हैलट में न्यूरो सर्जरी शुरू होने से कानपुराइट्स को अब दूसरों शहरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं. उनकी दौड़ तो बच गई है लेकिन सर्जरी के लिए उन्हें दो से तीन महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा है जिससे पेशेंट को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि पेशेंट की संख्या अधिक होने की वजह से पेशेंट को सर्जरी के लिए दो से तीन माह आगे की डेट दी जा रही है. न्यूरो सर्जरी में बीते पांच माह में अचानक पेशेंट बढ़ गए हैं.

कानपुर (ब्यूरो)। हैलट में न्यूरो सर्जरी शुरू होने से कानपुराइट्स को अब दूसरों शहरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं। उनकी दौड़ तो बच गई है, लेकिन सर्जरी के लिए उन्हें दो से तीन महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे पेशेंट को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि पेशेंट की संख्या अधिक होने की वजह से पेशेंट को सर्जरी के लिए दो से तीन माह आगे की डेट दी जा रही है। न्यूरो सर्जरी में बीते पांच माह में अचानक पेशेंट बढ़ गए हैं। हैलट हॉस्पिटल में लगभग डेली एक न्यूरो का जटिल ऑपरेशन किया जाता है। एक ऑपरेशन में 7 से अधिक घंटे लग जाते हैं। वहीं हैलट में डेली न्यूरो सर्जरी के 7 से अधिक पेशेंट एडमिट हो रहे हैं। इस कंडीशन में लगातार न्यूरो सर्जरी की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है।

16 से अधिक सिटी के लोग आ रहे

जीएसवीएम सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के नोडल आफिसर्स प्रो। मनीष सिंह बताया कि हैलट में सिर्फ कानपुर की नहीं बल्कि आसपास के 16 से अधिक सिटीज के पेशेंट आते हैं। कुछ माह पहले तक न्यूरो की जटिल सर्जरी के लिए लोग लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई जाते थे। जबकि यह सुविधा जीएसवीएम सुपरस्पेशियलिटी में शुरू हो गई है तो सिटी के साथ बड़ी संख्या में एसजीपीजीआई जाने वाले पेशेंट यहां ट्रीटमेंट के लिए आ रहे हैं। यही वजह है कि सर्जरी के लिए पेशेंट को दो से तीन माह के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।


स्पाइन इंजरी, ब्रेन ट्यूमर व स्पाइन सर्जरी के अधिक पेशेंट

प्रो। सिंह बताते है कि हैलट के न्यूरो डिपार्टमेंट में स्पाइन इंजरी, ब्रेन ट्यूमर व स्पाइन सर्जरी के पेशेंट सबसे अधिक है। लिहाजा, इन सर्जरी के लिए पेशेंट को दो से तीन माह तक के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा न्यूरो की माइनर सर्जरी भी मेजर सर्जरी से समय निकाल कर देर सवेर की जा रही है। उन्होंने बताया कि जीएसवीएम सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक्सपर्ट डॉक्टर्स की संख्या बढऩे से वर्तमान में यहां वह ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं। जो कि वर्तमान में यूपी के किसी भी गवर्नमेंट हॉस्पिटल में नहीं किए जा रहे हैं।

डेली 6 से 7 पेशेंट भर्ती होते

न्यूरो डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स के मुताबिक डेली मेजर व माइनर एक से दो ऑपरेशन किए जाते हैं। क्योंकि न्यूरो के मेजर सर्जरी में छह से सात घंटे व इससे भी अधिक समय लगता है। समय मिलने पर माइनर सर्जरी भी की जाती है। डेली अधिकतम दो सर्जरी हो पाती है। वहीं एडमिट होने वालों की संख्या तीन गुना से अधिक है। न्यूरो सर्जरी के डेली छह से सात पेशेंट एडमिट होते हैं। जिसमें से इमरजेंसी सर्जरी की जाती है।

एसजीपीजीआई से कम खर्च

जीएसवीएम सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के नोडल आफिसर्स प्रो। मनीष सिंह ने बताया कि एसजीपीजीआई की अपेक्षा यहां सर्जरी में पेशेंट का कम खर्चा होता है। इसके अलाव पेशेंट की भागदौड़ भी बचती है। यही वजह है कि अब बड़ी संख्या में पेशेंट सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में आने लगे हैं। पेशेंट को सर्जरी के लिए लंबे समय का इंतजार न करना पड़े। इसको लेकर भी प्लानिंग की जा रही है।

Posted By: Inextlive