आईपीए 203 बढ़ाएगी अरहर का प्रोडक्शन
- आईआईपीआर ने डेवलप की नई वैराइटी, एक हेक्टेअर में 32 कुंतल की पैदावार
- सीड्स के लिए 500 कुंतल अरहर की हो रही व्यवस्था, 150 केंद्रों पर मिलेगा बीज KANPUR: भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र ने अरहर की न्यू वैरायटी आईपीए-203 डेवलप की है। जो बिहार की 'बहार' को खेतों से आउट कर देगी। अहम बात यह है कि यह ऐसी वैरायटी है जो यूपी से लेकर देश के पूर्वोत्तर राज्यों में अच्छी खासी फसल देगी। यह एक हेक्टेयर में करीब 32 कुंतल का प्रोडक्शन करेगी। यह जानकारी आईआईपीआर डायरेक्टर प्रो। नरेन्द्र प्रताप सिंह ने दी। 60 परसेंट फसल बर्बादआईआईपीआर के निदेशक एनपी सिंह ने बताया कि बीज के लिए फतेहपुर व कानपुर के किसानों के खेतों पर इसकी फसल कराई जा रही है। अभी तक बिहार की वैराइटी बहार सबसे बेहतर विकल्प थी लेकिन क्लाइमेट चेंज होने की वजह से इसमें उकठा रोग लग गया है जिससे 60 परसेंट फसल बर्बाद हो रही है। आईएपी-203 जुलाई के फर्स्ट वीक में बोई जाएगी और अप्रैल में काटी जाएगी।
आर्गेनिक खेती पर फोकसक्लाइमेंट चेंज होने की वजह से दाल की फसलों पर कीड़ों का अटैक बढ़ गया है। अब एसी रिसर्च करनी होगी जो आर्गेनिक खेती पर फोकस करे। खतरनाक केमिकल के प्रयोग से बचना होगा। दो दिवसीय सिंपोजियम के समापन समारोह में अनुपमा ऋषी, अंकिता त्रिपाठी, रैना बाजपेई, जया आयूषी, भाभा मिश्रा, ज्योति सिंह, रुपम पराशर, आकांक्षा सिंह को सार्टिफिकेट व मूमेंटो दिए गए। इस मौके पर डीजी उपकार प्रो राजेन्द्र सिंह, डायरेक्टर एनपी सिंह, प्रो कृष्णकुमार मौजूद रहे।