-शहर के ट्रैवल एजेंट कर रहे प्राइवेट कार की बुकिंग

-प्राइवेट कार से दुर्घटना होने पर पैसेंजर्स को नहीं मिलेगा लाभ

-रास्ते में प्राइवेट कार वाले करते मनमानी

GORAKHPUR: शहर में आरटीओ की सुस्ती का फायदा उठाकर धड़ल्ले से प्राइवेट गाडि़यों का यूज कामर्शियल में किया जा रहा है। ये गाडि़यां कम से कम लाखों रुपए का चूना हर महीने आरटीओ को लगा रही हैं। इसके बाद भी अधिकारी या चेकिंग टीम इन गाडि़यों पर कार्रवाई नहीं कर सकी है। हालत यह है कि शहर में हर गली और कॉलोनियों में टूर ट्रैवल्स का कारोबार प्राइवेट गाडि़यों के भरोसे चमक रहा है। जबकि, केवल कामर्शियल कार से ही पैसेंजर्स ढोने का नियम है। ऐसा इसलिए भी है कि दुर्घटना होने पर कामर्शियल गाडि़यों के हिसाब से ही बीमा या दुर्घटना लाभ मिलता है। प्राइवेट की सवारी से पैसेंजर्स इस लाभ से भी वंचित हो सकते हैं।

खड़ी रहती हैं दर्जनों प्राइवेट कारें

एक-एक ट्रैवल्स शॉप के इर्द गिर्द आप दर्जनों प्राइवेट कार खड़ी देख सकते हैं। जैसे ही ट्रैवल एजेंट के पास किसी कस्टमर का कार बुकिंग के लिए कॉल आती है। तब इन्हीं गाडि़यों को वो कस्टमर्स के पास रवाना करता है। एक परिवार के लोग होने की वजह से रास्ते में कहीं भी इन गाडि़यों को कोई चेक नहीं करता है। बड़े आराम से यह सरकार को चूना भी लगाते हैं और पब्लिक को भी ठगते हैं।

सड़क पर प्राइवेट की मनमानी

शहर में कई स्थान हैं जहां पर लाइन से प्राइवेट कार पूरे दिन खड़ी रहती हैं। यह प्राइवेट गाडि़यों में मौजूद ड्राइवर इतना मनबढ़ होते हैं कि इनकी जगह पक्की होती है। रोज एक ही जगह पर गाड़ी खड़ी करते हैं। कॉर्मल और स्टेशन के आस-पास तो पूरा इनका कब्जा रहता है। मजाल कि कोई आम आदमी इन जगहों पर गाड़ी लगा सके। वहीं बुकिंग के बाद कई केस में तो पैसे तो ले लेते हैं लेकिन रास्ते में इनकी मनमर्जी चलती है। कहीं भी पैसेंजर्स को छोड़कर ये भाग भी जाते हैं। टैक्सी में ना होने की वजह से पैसेंजर्स भी इनका कुछ नहीं कर पाते हैं।

आरटीओ में आती कम्प्लेन

आए दिन कई लोग प्राइवेट कार बुक करके परेशान होते हैं। लेकिन कम्प्लेन कहां करें जब ये बात किसी से पुछते हैं। तब उन्हें अपनी गलती अहसास होता है। अभी हाल ही में हरिशचंद्र सिंह ने एक कम्प्लेन आरटीओ में कराई है। कम्पलेन लेटर में लिखा है कि उन्होंने फतेहपुर के लिए स्वीफ्ट डिजायर कार बुक कराई थी। 22 अक्टूबर को बुकिंग वाली कार से फतेहपुर के लिए निकले। रास्ते में फैजाबाद के पास ड्राइवर उन्हें उतारकर भाग गया। जबकि इसका पैसा भी उन्होंने पेड किया था। उन्होंने प्राइवेट कार के कामर्शियल यूज पर भी सवाल उठाया है।

कर रहे टैक्स चोरी

कार को टैक्सी परमिट के लिए हर तीन माह पर करीब 39 सौ रुपए चुकाने पड़ते हैं। इसी को बचाने के लिए गाड़ी मालिक टैक्सी में कार पास नहीं कराते हैं। इसी तरह शहर में करीब सैकड़ों गाडि़यों बिना परमिट के फर्राटा भर रही हैं। जिनसे लाखों रुपए की चपत हर माह आरटीओ को लग रही है।

वर्जन-

कम्प्लेन मिली है। कार का पता किया जा रहा है। कोई भी प्राइवेट कार से अगर व्यापार कर रहा है तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी।

डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन

Posted By: Inextlive