स्वर संगम घोष शिविर और पथ संचलन के माध्यम से आरएसएस के स्वयंसेवकों ने अखंड भारत और एकता व समरसता का संदेश दिया. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने स्वर संगम घोष शिविर में कहा कि संगीत के ताल से जब कदम मिलेंगे तब ही संचलन ठीक होगा. उन्होंने अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया. समाज की एकजुटता का संदेश देने वाले 21 जिलों के शिविरार्थियों के साथ निकाले गए पथ संचलन का उन्होंने कंपनी बाग पर अवलोकन किया. इसके बाद शिविरार्थियों को पथ संचलन की महत्ता बताई.


कानपुर (ब्यूरो) 1500 बाल स्वयंसेवक ने पथ संचलन किया। इसके लिए दो टीमों का गठन किया गया था। एक टीम पंडित दीनदयाल उपाध्याय विद्यालय से सुबह करीब सवा दस बजे निकली, जो गंगा बैराज होते हुए वापस विद्यालय लौटी। दूसरी टीम कोहना से होते हुए कंपनी बाग पहुंची। वाद्य यंत्रों की धुन और बैंड आकर्षण का केंद्र रहे। कंपनी बाग चौराहे पर संघ प्रमुख ने पथ संचलन में शिविरार्थियों की प्रतिभा का अवलोकन किया। मंच पर संघ प्रमुख के साथ अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक और प्रांत संघचालक ज्ञानेंद्र सचान भी मौजूद रहे। करीब पांच मिनट में यहां पथ संचलन पूरा हुआ।

दोनों में अभ्यास जरूरी
स्वर संगम घोष शिविर में संघ प्रमुख ने शिविरार्थियों को संबोधित किया। कहा कि संघ का कार्य व संगीत दोनों में अभ्यास का महत्व है। संघ में प्रतिदिन शाखा जाना पड़ता है और संगीत में प्रतिदिन अभ्यास करना पड़ता है। स्वर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर भी प्रतिदिन संगीत का अभ्यास करती थीं। इससे अनुशासन बनता है। कहा कि यहां घोष वादक कोई प्रमाणपत्र लेने नहीं आए हैं, बल्कि उनका एक निश्चित ध्येय इसके माध्यम से भारत माता को परम वैभव तक पहुंचाना है।

Posted By: Inextlive