KANPUR(29 Sept): साइबर क्राइम की घटनाएं सिटी में तेजी से बढ़ रही है। आए दिन लोगों के बैंक अकाउंट में सेंध लग रही है। किसी ने बेटी की शादी के लिए तो किसी ने बच्चों की एजुकेशन के लिए सेविंग करके रखी है। लेकिन हैकर्स की एक नजर पढ़ते ही सब कुछ एक पलभर में खाक हो जाता है। अब हकीकत यह है कि आप के साथ ऐसी कोई घटना घटती है तो आपकी कंप्लेन दर्ज हो पाएगी या नहीं। इसका जवाब अधिकारी भी नहीं दे पाएंगे। इसका कारण है कि सिटी में क्राइम की घटनाएं दर्ज करने के लिए कंप्यूटर तो हैं लेकिन ऑपरेटर नहीं है। जिन्हें तैनात किया गया था उनका ट्रांसफर हो चुका है।

कहां बना है साइबर थाना?

ट्रैफिक पुलिस लाइन में रेंज का साइबर क्राइम थाना बना हुआ है। इसे तीन महीने पहले ही बनाया गया था। साइबर क्राइम की घटनाओं की एफआईआर यही दर्ज की जाती है। लेकिन अभी हकीकत यह है कि एफआईआर रजिस्टर करने के लिए कोई कर्मचारी ही नहीं बचा है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से कंप्यूटर ऑपरेटर की भर्ती अब तक नहीं हुई है और जो कर्मचारी तैनात किए गए थे, उनका ट्रांसफर कर दिया गया.साइबर थाने की जिम्मेदारी साइबर अपराधियों की धरपकड़ करने की भी है।

अभी कौन-कौन टीम में?

स्टाफ कम होने की वजह से साइबर अपराधियों को पकड़ा नहीं जा पा रहा है। साइबर थाने में थाना प्रभारी के अलावा एक इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर, 14 सिपाहियों व सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रै¨कग नेटवर्क सिस्टम) सॉफ्टवेयर पर मुकदमा लिखने के लिए एक कंप्यूटर ऑपरेटर को तैनात किया गया था।

क्या आया आदेश?

पिछले दिनों शासन की ओर से नया आदेश जारी हुआ। इसमें थाना प्रभारी, दो सब इंस्पेक्टर, तीन हेड कांस्टेबिल व सात सिपाहियों के पद और आउटसोर्सिंग से दो कंप्यूटर ऑपरेटर्स के पद स्वीकृत किए गए।

''मंडे को एक अतिरिक्त इंस्पेक्टर, कंप्यूटर ऑपरेटर व 7 सिपाहियों का ट्रांसफर हो गया। इससे सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर ऑपरेट करने के लिए कोई सिपाही नहीं बचा है। कंप्यूटर ऑपरेटर आने के बाद ही समस्या दूर होने की उम्मीद है.''

-जगदीश यादव, साइबर थाना प्रभारी

यह है तैनाती

पोस्ट कितनी जरूरत उपलब्ध

इंस्पेक्टर - 01 - 01

एसआइ - 02 - 02

हेड कांस्टेबिल- 03 - 00

सिपाही- 07 - 07

कंप्यूटर ऑपरेटर- 02- 00

Posted By: Inextlive