बिना पेंट्रीकार वाली ट्रेन व स्पेशल ट्रेनों में कानपुर से भी बड़ी संख्या में अवैध तरीके से खानपान सामग्री चढ़ाई जाती है. जोकि बाद में पैसेंजर्स को बिक्री की जाती है. इतना ही नहीं यही खाना सेंट्रल स्टेशन के फूड स्टॉल्स पर भी बेचा जाता है. ऐसा नहीं है कि अवैध वेंडर्स का सिस्टम आरपीएफ व रेलवे के आफिसर्स को नहीं पता है लेकिन इन पर एक्शन इसलिए नहीं होता है कि पूरा काम सिस्टम से ही होता है.

कानपुर (ब्यूरो)। बिना पेंट्रीकार वाली ट्रेन व स्पेशल ट्रेनों में कानपुर से भी बड़ी संख्या में अवैध तरीके से खानपान सामग्री चढ़ाई जाती है। जोकि बाद में पैसेंजर्स को बिक्री की जाती है। इतना ही नहीं, यही खाना सेंट्रल स्टेशन के फूड स्टॉल्स पर भी बेचा जाता है। ऐसा नहीं है कि अवैध वेंडर्स का सिस्टम आरपीएफ व रेलवे के आफिसर्स को नहीं पता है, लेकिन इन पर एक्शन इसलिए नहीं होता है कि पूरा काम सिस्टम से ही होता है। चिंता वाली बात तो यह है कि अवैध वेंडरिंग गैंग में नाबालिक बच्चे भी जुड़े हुए हैं। जो स्टेशन से लेकर आउटर तक खाने के साथ ही पानी की बोतल, गुटखा और सिगरेट भी बिक्री करते हैं।

कुछ फूड स्टॉल में बना रखा अड्डा
सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक समेत विभिन्न प्लेटफार्म पर लगे कुछ फूड स्टॉल को अवैध वेंडरिंग कराने वाले गैंग ने अपना खानपान सामग्री रखने का अड्डा बना लिया है। गैंग के सदस्यों को पहले से पता होता है कि कोई सी स्पेशल ट्रेन किस प्लेटफार्म पर आएगी। ट्रेन आने से पहले स्टेशन के बाहर अवैध बेस किचन में तैयार हुआ एग करी, बिरयानी, छोला-चावल, दाल-रोटी के पैकेट तैयार कर निर्धारित फूड स्टॉल पर पहुंचा दिए जाते हैं। जोकि ट्रेन आने पर चढ़ा दिया जाता है।

बासी खाना सप्लाई से परहेज नहीं
सोर्सेस की माने तो एग बिरयानी में यूज किए जाने वाले एग को अवैध वेंडर्स दूसरे दिन बनाए जाने वाली एग बिरयानी में दोबारा यूज करते हैं। एग बिरयानी के पैकेट की बिक्री न होने पर वह उस पैकेट से एग निकाल कर चावल को फेंक देते हैं। फिर उसी एग को दोबारा दूसरे दिन चावल तैयार कर पुराना एग डाल कर बिरयानी तैयार कर पैसेंजर्स को बिक्री कर देते हैं। जोकि पैसेंजर्स के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी साबित होता है।

फर्जी यूनिफार्म पहन कर करते फूड सप्लाई
सेंट्रल स्टेशन, गोविंदपुरी, अनवरगंज, पनकी धाम समेत अन्य रेलवे स्टेशनों पर सबसे ज्यादा पानी की बोतलों में खेल होता है। अवैध वेंडर फर्जी यूनिफार्म पहनकर कुछ पैंट्रीकार के स्टॉफ के सहयोग से ट्रेनों के अंदर दूसरे ब्रांड की बोतलों के साथ खाना भी सप्लाई करते हैं। अगर कोई यात्री रेल नीर की मांग करता है, तो स्टॉक नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं, जबकि रेलवे ने सिर्फ रेल नीर की बोतलें बेचने का नियम जारी किया है।


100 मीटर अंदर 35 से ज्यादा अवैध बेस किचन
सोर्सेस की माने तो कानपुर सेंट्रल स्टेशन के कैंट साइड 100 मीटर की रेंज में सिविल एरिया में कम से कम 35 अवैध बेस किचन संचालित हो रहे है। जहां से समोसा, एग बिरयानी, वेज बिरयानी, पैक्ड भोजन की थाली समेत अन्य सामग्री स्टेशन के दो दर्जन से अधिक फूड स्टॉलों में सप्लाई हो रहा है। पैसेंजर्स को परोसा जाने वाला खाना कहां, किस तरह और कैसे बनाया जाता है। इसकी जानकारी खाद्य सामग्री के गोरखधंधा करने वालों के अलावा किसी को भी नहीं पता है। यही कारण है कि यह बेस किचन सकरी गलियों को खोले गए हैं। जिससे पकड़े जाने का खतरा न के बराबर रहे।

यह है नियम
सेंट्रल स्टेशन पर संचालित फूड स्टॉल संचालक नियमानुसार पैक्ड आइटम रेलवे के अप्रूवल दी गई कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री कर सकते हैं।
खाद्य सामग्री यानि पका हुआ खाना आईआरसीटीसी के रिफ्रेश रूम से ले सकते हैं।
अगर वह खुद भोजन पका कर स्टेशन पर बिक्री कर रहे है तो इसकी जानकारी रेलवे के चीफ कैटरिंग इंस्पेक्टर को देनी होगी।
साथ ही रजिस्टर्ड बेच किचन के डाक्यूमेंट भी लगाने होंगे।


फूड इंस्पेक्टर गहरी नींद में
कानपुर सेंट्रल स्टेशन के कैंट साइड डिलाइट टाकीज के पीछे बने हातों में दर्जनों की संख्या में अवैध तरीके से बेच किचन चल रहे हैं। जिसकी एक तस्वीर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने अपने मंडे के संस्करण में प्रकाशित भी की है। ऐसा नहीं है कि जिले के फूड डिपार्टमेंट और स्थाई फूड इंस्पेक्टर को इसकी जानकारी नहीं है। इसके बावजूद वह बेच किचन सालों से अवैध तरीके से चल रहे हैं और आफिसर्स चुप्पी साधे हुए हैं। शायद इनकी खामोशी में भी कोई राज छुपा हुआ है।

Posted By: Inextlive