KANPUR: सोना खरीदने का सबसे शुभ मुहुर्त माने जाने वाली अक्षय तृृतीया में महज एक हफ्ता बचा है. इस मौके पर कानपुराइट्स की शॉपिंग की तैयारी कर रहे हैं. अगर आप इस अक्षय तृतीया पर गोल्ड क्वाइन खरीदने की सोच रहे हैं तो थोड़ा समझदारी से काम लें. ज्वेलरी मार्केट के बजाय बैंक्सऔर पोस्ट ऑफिस से गोल्ड क्वाइन खरीदना आपको फ्यूचर में ‘महंगा’ पड़ सकता है. मुश्किल घड़ी में जब आप इन्हें बेचने बैंक या पोस्ट ऑफिस पहुंचेंगे तो आपको निराशा हाथ लगेगी. क्योंकि बैंक-पोस्ट ऑफिस सिर्फ सिक्के बेचते हैं वापस उन्हें खरीदते नहीं.


70 करोड़ का बाजार

सिटी की 5500 ज्वेलरी शॉप्स में डेली करीब 400 करोड़ की ज्वेलरी बिकती है। इनमें मैन्युफेक्चर्ड ज्वेलरी समेत बुलियन, गिन्नी, गोल्ड क्वाइन्स भी शामिल हैं। धनतेरस, दीवाली, अक्षय तृतीया पर तो इनकी जबर्दस्त डिमांड रहती है। यूपी सर्राफ एसोसिएशन के सेक्रेटरी रामकिशोर मिश्रा ने बताया कि  शहर में बिकने वाली ज्वेलरी में गोल्ड क्वाइन का रेशियो लगभग 15 परसेंट है। मतलब, 60 करोड़ के गोल्ड क्वाइन हर दिन शहर में बेचे जाते हैं। जब से बैंक्स और पोस्ट ऑफिस भी इस बिजनेस में उतरे हैं। यह रकम 70 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी है।2-3 हजार महंगे


इस वक्त पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई, बीओबी, एक्सिस, आईसीआईसीआई आदि बैंक्स के अलावा पोस्ट ऑफिस भी गोल्ड क्वाइन बेच रहे हैं। इनमें 22 कैरेट प्योरिटी के 2 ग्राम से 100 ग्राम तक के सिक्के डिफरेंट रेट्स पर अवेलेबल हैं। ओपन मार्केट के कम्पैरिजन में ये सिक्के करीब 2,000-3,000 रुपए तक महंगे होते हैं। उदाहरण के लिए 22 कैरेट 10 ग्राम का गोल्ड क्वॉइन अगर ज्वेलरी मार्केट में 28,000 का मिलता है। तो उसी शुद्धता का सिक्का बैंक में 30-31 हजार का मिलेगा। यूपी बैंक इम्प्लॉईज एसोसिएशन के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल सोनकर के मुताबिक बैंकों में स्विटजरलैंड के गोल्ड वाले सिक्के बिकते हैं। इसीलिए इनकी कीमत ज्यादा होती है।

मेकिंग-पैकेजिंग भी ज्यादा बैंक, पोस्ट ऑफिस और ज्वेलरी मार्केट के ऊंचे दामों की एक और वजह ये है कि उनकी मेकिंग और पैकेजिंग ओपन मार्केट की तुलना में काफी ज्यादा होती है। यूपी बैंक सर्राफा एसोसिएशन के सेक्रेटरी राम किशोर मिश्रा ने बताया कि पंजाब नेशनल बैंक में बिकने वाला सिक्के की पैकिंग के लिए कस्टमर से 500 रूपए चार्ज किये जाते हैं। ठीक वैसी ही पैकिंग साधारण ज्वेलरी शॉप पर 50 रुपए में कर दी जाती है। यही नहीं अगर 10 ग्राम सिक्का ढालने में ज्वेलर 200 रुपए चार्ज करता है। उसी काम के लिए बैंक्स 1,000-1200 रुपए तक कस्टमर से चार्ज किये जाते हैं। ये वन-वे ट्रांजिट है  

जिन सोने के सिक्कों को ल्यूक्रेटिव डिस्काउंट और ऑफर्स का हवाला देकर कस्टमर्स को बेचा जाता है। जब वही कस्टमर बैंक-पोस्ट ऑफिस में इन सिक्कों को बेचने जाता है। तो उनकी वापसी नहीं होती। मतलब, इन प्रतिष्ठानों में सिर्फ वन-वे ट्रांजिट सुविधा रहती है। मगर, ऐसा क्यों? जब इस बारे में आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने तफ्तीश करी तो मालूम चला कि अगर बैंक्स सिक्के वापस खरीदने लगे। तो बैंकों का बैलेंस कम हो जाएगा। पीएनबी के कमलेश चतुर्वेदी ने बताया कि हेड ऑफिस से सिर्फ सिक्के बेचने का ऑर्डर है। अगर उन्हें वापस खरीदना शुरू कर दिया तो स्टॉक में इन्हें शो करने का कोई ऑप्शन नहीं होता। इसीलिए इन्हें वापस नहीं खरीदा जाता। बेचने पर भी ‘टैक्स’ बैंक-पोस्ट ऑफिस के गोल्ड क्वाइन को बेचने की नौबत आ जाए। तो कस्टमर को दोहरा नुकसान होता है। इसकी वजह है, ओपन मार्केट में इसकी कम वैल्यू। दरअसल, जब आप यह सिक्का लेकर सुनार को बेचने पहुंचेंगे तो ‘अपना’ नहीं होने की वजह से इनकी कीमत कम आंकी जाती है। सेक्रेटरी रामकिशोर के मुताबिक यह बड़ा सीधा सा लॉजिक है। हम जो सिक्का बेचते हैं। उसे आपस में कोई भी सुनार खरीद लेता है। महज 200-300 रूपए काटकर सिक्के के वेट के हिसाब से बकाया रकम कस्टमर को वापस लौटा दी जाती है। मगर, बैंक का सिक्का हमारा नहीं होता। इसलिए उसे खरीदने के लिए हम ज्यादा चार्ज करते हैं। इसे ऐसे समझ लीजिए कि 30,000 का क्वाइन बैंक से खरीदने पर अगर आप ओपन मार्केट की तुलना में 3,000 रूपए ज्यादा अदा करते हैं। तो उसे ओपन मार्केट में बेचने पर आपको महज 27,000 रूपए ही मिलेंगे। यानि एक सिक्के पर 6,000 रूपए की सीधी-सीधी चपत। ब्रांडेड शोरूम में पैकिंग-मोहर भी
सिटी में करीब डेढ़ दर्जन ब्रांडेड ज्वेलरी शोरूम ऐसे हैं, जो अपनी ब्रांडिंग के लिए गोल्ड क्वाइन्स पर कम्पनी की मोहर लगाकर विशेष पैकेजिंग में बेच रहे हैं। अच्छी बात यह है कि अगर इन सिक्कों को आप वापस बेचने जाते हैं, तो नॉमिनल चार्जेज (200 रूपए) काटकर आपको बकाया रकम वापस कर दी जाती है। सर्राफा एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार ऐसा बहुत कम होता है कि कस्टमर जहां से क्वाइन खरीदता है, उस शॉप को छोडक़र किसी दूसरे सुनार के पास सिक्का बेचने जाए। --" हमारे पास सिर्फ सिक्के बेचने का ऑर्डर है। उन्हें वापस खरीदने का कोई नियम नहीं है। " अनिल सोनकर, डिप्टी सेक्रेटरी, यूपी बैंक इम्प्लॉईज एसोसिएशन "पोस्ट ऑफिस से सिर्फ सिक्के बेचे जाते हैं। वो 99.9 परसेंट प्योर होते हैं। लेकिन हम इन्हें वापस नहीं खरीदते। " अखिल शुक्ला, पीआरओ, पोस्ट ऑफिस "बैंक्स-पोस्ट ऑफिसेज का अपना अगल नियम है। उनके सिक्के ओपन मार्केट से 2-3 हजार रुपए ज्यादा कीमत के होते हैं। कस्टमर को नुकसान का एहसास तब होता है जब वो सिक्का बेचने के लिए वापस बैंक जाते हैं और वहां से उन्हें वापस लौटा दिया जाता है। " रामकिशोर मिश्रा, सेक्रेटरी, यूपी सर्राफा एसोसिएशन

Posted By: Inextlive