थोड़ी देर की बारिश में शहर की सड़कों पर नहर और नदियों जैसा नजारा दिखने लगता है. कई एरिया तो टॉपू बन जाते हैं. फिर चाहे साउथ सिटी हो या फिर वीआईपी रोड. जलभराव के कारण लोगों को निकलना दूभर हो जाता है. बारिश बंद होने के बाद भी घंटों पानी नहीं निकल पाता. इसकी बड़ी वजह से शहर का चौपट ड्रेनेज सिस्टम. एक्सपट्र्स के मुताबिक शहर के 80 प्रतिशत हिस्से में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है. शहर की बसावट और बढ़ती आबादी से जल निकासी के प्रबंध सिकुड़ रहे हैं. हालांकि चौकाने वाली बात ये है कि ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए कई योजनाओं के माध्यम से डेढ़ हजार करोड़ से भी ज्यादा रुपए खर्च हो चुके हैं. इसके बाद भी हालात नहीं सुधरे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है क्या ये योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं.

कानपुर (ब्यूरो) योजनाओं के तहत ड्रेनेज सिस्टम का काम केवल दिखावा बनकर रह गया। नए का तो अता-पता नहीं, अंग्रेजों के समय का जो ड्रेनेज सिस्टम था, उसे भी ध्वस्त कर दिया गया। गड़बड़ प्लाङ्क्षनग के चलते अंग्रेजों के बनवाए नालों को सीवर से जोड़ दिया। इसके चलते नालों में तय क्षमता से ज्यादा लोड है। बारिश का पानी बढऩे पर नाले ओवरफ्लो हो जाते हैं और पानी निकासी बंद हो जाती है। बरसाती और सड़क पर निकलने वाले पानी की निकासी के लिए अंग्रेजों ने नालों व डाट नाले का जाल बिछाया था, जो अब जर्जर या ध्वस्त गए हैं, इसके चलते निकासी बंद हो गई है।

4 योजनाओं पर हुआ काम
अब तक चार योजनाओं से शहर के सीवर व ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने का प्रयास किया गया। लेकिन ड्रेनेज सिस्टम से ही सीवर सिस्टम मिला है। इसको अलग नहीं किया जा पा रहा है। शहर में अभी भी 80 प्रतिशत क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। जरा सी बारिश में दो तिहाई से ज्यादा भाग में जलभराव हो जाता है। एक बार फिर शहर सुधार को लेकर सरकार अमृत (अमृत योजना) बरसा रही है लेकिन सिस्टम में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है

अंगे्रजों के बने नाले
सरसैया घाट, मैकराबर्टगंज नाला, डबका नाला, बंगाली घाट नाला, गोल्फ क्लब नाला, सीसामऊ नाला, टैफ्को नाला, परमट नाला, रानी घाट नाला, एसडी कॉलेज नाला, जू नाला, चिडिय़ाघर का नाला, जू नाला, जेल नाला, भगवतदास घाट नाला, गुप्तार घाट नाला, विष्णुपुरी नाला, एलेन फारेस्ट नाला, वाजिदपुर नाला, बुढिय़ा घाट नाला, मकदूम नगर घाट शामिल है।

इन नालों का हुआ निर्माण
अवधपुरी नाला यूपीसीडा, विश्वविद्यालय नाला, केस्को कॉलोनी नाला, बरसाइतपुर नाला। पनकी सीओडी नाला एक व दो, आईईएल नाला, हलवाखाड़ा नाला, गंदा नाला, सब्जी मंडी साकेत नगर, आईटीआइ नाला, अवधपुरी नाला विकास नगर नाले को निर्माण करवाया गया था, जो ये ओवरफ्लो हो जाते हैं।

पहला नाला बना सीसामऊ
1892 में ड्रेनेज सिस्टम शुरू हुआ
266.89 वर्ग किमी अब बसावट हो गई
45 लाख से ज्यादा की आबादी

अब तक चार योजनाएं आई
फस्र्ट- 166 करोड़ में इंडो डच
सेकेंड- 746 करोड़ की जेएनएनयूआरएम
थर्ड- 423 करोड़ रुपए नमामि गंगे
फोर्थ- 200 करोड़ अमृत योजना

गंगा में गिरते नालों का हाल
19 नाले गंगा में गिरते हैं
14 नालों को टेप किया गया
450 एमएलडी रोजाना निकलता
342 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता

Posted By: Inextlive