परिवार नियोजन के लिए मौजूद आधुनिक साधनों में ज्यादातर लोगों को अस्थाई साधन पसंद आता है. खास तौर से जो ज्यादा समय तक काम करे और रोकने के बाद गर्भधारण में कोई दिक्कत न हो ऐसे में आईयूसीडी यानी इंट्रा यूटराइन कंट्रासेप्टिक डिवाईस एक बेहद असदार और सुरक्षित तरीका है. यह बातें एम्स की डायरेक्टर डॉ. सुरेखा किशोर ने शुक्रवार को कहीं. वह स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओर से आयोजित परिवार नियोजन की कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थी. उन्होंने मेडिकल छात्रों को सभी गर्भ निरोधक साधनों के बारे में बताया.


गोरखपुर (ब्यूरो).उन्होंने कहा की देश जनसंख्या के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर गर्भनिरोधक साधनों के इस्तेमाल के बारे में सही और संपूर्ण जानकारी पेशेंट्स को दें। कार्यशाला में एमबीबीएस की तृतीया वर्ष की छात्राओं और नर्सिंग ऑफिसर्स को मॉडल डमी से आईयूसीडी रोपण की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया गया। कम्युनिटी मेडिसिन एचओडी डॉ। हरि शंकर जोशी ने गर्भ निरोधक साधनों के बारे में बताया। स्त्री रोग एचओडी डॉ। शिखा सेठ ने छात्रों को आईयूसीडी की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आईयूसीडी को प्रसव, गर्भपात और महामारी के तत्काल बाद किसी भी माह में लगाया जा सता है। इस दौरान हार्मोनल आईयूसीडी लगाने की विधिवत जानकारी दी। इस मौके पर स्त्री एवं प्रसूति रोग डॉ। विभा रानी पीपल, डॉ। प्रीति प्रियदर्शिनी आदि मौजूद रहीं।

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