पुराने शुक्लागंज पुल का भविष्य केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान सीआरआरआइ तय करेगा. दिसंबर के पहले पखवारे तक संस्थान को पुल की जांच के लिए मांगी गई धनराशि उपलब्ध करा दी जाएगी. इसके बाद संस्थान के विशेषज्ञ पुल की क्षमता पिलर की उम्र आदि की जांच करेंगे. पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी मुख्यालय से आई टीम ने मुआयना कर पुल की स्थिति देखी थी. अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है.


कानपुर (ब्यूरो) पुराना शुक्लागंज पुल बंद होने से शुक्लागंज से कानपुर का आवागमन मुश्किल हो गया है। स्थिति ये है कि नये पुल पर लोगों को हर रोज जाम से जूझना पड़ता है। पुराना पुल इसलिए बंद करना पड़ा था क्योंकि पुल के तीन पिलर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उनकी बेल्ट भी खुल गई हैं। यह पुल दो लेन का है। अगर पुल पिलर मरम्मत के योग्य होंगे तो फिर उनकी मरम्मत कराई जाएगी और पुल का उपरी हिस्सा तोड़कर उसे दो लेन की जगह तीन लेन किया जाएगा। अगर सीआरआरआइ कहती है कि पुल के पिलर अब भार सहने योग्य नहीं हैं तो फिर नया फोर लेन पुल बनाने का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी व सेतु निर्माण निगम की ओर से तैयार किया जाएगा।

विशेषज्ञों की ये है राय
वैसे पीडब्ल्यूडी के विशेषज्ञों की राय है कि जर्जर पिलर तोड़कर नए बना दिए जाएं और नए गार्डर रखकर फिर से पुल बनाया जा सकता है, लेकिन सीआरआरआइ तो विस्तृत जांच करेगी। पिलर की गहराई भी देखी जाएगी। पिलर कितना भार सह सकते हैं इसका आंकलन पुल पर मशीनों से दबाव डालकर किया जाएगा। वैसे भी सेतु निगम ने पहले भी यहां नया फोर लेन पुल बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन तब टू लेन पुल बनाकर अधिकारियों ने पल्ला झाड़ लिया था। अब अगर सीआरआरआइ की रिपोर्ट निगेटिव आती है तो फिर नए सिरे से प्रोजेक्ट बनेगा और फिर इसे मूर्त रूप देने में लंबा समय लगेगा। ऐसे में वर्षों तक यहां के लोगों को जाम से जूझना पड़ेगा। सेतु निगम के महाप्रबंधक राकेश ङ्क्षसह का कहना है कि सीआरआरआइ ने जो जानकारियां मांगी हैं उन्हें जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा।

Posted By: Inextlive