बहुत कम मुद्दे हैं जिन पर वामपंथियों और ममता बनर्जी की राय एक जैसी होती है. लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम बदले जाने के मुद्दे पर दोनों धुर विरोधियों की राय एक जैसी है.

त्रिणमूल काँग्रेस के इस इरादे के बाद कि वह पश्चिम बंगाल का नाम बदलने पर विचार कर रहे हैं, वामपंथी मोर्चे के अध्यक्ष बिमान बोस ने कहा है कि वह इस फ़ैसले का समर्थन करेंगे।

बोस का कहना है कि पश्चिम बंगाल अंग्रेज़ी के अक्षर डब्लू से शुरू होता है इसलिए तमाम बैठकों में उनके प्रतिनिधियों को सबसे बाद में बोलने का मौका मिलता है और तब तक अधिकतर श्रोता जा चुके होते हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए ममता बनर्जी ने मंत्रिमंडल में राज्य का नाम बदले जाने संबंधी प्रस्ताव पेश किया है और मुख्य सचिव से कहा गया है कि वह इस बारे मे सभी विचारों और सुझावों को इकट्ठा करें।

वामपंथी जब सत्ता में थे तब उन्होंने भी राज्य का नाम बदलने की मुहिम चलाई थी लेकिन तब बात आगे नहीं बढ़ पाई थी।

'नाम में क्या रखा है?'

पहले भी यह तर्क दिया जाता रहा है कि जब पूर्वी बंगाल को अब बाँगलादेश कहा जाने लगा है तो पश्चिम बंगाल को पश्चिम बंगाल कहने का अब औचित्य क्या है। बल्कि इससे एक तरह का भ्रम ही फैलता है क्योंकि पश्चिम बंगाल भारत के पूर्वी भाग में स्थित है।

भारत में पहले भी राज्यों के नाम बदले गए हैं। पहले कर्नाटक को मैसूर और तमिलनाडु को मद्रास कहा जाता था। भारत के पड़ोसी देशों बाँगलादेश और चीन ने भी अपनी राजधानियों पीकिंग और ढाका के हिज्जे बदले हैं।

कलकत्ता अब कोलकाता, मद्रास चेन्नई, पूना पुणे और बड़ोदा अब वडोदरा बन गए हैं। लेकिन नाम में क्या रखा है? बकौल शेक्सपियर गुलाब के फूल को अगर किसी और नाम से पुकारा जाए तो उससे उसकी ख़ुशबू तो कम हो नहीं जाएगी।

Posted By: Inextlive