्राइवर को यदि थकान होती है तो इसे कैसे दूर करें।- स्पीड नियंत्रण करना, हमेशा बस की सीमित दूरी होनी चाहिए।- आपाकालीन की स्थिति में समझदारी से काम करना आदि। वर्जन ड्राइवर्स की टेस्ट टे्रनिंग कराई जा रही है। यह ट्रेनिंग एक हफ्ते तक चलेगी। इसके बाद उनका रिजल्ट आउट होगा। तभी पता चल सकेगा कि कौन ड्राइवर बस चलाने में एक्सपर्ट है। साथ ही उनके हैवी लाइसेंस का आरटीओ में सत्यापन कराया जा रहा है। पवन कुमार, साइड इंचार्ज पीएमआई फैक्ट फाइल 3 रूट पर दौड़ रही हैं इलेक्ट्रिक बसें।28 ड्राइवर ई-बसों को चला रहे हैं।15 बसें फिलहान संचालन में हैं। 10 बसें संचालन के लिए और आनी हैं।

Posted By: Inextlive