ट्रेनों की लेटलतीफी से पैसेंजर्स को राहत दिलाने के लिए रेलवे हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर विभिन्न कवायद कर रहा है. इसके बावजूद ट्रेनों की लेटलतीफी से पैसेंजर्स को राहत नहीं मिल रही है. यह हम नहीं बल्कि रेलवे बोर्ड की ओर से जारी किए गए देश के 12 रेलवे जोन की ट्रेनों की समय पालनता टाइमिंग की जारी की गई लिस्ट में कहा गया है.


कानपुर (ब्यूरो)। ट्रेनों की लेटलतीफी से पैसेंजर्स को राहत दिलाने के लिए रेलवे हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर विभिन्न कवायद कर रहा है। इसके बावजूद ट्रेनों की लेटलतीफी से पैसेंजर्स को राहत नहीं मिल रही है। यह हम नहीं बल्कि रेलवे बोर्ड की ओर से जारी किए गए देश के 12 रेलवे जोन की ट्रेनों की समय पालनता (टाइमिंग) की जारी की गई लिस्ट में कहा गया है। जिसमें एनसीआर रीजन अन्य रीजन से काफी पीछे है। आंकड़ों के मुताबिक एनसीआर रीजन में ट्रेनों की समयपालनता 62.03 परसेंट है।

सबसे लंबा पासिंग डिवीजन
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक एनसीआर रीजन देश का सबसे लंबा पासिंग आउट डिवीजन है। रीजन के अंतर्गत आने वाला गाजियाबाद से मुगलसराय का सेक्सन ही सिर्फ 800 किलोमीटर का है। वहीं झांसी व आगरा डिवीजन के अंतर्गत पलवल से बीना तक का सेक्सन भी लगभग 800 किमी का है। इतना लंबा पासिंग आउट डिवीजन देश में और दूसरा नहीं है। रीजन का सेक्सन लंबा होने की वजह से मेटीनेंस, कैटल रनओवर, मेडिकल हेल्प, वॉटरिंग प्रॉब्लम, चेन पुलिंग भी दूसरे रीजन से अधिक होती है। यहीं कारण है कि समय पालनता में रेटिंग दूसरे रीजन से डाउन है। गुड्स ट्रेनों का ट्रैफिक भी


प्रयागराज डिवीजन के पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि एनसीआर रीजन में देश के दो महत्वपूर्ण रूटों की ट्रेनों का आवागमन होता है। दोनों ही रीजन दिल्ली-हावड़ा व कानपुर-मुम्बई रूट का लंबा हिस्सा एनसीआर रीजन में आता है। लिहाजा इस रूट में अदर रीजन की अपेक्षा गुड््स ट्रेनों का लोड भी अधिक होता है। जिसकी वजह से भी मेल व पैसेंजर ट्रेनों की चाल प्रभावित होती है। जिससे समयपालनता डिस्टर्ब होती है। ट्रैक के किनारे वॉल बाउंड्री से मिलेगी राहतएनसीआर के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि एनसीआर रीजन में गुड्स ट्रेनों का लोड अधिक है। जो डीएफसी ट्रैक चालू होने के बाद उसमें शिफ्ट हो जाएंगी। जिसके बाद दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनों की टाइमिंग में काफी सुधार आएगा। इसके अलावा कैटल रनओवर की घटनाओं को कम करने के लिए करोड़ों रुपए लगातर गाजियाबाद से लेकर मुगलसराय तक ट्रैक को कवर करने के लिए बाउंड्री वॉल व कंटीले तार लगाए जा रहे है। जिससे काफी राहत मिलेगी। इनकी वजह से ट्रेनों की चाल में पड़ता असर- मेडिकल हेल्प डिमांड - ट्रेनों में वॉटरिंग प्रॉब्लम- चेन पुलिंग होने से - मेंटीनेंस की वजह से - कैटल रन ओवर - सिग्नल फेलियर - इंजन व कोच के उपकरण में समस्याजोन वाइज ट्रेनों की समय पालनता

एनईसीआर 45.61एनसीआर 62.03एनआर 63.13ईसीआरओ 64.40एससीआर 67.12डब्ल्यूसीआर 76.03ईआर 77.17एसईआर 78.22एनएफआर 80.34ईसीआर 82.12सीआर 82.49हाई स्पीड प्रोजेक्ट पर चल रहा काम दिल्ली-हावड़ा रूट देश के अति व्यस्ततम रूटों में एक है। जहां ट्रेनों का लोड अधिक है। इस स्थिति में ट्रैक का मेंटीनेंस, रिप्लेसमेंट समेत हाईस्पीड प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है। ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 160 करने पर काम चल रहा है। संभावना है कि जल्द रेल पैसेंजर्स को ट्रेनों की लेटलतीफी से काफी राहत मिलेगी। हाइलाइट्स- 278 से अधिक पैसेंजर्स ट्रेनों का आवागमन - 60 से अधिक गुड्स ट्रेनों का आवागमन डेली - 8 से 10 शिकायतें चेनपुलिंग की डेली आती - 5 से 10 शिकायतें इस समय एसी कूलिंग व वॉटर समस्या की आती - 800 किमी का देश का एकलौता सबसे लंबा पासिंग आउट डिवीजन प्रयागराज
&& बीते कुछ सालों में एनसीआर रीजन ने ट्रेनों की समयपालनता में काफी सुधार किया है। ट्रेनों की लेटलतीफी के विभिन्न कारण जैसे कैटल रनओवर, चेनपुलिंग, ट्रेनों में वॉटरिंग समस्या समेत अन्य समस्याओं को खत्म करने की कवायद चल रही है। हाईस्पीड प्रोजेक्ट को लेकर भी दिल्ली-हावड़ा रूट पर काम चल रहा है। जिससे भविष्य में पैसेंजर्स को काफी राहत मिलेगी। अमित मालवीय, पीआरओ, एनसीआर

Posted By: Inextlive