लापरवाह सिस्टम की भेंट चढ़ी जलनिकासी, 8 साल से चल रहा नालों का निर्माण

GORAKHPUR: जलभराव से किरकिरी झेल रहे गोरखपुर में अवरुद्ध जलनिकासी को लेकर जनप्रतिनिधि और अफसर आमने-सामने आ गए हैं। नगर भाजपा विधायक डॉ। राधामोहन अग्रवाल निर्माणाधीन नालों की डिजाइन पर जहां लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं। वहीं, अब नगर निगम के उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा ने मोहल्लों में जलभराव के लिए नाला निर्माण कर रहे पीडब्ल्यूडी और सीएंडडीएस को जिम्मेदार ठहराया है। इस पर अफसरों की सफाई है कि राजनीतिक कारणों और अतिक्रमण के अतिक्रमण के चलते नाला निर्माण में देरी हुई। खैर कुछ भी हो प्रदेश के पॉवर सेंटर गोरखपुर में जलभराव से 'शहर सरकार' की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या है मामला

शहर को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड को सड़क व नाला बनाने का काम मिला, लेकिन बीच-बीच में अवैध कब्जों की वजह से निर्माण कार्य मे देरी आई। पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदारों का कहना है कि नाले को बड़े नाले में जोड़ दिया है। उधर फातिमा रोड के कई स्थानों पर नाला निर्माण का काम अधूरा है। सीएंडडीएस की तरफ से सिघडि़या से तुर्रा नाले तक नाला बनाया जा रहा है। लेकिन समय पर बजट न मिलने और अतिक्रमण हटाने में देरी का रोना विभाग रोता रहा। आलम यह है कि समय पर निर्माण कार्य पूरा न होने के चलते इलाके के लोगों को जलभराव से जूझना पड़ा। शोरशराबा बढ़ा तो तत्काल 1500 मीटर कच्चे नाले की खुदाई करवाकर तुर्रा नाले से कनेक्ट किया। हालांकि, अभी चार प्वाइंट पर नाला को कनेक्ट नहीं किया जा सका है।

तकनीकी रूप से गलत है मेडिकल रोड का नाला: अग्रवाल

नगर विधायक डॉ। राधामोहन अग्रवाल ने कहा, मैं दो साल से कह रहा हूं कि मेडिकल रोड का नाला तकनीकी रूप से गलत है। जिस भी क्षेत्र में नाला होता है। वहां के आसपास का एरिया ऊंचाई पर होता है, लेकिन मेडिकल रोड का नाला ही आसपास के एरिया से 87 सेंटीमीटर से ढाई मीटर तक ऊंचा है। ऐसे में जलनिकासी कैसे होगी। अधिकारी गैर-जिम्मेदार हैं। पूर्व डीएम ने लिखित मिनट्स जारी किए थे और सुधार करने को कहा था। इन्होंने सिर्फ बिल बनाने के लिए शहर को डुबोने का काम किया। मैंने सड़क से लेकर सदन इस मामले को उठाया, पर अफसरों ने नियमों को दरकिनार कर नाले को बना दिया। यही हाल देवरिया नाले का है।

नाला बनाने में पीडब्ल्यूडी-सीएंडडीएस ने लगा दिए 8 साल: वर्मा

नगर निगम के उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा ने कहा, जहां-जहां जलभराव हो रहा है। यह जरूरी नहीं कि उसका जिम्मेदार सिर्फ नगर निगम है। इसकी जिम्मेदार कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस भी है। जिसने सिंघडि़या, खोराबार इंजीनियरिंग कॉलेज, देवरिया रोड नाला बनाने का कार्य किया, लेकिन उसे तुर्रा नाले में नहीं तोड़ा। वहीं, पीडब्ल्यूडी विभाग ने असुरन से मेडिकल कॉलेज तक नाला बनाया, लेकिन बड़े नाले में नहीं तोड़ा। दोनों विभागों ने नाला बनाने में आठ साल लगा दिए। जो भी पैसा खर्चा किया जा रहा है, उसकी वसूली इन विभागों से कराई जाए। नगर निगम ने कई बार संबंधित विभाग को पत्र लिखा है। कार्ययोजना तैयार हो रही है कि जनता को अगली बार कोई दिक्कत न होगी।

जल निगम और गैस पाइपलाइन कार्य के चलते निर्माण में व्यवधान

पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के एक्सईएन प्रवीण कुमार ने कहा, असुरन से खजांची तक 1.5 किलोमीटर नाले का निर्माण कराया जा रहा है। 400 करोड़ के बजट में फोरलेन, मुआवजा, नई पाइपलाइन, इलेक्ट्रिकल कार्य, डक्ट, नाला निर्माण आदि शामिल है। 2016 में निर्माण कार्य की स्वीकृति मिली थी। 2020 में दोबारा रिवाइज की गई। बीच-बीच में अतिक्रमण की वजह से दिक्कत आई। अक्टूबर 2021 तक कार्य पूरा करना है। जल निगम और गैस पाइपलाइन कार्य के चलते निर्माण कार्य में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। नाला निर्माण कार्य पूरा कर उसे गोड़धोइयां नाले में जोड़ दिया गया है। नगर निगम इलाके के नाले काफी पुराने हैं, जो निचले स्तर पर हैं। जिसके चलते बारिश का पानी नाले में नहीं जा पा रहा है। वह बैक होकर वापस चला जा रहा है।

समय पर नहीं मिला बजट, इसलिए हुई देरी

सीएंडीएस प्रोजेक्ट मैनेजर अजय कुमार सिंह ने कहा, सिंघडि़या वसुंधरा मोड़ से तुर्रा नाला से 700 मीटर पहले तक नाला बनाना है। कुल 6 किलोमीटर का नाला है। मार्च 2014 में कार्य शुरू हुआ था। पहले लागत 16.5 करोड़ थी, जो बढ़कर बढ़कर 31.75 करोड़ रुपए हो गई है। इसमें सबवेल भी बनना है। निर्माण कार्य शुरू होने के बाद अतिक्रमण सबसे ज्यादा बाधा आई। प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण हटाया गया। कुछ राजनीतिक कारणों से भी अवरोध हुआ। दिसंबर तक कार्य पूरा होगा। एयरफोर्स क्षेत्र से पानी का बहाव ज्यादा है। बड़ी-बड़ी कॉलोनियां बन गई हैं। इसलिए रामगढ़ताल में पानी नहीं जा पा रहा है। जंगल के पास कॉलोनियों में पानी रुक गया है। वही पानी कॉलोनियों में आ रहा है। निर्माण में देरी का सबसे बड़ा बजट का समय पर नहीं मिलना है। 4500 मीटर पक्का नाला बनाया जा चुका है। अभी जीन जगह गैप है, उसका कार्य किया जा रहा है। 1500 मीटर कच्चा नाला बनाकर तुर्रा नाला में जोड़ दिया गया। यदि नगर निगम जिम्मेदार ठहरा रहा है तो हम कुछ भी नहीं कह सकते।

Posted By: Inextlive