- परेड रामलीला में रावण वध होते ही श्रद्धालुओं ने किया जय श्रीराम का उद्घोष

KANPUR

: राम और रावण के बीच निर्णायक युद्ध की घड़ी आ गई है। उधर वानर सेना राक्षसों को चुन-चुन कर मौत के घाट उतार रही है। रामजी तीर से रावण का सिर काटते हों, लेकिन रावण के सिर फिर आ जाते हैं। रावण युद्ध भूमि में अट्टहास कर रहा है

परेड रामलीला में विजयदशमी पर्व पर वह क्षण आया जब प्रभु श्रीराम ने लंकाधिपति रावण का वध किया। रावण के धरती पर गिरते ही आकाश से फूल बरसने लगे और परेड मैदान में उपस्थित 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम का उद्घोष कर माहौल को श्रद्धा से भर दिया।

विजयदशमी पर लीला में रावण को अपने पुत्र मेघनाद की मौत का समाचार सुनने के बाद खुद युद्ध भूमि में अंतिम लड़ाई के लिए आता है। रणभूमि में रावण ने आते ही कोहराम मचा दिया। उसके बल के आगे वानर सेना भयभीत हो गई। रावण अट्टहास करते हुए आगे बढ़ता है। तभी भगवान राम आते हैं।

राम-रावण के बीच युद्ध शुरू होता है तो तीरों के टकराने की आवाज पूरे ब्रह्मांड में गूंजती है। कई बार वाण मारने के बाद भी रावण का कटा सिर बार-बार जुड़ जाता है। यह देख प्रभु राम की सेना चिंता में डूब जाती है। तभी विभीषण रामजी के पास पहुंचते हैं और बताते हैं कि रावण की नाभि में अमृत है। जब तक अमृत रहेगा रावण को कोई नहीं मार पाएगा। यह सुनकर भगवान राम रावण की नाभि पर निशाना साध कर तीर मारते हैं। नाभि पर तीर लगते ही रावण गिर जाता है। डोली धरती गिरा दसकंधर

उधर, श्रीराम सेना में हर्ष दौड़ जाता है। रावण जब गिरता है तो फिर कहता है कि अब मेरा अंतिम समय आ गया है। एक बार मैं प्रभु के दर्शन करना चाहता हूं। प्रभु राम उसको दर्शन देते हैं। रावण महाज्ञानी है, यह कहते हुए भगवान राम अपने भ्राता लक्ष्मण से कहते हैं कि उनसे जाकर राजनीति का ज्ञान ले लो।

Posted By: Inextlive