कानपुराइट्स को कड़ाके की सर्दी से बचाने के लिए नगर निगम हर साल सिटी के सार्वजनिक स्थलों पर अलाव यानि लकड़ी जलवाता है. यह प्रक्रिया सालों से चली आ रही है जिससे लोगों को राहत तो मिलती है लेकिन सिटी का पॉल्यूशन कई गुना बढ़ जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस साल ही नगर निगम ने 6.6 करोड़ की लकड़ी जलवा दी है.

कानपुर (ब्यूरो)। कानपुराइट्स को कड़ाके की सर्दी से बचाने के लिए नगर निगम हर साल सिटी के सार्वजनिक स्थलों पर अलाव यानि लकड़ी जलवाता है। यह प्रक्रिया सालों से चली आ रही है, जिससे लोगों को राहत तो मिलती है, लेकिन सिटी का पॉल्यूशन कई गुना बढ़ जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस साल ही नगर निगम ने 6.6 करोड़ की लकड़ी जलवा दी है। इसके बाद अब उद्यान विभाग को पॉल्यूशन की फिक्र हुई है और उसने लकड़ी की जगह इलेक्ट्रिक व गैस हीटर वाले अलाव जलाने का प्रपोजल तैयार किया है। नगर निगम की मुहर लगने के बाद इसे अमल में लाया जाएगा। इससे पॉल्यूशन तो कम होगा ही, नगर निगम का खर्च भी बचेगा।

हर साल 7 करोड़ खर्च
नगर निगम वर्तमान में करीब 398 प्वाइंट पर अलाव जला रहा है। दिसंबर से जनवरी तक करीब 98 सौ कुंतल लकड़ी जल जाती है। नगर निगम अलाव के लिए सात रुपये प्रति केजी लकड़ी का पेमेंट करता है। इस हिसाब से हर साल 6 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च केवल अलाव जलाने के लिए किया जा रहा है। यहीं नहीं शहर के अलग अलग प्वाइंट पर अलाव की लकड़ी जलाने के लिए पहुंचाने में मैन पॉवर के साथ-साथ डीजल व व्हीकल का खर्च अलग किया जाता है। मतलब यह खर्च करीब सात करोड़ तक पहुंच जाता है।

एक साल के खर्च से दूर होगी ठंड
सिटी में अलाव के एक साल के खर्च से सिटी के मेन प्वाइंट पर इलेक्ट्रिक व गैस हीटर लगाया जाए तो करीब पांच साल तक बजट से बचत हो सकती है। एक इलेक्ट्रिक गीजर तैयार करने में 20 से 25 हजार का खर्च आता है जबकि एक गैस हीटर पांच से दस हजार का खर्च आता है। एक गैस हीटर एक दिन में एक कॉमर्शियल सिलेंडर खर्च होता है। जिसका एक दिन का खर्च एक हजार से ज्यादा नहीं आता है।

पॉल्यूशन कंट्रोल को बने विद्युत शव गृह
एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट के अनुसार, कोर्ट ने भी शव के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी जलाने की जगह विद्युत शव गृह के प्रयोग का निर्देश दिया है। सभी अंतिम संस्कार घाटों पर विद्युत शव गृह भी लगाए गए हैं। हालांकि धार्मिक मान्यता के चलते अभी भी लोग लकड़ी का ज्यादा प्रयोग करते हैं।

लकड़ी जलाने से ये हो रहा नुकसान
लकड़ी जलाने से कार्बन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैैस निकलती है। कार्बन डाई ऑक्साइड का सबसे पहले व्यक्ति के फेफड़ों पर असर पड़ता है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। ऑक्सीजन की कमी से व्यक्ति को चक्कर, भारीपन, सिर दर्द, हार्ट और ब्रेन से जुड़ी समस्याएं और बेहोशी की स्थिति भी पैदा हो सकती हैं। वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड की अधिकता वाले एनवॉयरमेंट में सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जिसकी वजह से मस्तिष्क, तंत्रिका और हार्ट, को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।

Posted By: Inextlive