- मेडिकल कॉलेज में पेशेंट्स के लिए सस्ती दरों पर इंप्लांट की खरीद का प्रपोजल लटका, शासन से नहीं मिली हरी झंडी

- ज्यादातर सर्जरी में बाहर से इंप्लांट और लेंस खरीदने को मजबूर होते पेशेंट्स, कीमत भी डॉक्टर और कंपनी के मुताबिक

KANPUR: शहर में सबसे ज्यादा पेशेंट लोड वाले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल्स में पेशेंट्स को ऑपरेशन के लिए अभी भी बाहर से ही महंगे इंप्लांट और लेंस खरीदने पड़ेंगे। सस्ती दरों पर इंप्लांट और लेंस खरीदने की प्रक्रिया पर शासन की मंजूरी नहीं मिलने से ब्रेक लग गया है। अब जब मेडिकल कॉलेज के ज्यादातर सर्जिकल डिपार्टमेंट्स में इमरजेंसी के साथ इलेक्टिव सर्जरी हो रही हैं। ऐसे में पेशेंट्स की संख्या भी तेजी से बढ़ी है, लेकिन आर्थोपेडिक से लेकर न्यूरो सर्जरी और आंख की सर्जरी के दौरान यूज होने वाले इंप्लांट और लेंस अभी भी पेशेंट्स को मनमानी दरों पर ही बाहर से खरीदना पड़ रहा है।

सबसे ज्यादा आर्थोपेडिक इंप्लांट की प्रॉब्लम

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर हॉस्पिटल में स्थित आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में ही ऑपरेशन के दौरान अलग-अलग तरह के इंप्लांट का यूज होता हैं। इनकी लागत ऑपरेशन की कुल लागत का 70 से 80 परसेंट तक होती है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से इन्हें फ्री या सस्ती दरों पर पेशेंट्स को मुहैया कराने जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। जिस भी पेशेंट को ऑपरेशन कराना होता है। उसे डॉक्टर की बताई कंपनी का ही इंप्लांट खरीदना पड़ता है। खास बात यह है कि इन इंप्लांट की कीमतों में भी कोई ट्रांसपेरेंसी नहीं है। अलग-अलग डॉक्टरों के एक तरह के इंप्लांट के अलग अलग रेट हैं।

खरीद के लिए बनी थी कमेटी

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में जब डॉ.आरती लालचंदानी प्रिंसिपल थी उस समय सस्ती दरों पर इंप्लांट और लेंस की खरीद को लेकर एक कमेटी बनी थी। यह कमेटी मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर बनी थी। जोकि सर्जरी करने वाले सभी डिपार्टमेंट्स से उनके यहां यूज होने वाले इंप्लांट को सस्ती दरों पर खरीददारी या किसी कंपनी को इसके लिए अनुबंधित करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन कोरोना पैनडेमिक आने के बाद यह कमेटी ठंडे बस्ते में चली गई। वहीं अब जब दोबारा इलेक्टिव सर्जरी शुरू हुई तो इंप्लांट और लेंस की प्रॉब्लम फिर सामने आई। शासन से जब इसे लेकर बात की गई तो वहां से कोई स्पष्ट जवाब कॉलेज प्रशासन को नहीं मिला।

किन डिपार्टमेंट्स में बाहर से ख्ारीददारी

आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट-

परमानेंट रिप्लेसमेंट और टैम्प्रेरी रिप्लेसमेंट्स, हिप, नी, एंकल, शोल्डर, रिस्ट, फिंगर ज्वाइंट्स के लिए, इसके अलावा प्लेट, स्क्रू , पिन, वायर, सिरेमिक्स

न्यूरो सर्जरी- आर्टिफिशियल डिस्क, न्यूरल इंप्लांट, प्लेट, रॉड।

ईएनटी- ईयर इंप्लांट, कान की मशीन

ऑफ्थेल्मोलॉजी- कैटरेक्ट के ऑपरेशन के दौरान लगाए जाने वाले लेंस

किस डिपार्टमेंट की डेली कितनी सर्जरी-

इलेक्टिव और इमरजेंसी सर्जरी मिला कर

आर्थोपेडिक- 13 से 15

न्यूरो सर्जरी- 4 से 6

ऑफ्थेल्मोलॉजी-15 से 18

ईएनटी- 5 से 6

इंप्लांट के बाजार को इस तरह समझें-

- शरीर में 206 तरह की हड्डियों में 700 तरह के ज्वाइंट्स

- 2000 तरह के साइज व वैरीएशन के स्क्रू, नेल, प्लेट, वायर, क्लिप।

-नी, हिप, शोल्डर, एल्बो के लिए ज्वाइंट रिप्लेसमेंट इंप्लांट अलग से

-स्टेनलेस स्टील, टाइटेनियम के इंप्लांट, इसमें इंडियन, इंपोर्टेड इंप्लांट के साथ ही यूएस एफडीए अप्रूव्ड इंप्लांट शामिल

- इंडियन व इंपोर्टेड इंप्लांट बेचने वाले कानपुर में तीन बड़े डिस्ट्रिब्यूटर

- आंखों मे पड़ने वाले लेंस भी दो तरह के एक इंडियन दूसरा इंपोर्टेड, उसमें अलग अलग वैरायटी, आईओएल से लेकर मल्टीफोकल लेंस

आर्थोपेडिक और सर्जरी में यूज होने वाले अलग अलग तरह के इंप्लांट या फिर नेत्र सर्जरी में पेशेंट्स को लगाए जाने वाले लेंस की सस्ती दरों पर खरीददारी की व्यवस्था के प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे पेशेंट्स को आर्थिक रूप से भी राहत मिले। हालांकि कुछ वक्त लग सकता है।

- प्रो। आरबी कमल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

Posted By: Inextlive