-डेंगू की टेस्टिंग से लेकर ट्रीटमेंट प्राइवेट सेक्टर के भरोसे, सरकारी हेल्थ सिस्टम कोरोना के जाल में फंसा

- सिर्फ उर्सला में एक डेंगू वार्ड, 10 सीएचसी में डेंगू की जांच की ही सुविधा नहीं, इलाज तो दूर की बात

KANPUR: सिटी में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने से डेंगू तेजी से अपने पैर पसार रहा है। वहीं शहर का सरकारी हेल्थ सिस्टम जो अभी तक कोरोना के जाल में फंसा था, बढ़ते डेंगू के खतरे पर ध्यान ही नहीं दे सका। जिसके चलते डेंगू के इलाज को लेकर लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रुख करना पड़ा। जहां पहले ही कोरोना को लेकर सख्त गाइडलाइन के चलते इलाज का खर्च बढ़ गया सो अलग। शहर के आउटर एरियाज में बने प्राइवेट हॉस्पिटल्स और नर्सिग होम्स की ऐसे सीजन में चांदी हो गई। अभी भी हेल्थ डिपार्टमेंट सिटी में डेंगू के प्रकोप को ठीक से भांप ही नहीं सका है।

सरकारी सिस्टम नाकाफी

शहर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों की बात करें तो सबसे बड़े एलएलआर हॉस्पिटल में पहले ही सबसे बड़ा लेवल-3 का कोविड हॉस्पिटल चल रहा है। इसके अलावा कांशीराम अस्पताल भी कोविड अस्पताल हैं। जहां दूसरी प्रॉब्लम्स के पेशेंट एडमिट नहीं हो रहे। वहीं डेंगू का प्रकोप बढ़ा तो उर्सला अस्पताल में एक डेंगू वार्ड बनाया गया। जबकि डेंगू के क्रिटिकल पेशेंट्स को हैलट में भर्ती कराया जाने लगा। जोकि नाकाफी साबित हो रहा है। कानपुर की 10 सीएचसी में डेंगू की जांच की ही सुविधा नहीं है। ऐसे में इलाज दूर की बात है।

लैब पर कोरोना का बोझ

सिटी में डेंगू की सबसे विश्वसनीय पीसीआर जांच की सुविधा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की लैब में ही है। स्वास्थ्य विभाग भी बीते साल तक सिर्फ इस लैब के टेस्ट में पॉजिटिव आए मरीजों को ही डेंगू का पॉजिटिव मरीज मानता था,लेकिन इस बार लैब पर कोरोना की जांच का लोड है। ऐसे में डेंगू की जांच बेहद कम हो रही है। इसके अलावा उर्सला में डेंगू की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 1400 रैपिड कार्ड टेस्ट किट जरूर दिए गए हैं।

प्राइवेट में दो गुना खर्च

कल्याणपुर के पास बारासिरोही में रहने वाले श्याम तिवारी के परिवार में दो लोगों को डेंगू के लक्षण दिखे तो उन्होंने पास के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में दिखाया। जहां डॉक्टर्स ने डेंगू के साथ कोरोना की भी जांच कराई। रिपोर्ट आने तक दोनों मरीजों को होल्डिंग एरिया में रखा। रिपोर्ट आने के बाद दोनों को आईसीयू भेज दिया। जहां दो दिन भर्ती रहने में ही दोनों पेशेंट्स का डेढ़ लाख रुपए का बिल बन गया। दरअसल यही हालत शहर के आउटर एरियाज में स्थित कई नर्सिग होम्स का है जहां इलाज के लिए कोरोना के चलते अब खर्च दो गुना हो गया है।

डेटा पर एक नजर

- 1,200 से ज्यादा छोटे नर्सिग होम, प्राइवेट हॉस्पिटल्स और क्लीनिक महाराजपुर, नौबस्ता, कल्याणपुर, चौबेपुर क्षेत्र में

- 1 हजार से 1800 रुपए तक आ रहा है प्राइवेट लैब में डेंगू की जांच का खर्च

- 4 प्रमुख प्राइवेट लैब में डेंगू की जांच की सुविधा

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डेंगू के लक्षण-

- तेज बुखार, सिरदर्द, पीठ में दर्द, शुरु में जोड़ों में भी दर्द रहता है।

- ब्लड प्रेशर कम होना शरीर का टैम्प्रेचर 104 तक हो जाना

- आंखे लान होना, गले के पास सूजन आना, यह शुरुआती 2 से 4 दिन में होता है

- इसके बाद बीच में कुछ आराम होता है,लेकिन फिर बॉडी टैम्प्रेचर बढ़ता है हथेली और पैर लाल होने लगते हैं। यह स्थिति खतरनाक होती है डेंगू हेमेरेजिक स्टेज में पहुंचने लगता है।

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ऐसे करें बचाव-

- यह मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। इसलिए जहां रहें वहां मच्छरों से बचाव के मुकम्मल इंतजाम करें।

- घर में पानी जमा न होने दे, शरीर को ढक कर रखे, रात में सोते वक्त मच्छरदानी का प्रयोग करें

- बुखार दो दिन से ज्यादा हो तो खुद इलाज करने की बजाय सीधे डॉक्टर को दिखाए, प्लेटलेट्स काउंट पर भी नजर रखे

- यह एक तरह का वायरल इंफेक्शन होता है। जिसमें एंटीबायोटिक दवा की भी जरूरत नहीं होती,सिर्फ पैरासीटामॉल दवा ही काफी होती है

Posted By: Inextlive