जहां एक ओर सिटी में आईआईटी सीएसजेएमयू एआईटीडी और यूपीटीटीआई के स्टार्टअप इनोवेशन और इंक्यूबेशन कराने वाली सेल सफलता के झंडे गाड़ रही हैैं. यूथ स्टार्टअप के आइडिया लेकर जाते हैैं तो कुछ दिनों में कंपनी बन जाती प्रोटोटाइप तैयार होता जो कि डेवलप होकर प्रोडक्ट के रूप में मार्केट में आ जाता है. वहीं सिटी में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लेने वाले संस्थानों के पास स्टार्टअप के नाम पर बताने के लिए कुछ खास नहीं है. सैटरडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सीएसए और एचबीटीयू की स्टार्टअप एंड इंक्यूबेशन सेल जाकर पड़ताल की तो स्थितियां चौंकाने वाली थी.

कानपुर (ब्यूरो)। जहां एक ओर सिटी में आईआईटी, सीएसजेएमयू, एआईटीडी और यूपीटीटीआई के स्टार्टअप, इनोवेशन और इंक्यूबेशन कराने वाली सेल सफलता के झंडे गाड़ रही हैैं। यूथ स्टार्टअप के आइडिया लेकर जाते हैैं तो कुछ दिनों में कंपनी बन जाती, प्रोटोटाइप तैयार होता जो कि डेवलप होकर प्रोडक्ट के रूप में मार्केट में आ जाता है। वहीं, सिटी में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लेने वाले संस्थानों के पास स्टार्टअप के नाम पर बताने के लिए कुछ खास नहीं है। सैटरडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सीएसए और एचबीटीयू की स्टार्टअप एंड इंक्यूबेशन सेल जाकर पड़ताल की तो स्थितियां चौंकाने वाली थी। दोनों जगहों पर स्टार्टअप करने वाला कोई यूथ भी नहीं मिला जो कि आफिस संचालित कर रहा हो या फिर किसी अन्य काम के लिए वहां मौजूद हो।

सीएसए : तीन सालों में कोई प्रोजेक्ट नहीं
साल 2021 में सीएसए यूनिवर्सिटी में स्टेट के पहले सेंटर फॉर इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन टू एग्री स्टार्टअप का उद्घाटन आईसीएआर के डीजी डॉ। त्रिलोचन महापात्रा ने की थी। उद्घाटन के समय बताया गया था कि यहां से तीन कंपनियां इंक्यूबेटेड हैैं। पड़ताल के दौरान सेंटर में एक भी स्टार्टअप कंपनी चलाने वाले यूथ से वहां संपर्क नहीं हो सका। आफिस में एक क्लर्क मिली। यह पूछने पर कि यहां कितनी कंपनी इंक्यूबेटेड हैैं, उनके पास कोई जवाब नहीं था। सीएसए के डायरेक्टर रिसर्च डॉ। पीके सिंह से बातचीत करके सेंटर की स्थिति जानी गई तो पता चाला कि बीते तीन सालों में सेंटर में अभी कोई प्रोजेक्ट रन नहीं किया जा रहा है। कोई पैसा आया नहीं है। स्टार्टइन यूपी से फंड दिलाने के सवाल पर बताया कि गवर्नमेंट से प्रोजेक्ट अप्रूव हो जाए, उसके बाद कुछ काम किया जाएगा। शुरुआत मेें जो तीन कंपनियां इक्यूबेट की गई थीं, वह अभी भी काम कर रही हैैं।

एचबीटीयू: आठ सालों में सिर्फ एक कंपनी
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर देश की रेप्यूटेड टेक्निकल यूनिवर्सिटी एचबीटीयू में बने अटल इंक्यूबेशन हब एंड एचबीटीयू टीबीआई फाउंडेशन पहुंचा तो वहां सन्नाटा पसरा था। गेट से अंदर जाते ही हब के डायरेक्टर एंड सीईओ प्रो। जितेंद्र भास्कर से मुलाकात हुई। महोदय ने आने का कारण पूछा तो परिचय देने पर बताया कि साल 2016 में इंक्यूबेशन हब की स्थापना हुई थी, बिल्डिंग आदि बनने के बाद 2022 में सेक्शन 8 कंपनी रजिस्टर की। इस समय एक कंपनी इंक्यूबेट है। 16 से ज्यादा यूथ और डेवलप प्रोडक्ट हमारे पास हैैं जो कि इन सभी को बैठक करके कंपनी के रूप में इंक्यूबेट किया जाएगा। यानि कुल मिलाकर बीते आठ सालों में सिर्फ एक कंपनी इंक्यूबेट हुई।

स्टार्ट इन यूपी से मिलते हैैं यह फंड
किसी भी एजुकेशन इंस्टीट्यूट से अपने स्टार्टअप को इंक्यूबेट कराने के लिए सबसे पहले आपको एक सेक्शन 8 कंपनी रजिस्टर करानी होगी, जिसके लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में बैठे एडवाइजडर आपकी इस काम में भी हेल्प करेंगे। इसके अलावा स्टार्टइन यूपी के स्टार्टअप फंड से आपको मदद मिलेगी। इस फंड के तहत आपसे सस्टेनेंस अलाउंस, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, मार्केटिंग एसेसटेंस, इवेंट पार्टिसिपेशन, पेटेंट सपोर्ट, सिडबी एफओएफ और स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम से फंड मिलेगा। शहर के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स से इंक्यूबेट होने वाले कई स्टार्टअप को यह फंड मिल रहे हैैं। अब सीएसए और एचबीटीयू इन फंड्स का यूज क्यों नहीं कर पा रहे हैैं यह एक सवाल है।

Posted By: Inextlive