- लंगर के साथ हजरत इमदाद अली शाह के उर्स-ए-पाक का समापन

GORAKHPUR: तुर्कमानपुर स्थित दरगाह पर हजरत इमदाद अली शाह रहमतुल्लाह अलैह के उर्स-ए-पाक के दूसरे दिन रविवार को जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ। कारी सनाउर्रहमान व मो। अफरोज कादरी ने नात-ए-पाक पेश की। सदारत करते हुए मुफ्ती अख्तर हुसैन ने कहा कि कुरआन-ए-पाक में सभी लोगों के लिए रौशनी, हिदायत, हिकमत और शिफा है। यह किताब जिंदगी गुजारने का तरीक बताती है। जिंदगी का संविधान व नियम कानून है। आसमानी कानून है। यह किताब अच्छे बुरे में फर्क व तमीज करती है। यह अल्लाह की किताब है। कलाम भी है और सिफत भी। इसके एक-एक हुरूफ पढ़ने पर दस नेकियां मिलती हैं। शरीअत के खिलाफ कोई काम न करें। झूठ और गीबत से परहेज करें। अपने बच्चों को दीनी तालीम जरूर दिलाएं।

तिलावत करें और उसको समझें

विशिष्ट अतिथि मौलाना मो। असलम रजवी ने कहा कि मुसलमानों को दोनों आलम की कामयाबी हासिल करनी है तो कुरआन और हदीस पर पूरी तरह अमल करें। आखिरत की तैयारी करें। नमाजों को उनके वक्तों पर अदा करने की पाबंदी करें। कुरआन-ए-पाक का हक यह है कि उसकी तिलावत की जाए, उसको समझा जाए, उस पर अमल किया जाए, उसके पैगाम को तमाम इंसानियत तक पहुंचाया जाए। विशिष्ट अतिथि मुफ्ती मो। अजहर शम्सी ने नमाज, रोजा, हज और जकात अदा करने और पैगंबर-ए-आजम की तालीम पर पूरी तरह से अमल करने की बात कही। आखिर में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। चादरपोशी हुई। कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। अकीदतमंदों में लंगर बांटा गया। उर्स में मो। इस्लाम उर्फ बाबूल, अबरार अहमद, मनोव्वर अहमद, समीर अहमद, मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही, हाफिज अजीम अहमद नूरी, मेराज अहमद, मो। सलमान, मो। शहजादे, अलाउद्दीन निजामी, मास्टर अरशद हुसैन, मुंशी रजा, सफीक अहमद, रमजान अली, मो। अब्दुस्समद, हाजी नबी अहमद, शाह फैसल, तौहीद अहमद, मो। अनस कादरी, हाफिज मो। आरिफ, शुएब अहमद, मौलाना इस्हाक, मौलाना मो। दानिश, उबैद रजा, नूर मोहम्मद दानिश आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive