ब्रिक्स देशों के नेता भारत की राजधानी दिल्ली में बैठक कर रहे हैं. सुबह 10 बजे सभी नेताओं का एक सीमित सेशन आयोजित किया गया. 11.30 बजे से सम्मेलन की शुरुआत होगी.

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की सदस्यता वाला ब्रिक्स दरअसल उभरती अर्थव्यवस्थाओं का मंच है। दो दिन तक चलनेवाली इस बैठक का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बेहतर बनाना और विश्व में एक मंच के रूप में अपनी भागीदारी बढ़ाना है।

गुरुवार को होनेवाली बैठक में यूरोजोन संकट के मद्देनजर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चिंतन प्रमुख प्राथमिकता वाला विषय है। इसके साथ ही विश्व की पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नेता अपने व्यापार संबंधों को बढ़ाने, यूरोप और उत्तर अमरीका पर अपनी निर्भरता घटाने के उपायों पर भी चर्चा करेंगे।

विकास बैंकदिल्ली में हो रही बैठक का एक और प्रमुख एजेंडा विश्व बैंक की तर्ज पर एक संयुक्त विकास बैंक की स्थापना पर भी विचार करना है जो कि मौजूदा वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के बाहर सदस्य देशों को आर्थिक मदद मुहैय्या करा सके।

इसके साथ ही ब्रिक्स देशों के स्टॉक एक्सचेंजों को आपस में जोड़ने और सदस्य देशों के बीच व्यापार की मुख्य मुद्रा के रूप में डॉलर का विकल्प तलाशने की व्यवस्था कायम करना भी दिल्ली में हो रही बैठक के एजेंडे में शामिल है।

बैठक में ईरान और सीरिया की राजनीति पर भी चर्चा हो सकती है।

ब्रिक्स के भिन्न अर्थव्यवस्थाओं और राजनीतिक व्यवस्थाओं वाले सदस्य देश पूर्व में विभिन्न विषयों पर आम सहमति कायम करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। इसी वजह से कूटनीतिक मामलों की समझ रखनेवाले कई लोग मानते हैं कि दिल्ली बैठक से भी शायद ही कोई खास नतीजा निकल सकेगा।

ब्रिक्स में भारतीयदुनिया की करीब आधी आबादी वाले ब्रिक्स के सदस्य देशों में रहनेवाले भारतीय मुख्तलिफ देशों की अर्थव्यवस्था और इस मंच की कामयाबी के बारे में क्या सोचते हैं ये जानने के लिए बीबीसी हिंदी ने कुछ लोगों से बात की। रूस की राजधानी मॉस्को में पिछले 30 साल से रह रहे रामेश्वर सिंह रूसी भाषा में पीएचडी हैं।

उन्होने बताया, ''इस तरह के संगठन का कुछ न कुछ फायदा होता है.ब्रिक्स के सदस्य देशों के नेता एक जगह मिलकर आपस की समस्याएं सामने रख रहे हैं, उसके समाधान का समीकरण बना रहे हैं, उसका जरूर कोई न कोई फायदा होता है.''

वहीं बीजिंग में भारतीय उद्योग परिसंघ के प्रमुख ई बी राजेश का मानना है कि ब्रिक्स जैसे संगठन का सदस्य होने से चीन जैसे विकासशील देश को बहुत फायदा है।

उन्होंने कहा, ''चीन एक निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मंच ब्रिक्स का हिस्सा होने से निवेश और निर्यात दोनों ही दृष्टिकोण से चीन लाभ उठा सकता है.''

ब्रिक्स में बाद में शामिल हुए देश दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में पैदा हुए और वहीं रह रहे प्रोफेसर लोकेश महाराज का मानना है कि, ''दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स का सदस्य होने की वजह से बाकी के सदस्य देशों के अनुभवों से काफी कुछ सीख सकता है। अगर दक्षिण अफ्रीका अपनी बात वहां ठीक तरीके से रखेगा तो अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने से उसे फायदा मिल सकता है।

ब्राजील जैसे देशों के साथ बातचीत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, उनके अनुभवों से लाभ उठाया जा सकता है.'' गौर करने वाली बात यही रहेगी कि इस अहम बैठक के बाद इन सभी बड़ी शक्तियों में समझौते किस-किस छेत्र में होते हैं।

Posted By: Inextlive