चुनाव आचार संहिता लागू होते ही पुलिस-प्रशासन ने डंडा चलाना शुरू कर दिया. शहर में जगह-जगह लगी नेताओं की होर्डिंग्स उतार दी. गवर्नमेंट की उपलब्धियां बताने वाले पोस्टर फाड़ दिए गए. आगे भी चुनाव खत्म होने तक ना तो ऐसे कोई पोस्टर लग पाएंगे और ना ही किसी के दरवाजे पर पार्टी विशेष का झंडा लहरा पाएगा.


गोरखपुर (ब्यूरो)। आयोग ने साफ कहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह से वर्चुअल प्रचार होगा। लोग अब पोस्टर, बैलेट, पंपलेट के बजाय मोबाइल और टैबलेट पर आंखें गड़ाए नजर आएंगे। इस चक्कर में प्रिंटिंग पे्रस का लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। वर्चुअल प्रचार की शर्त लागू होने से पुराने आर्डर भी कैंसिल हो गए हैं। तीन दर्जन से अधिक प्रिंटिंग प्रेस


विधान सभा चुनाव के भारी कमाई की आस होती है। शहर में तीन दर्जन से अधिक प्रिंटिंग प्रेस और फ्लैक्स प्रिंटर्स हैं, जिनके वहां प्रचार सामग्री बनवाने के लिए लाइन लगी रहती थी। इसके लिए लोगों ने पहले से कागज सहित अन्य मैटेरियल्स का इंतजाम कर लिया था। अब नई गाइडलाइंस के अनुसार फ्लैक्स, पोस्टर, हैंडबिल, गोल स्टीकर, कार्ड सहित अन्य की डिमांड ही खत्म हो गई। रैली पर रोक लगने से इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। बड़े नेताओं की रैली में खूब डिमांड रहती थी। लेकिन वर्चुअल रैली के चक्कर में सारी तैयारियों पर पानी फिर गया।पूर्व के चुनावों में प्रत्याशी एडवांस में झंडा, बैनर और स्टीकर बनवा लेते थे। इलेक्शन कमीशन ने जब से वर्चुअल प्रचार का निर्देश दिया है। तब से कारोबार प्रभावित हुआ है। इससे करीब 30 फीसदी मार्केट डाउन हुआ है। - राकेश अग्रवाल, सेक्रेटरी मास्टर प्रिंटर्स एसोसिएशन

वर्चुअल रैली और प्रचार के तरीके से ऑफसेट प्रिंटर्स का इलेक्शन में औसतन 10 लाख रुपए का नुकसान पहुंचा है। डिजिटल के जरिए लोग प्रचार कर रहे हैं। हम लोगों ने इलेक्शन के पूर्व ही कागज और फ्लैक्स सीट मंगा ली थी। - ओम प्रकाश, वाणी प्रिटिंग प्रेस विधान सभा चुनाव में अच्छी कमाई की संभावना में मैंने प्रिंटिंग प्रेस लगाया। वर्चुअल प्रचार होने से कागज और कपड़े पर छपी प्रचार सामग्री की आवश्यकता नहीं है। कर्मचारियों का खर्च भी नहीं निकल पाएगा। - दिवाकर सिंह, आरके प्रिंटर्स

Posted By: Inextlive