मेडिकल एजुकेशन के लिए कंपलसरी नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट नीट संडे को सिटी के 35 सेंटर्स पर हो चुका है. इस एग्जाम के साथ साथ बिना नीट पास किए और कम दाम में एब्रॉड से एमबीबीएस कराने वाली एजेंसीज भी एक्टिव हो गई हैैं. एग्जाम सेंटर्स के बाहर शाम को पेपर छूटते समय नीट देकर निकलने वाले कैंडीडेट्स को रंगीन पर्चे बांटे गए हैैं.

कानपुर (ब्यूरो)। मेडिकल एजुकेशन के लिए कंपलसरी नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) संडे को सिटी के 35 सेंटर्स पर हो चुका है। इस एग्जाम के साथ साथ बिना नीट पास किए और कम दाम में एब्रॉड से एमबीबीएस कराने वाली एजेंसीज भी एक्टिव हो गई हैैं। एग्जाम सेंटर्स के बाहर शाम को पेपर छूटते समय नीट देकर निकलने वाले कैंडीडेट्स को रंगीन पर्चे बांटे गए हैैं। पर्चों में विदेश से बिना नीट पास किए एमबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन दिलाने और कम दाम का दावा किया गया है। ऐसे में अगर आप भी एब्रॉड से मेडिकल एजुकेशन का प्लान बना रहे हैैं तो अलर्ट रहें। एडमिशन का दावा करने वालों से अलर्ट रहने के साथ साथ यह जानना भी आवश्यक है कि वह जिस देश से मेडिकल एजुकेशन की पढ़ाई करा रहे हैैं, उसको लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन के क्या स्टैैंडर्ड हैैं।

एनएमसी की बातों का रखें ध्यान
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) का कहना है कि स्क्रीनिंग टेस्ट विनियमों की 2018 अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत के सभी भारतीय नागरिक/विदेशी नागरिक जिन्होंने भारत के बाहर किसी भी मेडिकल संस्थान से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता प्राप्त की है, उन्हें इंडिया में रजिस्ट्रेशन या प्रैक्टिस के लिए एनएमसी की ओर से निर्धारित स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना होगा।

एडमिशन से पहले ही पुष्टि करें
यह स्पष्ट किया जाता है कि एनएमसी, एमबीबीएस या समकक्ष कोर्स के लिए विदेशी चिकित्सा संस्थानों या यूनिवर्सिटी की किसी भी सूची का समर्थन नहीं करता है। पब्लिक को सलाह दी जाती है कि भारत के बाहर किसी यूनिवर्सिटी या कालेज में एमबीबीएस या इसके समकक्ष कोर्स में एडमिशन लेने से पहले शुल्क संरचना, पाठ्यक्रम के विवरण (जो भारत में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों जैसे सामग्री, अवधि और इंटर्नशिप के अनुरूप होना चाहिए) की पुष्टि कर लें। अधिक जानकारी के लिए एनएमसी की वेबसाइट में विजिट करें।

भारत में प्रैक्टिस करने के लिए एफएमजीई क्वालिफाई करना जरूरी

विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके भारत में प्रैक्टिस करने के लिए एफएमजीई(फॉरेन मेडिकल गेे्रजुएट एग्जामिनेशन) क्वालिफाई करना जरूरी है। इसके बाद ही विदेशी मेडिकल डिग्री भारत में प्रैक्टिस के लिए वैलिड मानी जाती है। हर साल लगभग 50,000 स्टूडेंट्स एमबीबीएस करने विदेश जाते हैं, जिनमें से केवल 25 फीसदी ही एफएमजीई निकाल पाते हैं

ये हैं भारतीयों के पसंदीदा देश

भारतीय छात्रों के बीच मेडिकल शिक्षा के लिए यूके, यूएस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, चीन, रूस, फिलीपींस पसंदीदा देश हैं। इसके अलावा किर्गिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, बेलारूस भी मेडिकल की पढ़ाई के लिए किफायती देशों में से हैं। बांग्लादेश में पांच साल के एमबीबीएस कोर्स की फीस कुल 42 लाख रुपये और नेपाल में पूरे कोर्स के लिए 40-60 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

ग्लोबल रैकिंग की जानकारी कर लें
किसी भी देश का चुनाव करते समय उसकी ग्लोबल रैंकिंग और मेडिकल कॉलेजों की प्रतिष्ठा पर विचार करना बहुत जरूरी है। इसके अलावा सबसे जरूरी है कि चुने हुए देश में और भारत में रोजगार के अवसरों को ध्यान में रखते हुए ही कोई भी निर्णय लें। इसके अलावा वहां के कोर्स की जानकारी प्राप्त करें। अपनी ट्यूशन फीस, रहने, यात्रा खर्च और अन्य खर्चों का अनुमान लगाएं। इसके बाद अपने बजट के अनुसार देश का चुनाव करें।

Posted By: Inextlive