- मस्जिदों और घरों में हुआ जिक्रे शोहदा-ए-कर्बला

GORAKHPUR: माह-ए-मोहर्रम में गुरुवार को हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शहीद-ए-कर्बला का जिक्र मस्जिदों व घरों में हुआ। माहौल गमगीन व आंखें अश्कबार हुईं। फातिहा नियाज भी हुई। मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में मुफ़्ती मो। अजहर शम्सी व कारी मो। अनस रजवी ने कहा कि आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी जंग लड़ी थी और इंसानियत व दीन-ए-इस्लाम को बचाने के लिए अपने साथियों की कुर्बानी दी।

बेमिसाल है यह शहादत

जोहरा मस्जिद मौलवी चक में कारी अनीस ने कहा कि शहादत-ए-इमाम हुसैन ने दीन-ए-इस्लाम की अजमत को कयामत तक के लिए बचा लिया। पूरी दुनिया को पैगाम दिया कि अन्याय व जुल्म के सामने सिर झुकाने से बेहतर है सिर कटा दिया जाए। यह पूरी दुनिया के लिए त्याग व कुर्बानी की बेमिसाल शहादत है। पुराना गोरखपुर इमामबाड़ा गोरखनाथ में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि अहले बैत (पैगंबर-ए-आजम के घर वाले) से मुहब्बत करने वाला जन्नत में जाएगा। हजरत इमाम हुसैन की शहादत हमें इंसानियत का दर्स देती है। पैगंबर-ए-आजम ने फरमाया है कि जो शख्स अहले बैत से दुश्मनी रखता है वह मुनाफिक है।

भूखा प्यासा रखकर किया शहीद

बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर में कारी शराफत हुसैन क़ादरी ने कहा कि जालिम यजीद को सत्य से हमेशा भय रहा, इसलिए अपनी कूटनीति से उसने कर्बला के मैदान में पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के परिवारजन एवं समर्थकों को अपनी फौज से तीन दिनों तक भूखा प्यासा रखने के बाद शहीद करा दिया। इसी तरह जामा मस्जिद रसूलपुर, मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर, शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह, मक्का मस्जिद मेवातीपुर इमामबाड़ा, दारुल उलूम अहले सुन्नत मजहरुल उलूम घोसीपुरवा, अक्सा मस्जिद शाहिदाबाद हुमायूंपुर उत्तरी, हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो में भी जिक्रे शहीदा-ए-कर्बला महफिल हुई। आखिर में सलातो का नजराना पेश कर मुल्क में खुशहाली व तरक्की की दुआ मांगी गई।

Posted By: Inextlive