लखनऊ में पिटबुल के काटने से उसकी ही मालकिन की मौत की घटना के बाद भी अधिकारियों की आंखें नहीं खुल रही हैं. पेट डॉग्स के रजिस्ट्रेशन में तो लापरवाही बरती ही जा रही है. वहीं नियमों को ताख पर रखकर विदेशी नस्ल के कुत्तों की ब्रीडिंग और उनकी खरीद फरोख्त का कारोबार भी खुलेआम चल रहा है. दुकानदार समेत अन्य लोग पेट डॉग्स की ब्रीडिंग कराकर पांच हजार से लेकर दो लाख रुपए तक में खरीद बेच रहे हैं. इसे रोकने को लेकर नियम तो बनाए गए हैं लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है. यही वजह है कि उनके पास पेट्स कोई रिकॉर्ड नहीं है.

कानपुर (ब्यूरो) दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शनिवार को शहर के अलग-अलग इलाकों में पेट डॉग्स कारोबार को लेकर पड़ताल की। जिसमें पाया कि शहर के हर इलाके में डॉग्स को बेचने का खेल चल रहा है, लोग नियमों के खिलाफ जाकर डॉग की ब्रीडिंग कराते हैं और दस से पन्द्रह दिनों में ही डॉग को मनचाहे रेट में बेच देते हैं। इसके अलावा पेट शॉॅप्स से भी संपर्क कर कोई भी अपनी मनपंसद ब्रीड का डॉग खरीदने का ऑर्डर दे सकता है। इनके रेट अलग-अलग ब्रीड के हिसाब से 5 हजार रुपए से शुरू होकर दो लाख रुपए तक के होते हैं। जिसके बाद डिलीवरी दे दी जाती है।

लाइसेंस होना जरूरी
सिटी में लगभग 250 से अधिक पेट्स शॉपस है, नियम के मुताबिक, इन सभी के पास डॉग बेचने का लाइसेंस होना चाहिए, लेकिन किसी के पास इसका लाइसेंस नहीं है। इसकी वजह है पशुपालन अधिकारियों का ढीला रवैया। अगर अधिकारी चाहे तो नियम को ताक पर रखकर फैल रहे इस कारोबार पर अंकुश लगा सकते हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी न तो कभी जांच के लिए आता है और ना ही डॉग्स को बेचने को लेकर कोई चेकिंग होती है।

क्या बोले जिम्मेदार-
पशुपालन विभाग के नोडल अधिकारी डॉ। कुलदीप गौतम ने बताया कि पेट डॉग्स के खरीद फरोख्त का काम सिर्फ रजिस्टर्ड दुकानदार ही कर सकते हैं। नियम कहता है कि इनके पास पूरा रिकार्ड भी होना चाहिए। वर्ष 2020 में लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन 10 ही आवेदन आए थे, पता चला कि बाकी दुकानदार नियम को ही फालो नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कोविड के चलते यह काम पूरा नहीं हो सका। शहर में जितनी भी दुकानें हैं, उनमें से ज्यादातर नियमों के खिलाफ चल रही हैं। उच्च अधिकारियों का आदेश आने पर उनके खिलाफ कार्रवाई जाएगी।

क्या कहते हैं एसोसिएशन के प्रेसीडेंट
यूपी पेट्स शाप वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट विनय दीक्षित का कहना है कि पशुपालन अधिकारियों को चाहिए कि पेट्स का पूरा रिकॉर्ड अपने पास रखें। इसके लिए मुहिम चलाकर सभी दुकानदारों को रजिस्टर्ड करें, ताकि कोई भी नियम के खिलाफ न जाकर कारोबार कर सके।

लाइसेंस बनवाने के लिए जरूरी बात
- मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से फार्म लेना होगा
- फार्म फिल करके जरूरी दस्तावेजों के साथ जमा करें
- लखनऊ से इसकी मंजूरी मिलेगी
- जिस एरिया में शॉप है, संबंधित चिकित्साधिकारी सर्वे करेंगे
- अप्रूवल के बाद तय की गई फीस को जमा करना पड़ेगा
- शॉप के लिए पांच और ब्रीडिंग के लिए दो साल का होगा लाइसेंस

फैक्ट फाइल्स
250 से अधिक पेट्स शॉप शहर में चल रहीं
05 हजार से दो लाख रुपए तक डॉग्स
5 हजार रुपए में बनता है शॉप का लाइसेंस
30 हजार से अधिक शहर में पेट डॉग्स

डॉग्स को खूंखार होने से बचाए
-सैर पर ले जाने के दौरान चेहरे पर मजल लगाएं
- हाथ में एक छोटी सी छड़ी लेकर चलें
- डॉग्स को चोक चेन पहनाएं
- डॉग्स के खाने दौरान छेड़छाड़ न करें
- रोजाना कम से कम एक किमी तक घुमाएं

किस ब्रीड का कितना रेट(रुपए)
पग--------16 से 20 हजार
पॉमेलियन----- 05से 8 हजार
जर्मन शेफर्ड----16 से 50 हजार
पिटबुल------- 30 से 70 हजार
साइबेरियन हस्की- 70 हजार से 1 लाख
अकिता-------70 से 80 हजार
लैब्राडोर--------12 से 20 हजार

Posted By: Inextlive