- चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में मना सूफी हजरत मखदूम अशरफ जहांगीर का उर्स

- 23 साल की उम्र में सिमनान छोड़ हिन्दुस्तान आए

GORAKHPUR: चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में गुरुवार को फेमस सूफी हजरत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी अलैहिर्रहमां के उर्स-ए-पाक पर फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी हुई। शीरीना बांटी गई। मौलाना अहमद हसन ने इस मौके पर कहा कि अल्लाह के वलियों ने अपना पूरा जीवन अल्लाह और मानवता की सेवा में गुजार कर दीन व दुनिया दोनों में अपना नाम रौशन कर लिया। उन्हीं वलियों में एक महान वली का नाम हजरत मखदूम सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानी है। जो 708 हिजरी (1387 ई.) में सिमनान (ईरान का एक मुल्क) के बादशाह के घर पैदा हुए। आपके पिता हजरत सैयद मो। इब्राहीम सिमनान के इंसाफ पसंद बादशाह थे। मां हजरत खदीजा बेगम मलिका-ए-वक्त होने के बावजूद बड़ी नेक सीरत महिला थीं। मखदूम अशरफ ने चौदह साल की उम्र में तमाम इल्म हासिल कर लिया। पंद्रह साल की उम्र में बादशाह बने।

मोहब्बत व भाईचारे की दी तालीम

कुछ समय हुकूमत करने के बाद अपने छोटे भाई सुल्तान मोहम्मद आरफ को बादशाहत सौंप कर 23 साल की उम्र में सिमनान छोड़ हिन्दुस्तान आ गए और मोहब्बत, भाईचारा व एक दूसरे की मदद करने की तालीम दी। 28 मुहर्रम 808 हिजरी (1487 ई.) में आपने दुनिया को अलविदा कहा। उप्र के किछौछा शरीफ (अम्बेडकर नगर) में आपकी मजार है। जहां जिस्मानी व रूहानी तौर पर लोगों को शिफा मिलता है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत व नात-ए-पाक पेश करने के बाद हाफिज महमूद रजा कादरी ने कहा कि मखदूम अशरफ की शख्सियत इल्म, अमल और इश्क का मजमुआ (मिलाप) थी। आप अपने दौर के माहिर धर्मगुरू थे। इल्म-ए-दीन से आपको गहरा लगाव था।

करने लगे लोगों की खिदमत

आपने बादशाहत छोड़ने के बाद सबसे पहले फकीरी ले ली और उसके बाद सबसे पहले अपना देश ही छोड़ दिया और पैदल ही विश्व यात्रा पर निकल पड़े। मखदूम अशरफ तीस साल तक दुनिया के तमाम देशों में पैदल ही घूमते रहे और दीन-ए-इस्लाम का प्रचार करते रहे। अंत में वे पश्चिम बंगाल में मालदा जिले में स्थित पांडवा के हजरत अलाउल हक पंडवी को अपना पीर बना लिया और लोगों की खिदमत करने लगे। मखदूम अशरफ का सूफियाना व्यवहार कुछ ऐसा था कि उनके पास केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि हिन्दू भी काफी संख्या में जाते थे। मखदूम अशरफ बिना किसी भेदभाव के लोगों की समस्या का समाधान करते थे। इस दौरान हाफिज सैफ, हाफिज शारिक, हाफिज इमरान, मो। मुख्तार अहमद, साद अहमद, ताज मोहम्मद, यासीन, जैद अली आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive