स्वीडन में बर्फ़बारी में फँसे एक व्यक्ति की अजीब दास्तां सामने आई है.ये व्यक्ति पिछले दो महीनों से अपनी कार में बर्फ़ की परतों तले दबा हुआ था और उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था.दो माह बाद पुलिस को उनकी कार और वो व्यक्ति ज़िंदा मिला है. व्यक्ति का नाम नहीं बताया गया है.

माना जा रहा है कि पिछले दो महीनों से वो पिघली हुई बर्फ़ को पीकर ही ज़िंदा रहा। पुलिस के मुताबिक उसकी इस बात पर शक करने की कोई वजह नहीं है।

पुलिस का कहना है कि इस इलाक़े में पिछले कुछ दिनों में तापमान शून्य से 30 डिग्री नीचे चला गया था.कार से मिला शख़्स काफ़ी कमज़ोर है और एक-दो शब्द से ज़्यादा नहीं बोल पाया।

वो 19 दिसंबर से बर्फ़ में दबी कार में था। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है और डॉक्टरों का कहना है कि हालात को देखते हुए वे बेहतर स्थिति में हैं।

एक अख़बार के मुताबिक 45 साल के इस व्यक्ति को बर्फ़ हटाने वाले कर्मचारियों ने ढूँढा। पहले कर्मचारियों को लगा कि कार यूँ ही बेकार पड़ी है लेकिन फिर वो बर्फ़ को खोदते हुए खिड़की तक पहुँचे और उन्हें अंदर हलचल सुनाई थी।

पुलिस अधिकारी एबे नाईबर्ग ने बताया, उस समय ये शख़्स कार की पिछली सीट पर एक स्लीपिंग बैग में दुबकर सो रहा था। उसकी हालत काफ़ी ख़राब थी। उसने बताया कि दिसंबर से उसने कुछ नहीं खाया।

माना जा रहा है कि पिछले दो महीनों से वो पिघली हुई बर्फ़ को पीकर ही ज़िंदा रहा। पुलिस के मुताबिक उसकी इस बात पर शक करने की कोई वजह नहीं है।

पुलिस का कहना है कि इस इलाक़े में पिछले कुछ दिनों में तापमान शून्य से 30 डिग्री नीचे चला गया था.कार से मिला शख़्स काफ़ी कमज़ोर है और एक-दो शब्द से ज़्यादा नहीं बोल पाया।

वो 19 दिसंबर से बर्फ़ में दबी कार में था। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है और डॉक्टरों का कहना है कि हालात को देखते हुए वे बेहतर स्थिति में हैं।

एक अख़बार के मुताबिक 45 साल के इस व्यक्ति को बर्फ़ हटाने वाले कर्मचारियों ने ढूँढा। पहले कर्मचारियों को लगा कि कार यूँ ही बेकार पड़ी है लेकिन फिर वो बर्फ़ को खोदते हुए खिड़की तक पहुँचे और उन्हें अंदर हलचल सुनाई थी।

पुलिस अधिकारी एबे नाईबर्ग ने बताया, उस समय ये शख़्स कार की पिछली सीट पर एक स्लीपिंग बैग में दुबकर सो रहा था। उसकी हालत काफ़ी ख़राब थी। उसने बताया कि दिसंबर से उसने कुछ नहीं खाया। इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर वे मानकर चलते हैं कि चार हफ़्तों तक बिना खाने के ज़िंदा रहा जा सकता है।

एक डॉक्टर ने अख़बार को बताया है कि ये व्यक्ति इतने दिन इसलिए ज़िंदा रह पाया होगा क्योंकि वे किसी तरह की हाईबरनेशन या शीतस्वापन में चले गया होगा। इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर वे मानकर चलते हैं कि चार हफ़्तों तक बिना खाने के ज़िंदा रहा जा सकता है।

एक डॉक्टर ने अख़बार को बताया है कि ये व्यक्ति इतने दिन इसलिए ज़िंदा रह पाया होगा क्योंकि वे किसी तरह की हाईबरनेशन या शीतस्वापन में चले गया होगा।

Posted By: Inextlive