kanpur@inext.co.in kanpur : कभी टेक्सटाइल के क्षेत्र में अग्रणी रही श्रीलक्ष्मी काटसिन के मालिक एमपी अग्रवाल के घर सीबीआई की टी

- बैंकों से लिए गए लोन व उसके खर्च की पड़ताल करने टीम ने घर व ऑफिस में की पूछताछ

- विदेश में एक्सपोर्ट किए गए प्रोडक्ट से कंपनी को हुई इनकम की डिटेल भी कलेक्ट की गई

>kanpur@inext.co.in

KANPUR : कभी टेक्सटाइल के क्षेत्र में अग्रणी रही श्रीलक्ष्मी काटसिन के मालिक एमपी अग्रवाल के घर सीबीआई की टीम ने छापेमारी की। टीम ने उनके घर के अलावा गेस्ट हाउस व ऑफिस में उनकी संपत्ति के दस्तावेज खंगाले। कानपुर के अलावा फतेहपुर की रहसूपुर, सौंरा व अभयपुर इकाई में भी सीबीआई की टीम ने पहुंचकर वहां रखी मशीनों के पेपर्स की छानबीन की। बैंकों से लिए गए लोन व उसके खर्च की पड़ताल करने लिए टीम ने घर व ऑफिस दोनों जगह छापेमारी की गई। इस दौरान विदेश में निर्यात किए गए उत्पाद से कंपनी को हुई आमदनी का ब्योरा भी जुटाया। कृष्णापुरम स्थित कंपनी के मुख्य कार्यालय में सीबीआई की टीम ने करीब छह घंटे तक पूछताछ की।

छापेमारी इतनी गुप्त थी कि

कानपुर व फतेहपुर की यूनिट्स व कार्यालयों पर सीबीआई की टीम ने एक साथ छापेमारी की। फतेहपुर की इकाइयों में छापेमारी करने पहुंची सीबीआई टीम ने अपने वाहन हाईवे पर ही खड़े कर दिए और पैदल ही सौंरा फैक्ट्री में दाखिल हुई। वहीं कानपुर स्थित कंपनी के मुख्यालय में भी यह छापेमारी इतनी गुप्त थी कि स्थानीय पुलिस को भी इसकी भनक नहीं लगी। सीबीआई के अंदर जाने के बाद कंपनी की किसी भी इकाई व आफिस से आने जाने पर रोक लग गई। जब इस मामले में मीडिया ने कंपनी के मुख्यालय व फतेहपुर स्थित इकाई जाकर जानकारी हासिल करनी चाही तो गार्ड ने गेट नहीं खोला।

पांच हजार करोड़ का कर्ज

डिफाल्टर होने के बाद यह कंपनी पांच हजार करोड़ रूपये के कर्ज में डूब गई है। इस कंपनी की प्रापर्टी में से कुछ भाग हाल ही में गद्दा बनाने वाली नोएडा स्थित फैक्ट्री व सैन्य उत्पाद बनाने वाली एक कंपनी समेत अन्य कंपनियों ने नीलामी में खरीदा है। कर्ज तले दबी इस कंपनी को बेचने की कवायद पिछली तीन साल से चल रही है। कंपनी की सात यूनिटों को नीलाम करने में लिक्विडेटर को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। काफी जद्दोजहद के बाद नोएडा व फतेहपुर की यूनिटें नीलाम की जा सकीं। इनके अलावा कानपुर, अभयपुर, मलवां, फतेहपुर, रेवाड़ी बुजुर्ग फतेहपुर, हरियाणा व रूड़की यूनिटों की नीलामी होनी बाकी है। कंपनी पर बैंक का तीन हजार करोड़ रूपये बकाया है। यह ऋण कंपनी को सेंट्रल बैंक, यूनियन बैंक, स्टेट बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन बैंक व केनरा बैंक ने दिया था। अब इन बैंकों ने लिक्विडेटर को जो रिपोर्ट दी है उसमें ब्याज व पेनाल्टी मिलाकर कर्ज की रकम बढ़कर पांच हजार करोड़ पहुंच गई है।

4000 से अधिक कर्मचारी बेरोजगार

लक्ष्मी काटसिन मिल की जिले में अरबों की संपति है। सौरा, मलवां, रेवाड़ी, अभयपुर में हाईवे के किनारे करोड़ों की कीमत के प्लांट के साथ दो सौ बीघा से अधिक भूमि है, जिसकी कीमत अरबों रुपये की है। फैक्ट्री बंद होने से चार हजार से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो गए है। कर्मचारियों का दो साल का वेतन व लाखों रुपया एरियर का बकाया पड़ा हुआ है।

बड़ी कंपनियों ने भी हाथ खींचे

तौलिया बनाने वाली मुंबई की नामी गिरामी कंपनी वेलस्पन के अलावा ट्राइजेंट कंपनी ने श्रीलक्ष्मी काटसिन की प्रापटी खरीदने के लिए करीब डेढ़ साल पहले दिलचस्पी दिखाई थी। दोनों कंपनियों को विलय के लिए प्लान जमा करना था, लेकिन जब काटसिन कंपनी की विभिन्न यूनिट्स का हाल देखा तो उन्होंने हाथ खींच लिए। इन दोनों कंपनियों के आगे आने से पहले श्रीलक्ष्मी काटसिन ने कंपनी मर्ज करने के लिए बैंकों को 650 करोड़ रूपये का प्रस्ताव दिया था, लेकिन बैंक एक हजार करोड़ से कम पर नहीं माने। अब यह रकम ब्याज व पेनाल्टी मिलाकर आठ गुना बढ़ गई है।

Posted By: Inextlive