- यूनिवर्सिटीज को सतत विकास के लिए पैदा करना होगा अच्छे इंटरप्रिन्योर

GORAKHPUR: यूनिवर्सिटीज को अच्छे इंटरप्रिन्योर उत्पन्न करने होंगे। भारत अपनी जीडीपी का सिर्फ 0.69 परसेंट रीसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च करता है। जो यूएसए, इजराइल, साउथ कोरिया जैसे देशों की तुलना में काफी कम है। हमें एकेडमिक रिसर्च की क्वालिटी को भी बढ़ाना होगा। यह बातें नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कार्पोरेशन के अध्यक्ष और निदेशक डॉ। एच पुरुषोत्तम ने कहीं। वह नयी शिक्षा नीति 2020 में नवाचार और बौद्धिक सम्पदा अधिकार' टॉपिक पर अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि पेटेंटिंग में यूनिवर्सिटीज और रिसर्च संस्थानों की भूमिका पे चर्चा की। उन्होंने बताया कि उन्होंने आईपीआर सेल के जरिए यूनिवर्सिटीज से इनोवेशन को पेटेंट के लायसेंसिंग और कॉमर्शियलाइजेशन में मदद करने का आवाहन किया। उन्होंने ये भी कहा कि पेटेंट के लायसेंसिंग से इनोवेशन को 3-5 परसेंट की रॉयल्टी मिलती है।

बुक्स की नकल से सबको नुकसान

दूसरे वक्ता सीएसआईआर निसकैर नई दिल्ली की चीफ साइंटिस्ट डॉ। कनिका मलिक ने कॉपीराइट्स और प्रकाशन के मुद्दों पे चर्चा की। उन्होंने बताया कि कॉपीराइट किसी व्यक्ति को किसी दूसरे के वस्तु को उत्पन्न करने से रोकता है। यह देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान करता है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के कॉपीराइट्स के बारे में बताया। उदाहरण देते हुए कहा कि बुक्स की नकल से प्रकाशकों और लेखकों दोनों को भारी नुकसान होता है, ये कृत्य दण्डनीय है, जिसने जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है। व्याख्यान श्रृंखला के दूसरे दिन गोरखपुर यूनिवर्सिटी आईपीआर सेल ने वक्ताओं और पार्टिसिपेंट्स का स्वागत किया। इस लेक्चर सीरीज में कई रिसर्च स्कॉलर्स, टीचर्स और साइंटिस्ट ने हिस्सा लिया। संचालन प्रो। राजíष कुमार गौर और डॉ। अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन प्रो। यादव ने किया।

Posted By: Inextlive