- अगले एक महीने तक कीमतें कम होने के आसार नहीं, छू सकता है 100 रुपए प्रति किलो का आंकड़ा

-70 रुपए किलो के ऊपर पहुंची खुदरा कीमतें, कीमत सुनकर ही निकल रहे लोगों के आंसू

- देश की सबसे बड़ी मंडी नासिक में भी खत्म हो रहा स्टॉक, कालाबाजारी ने भी बिगाड़े हालात

वैसे तो प्याज काटने पर आंसू निकलते हैं लेकिन इस समय प्याज के रेट सुनकर ही लोगों के आंसू निकल रहे हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद प्याज की कीमतें बेलगाम होकर आसमान छू रही हैं। बीते एक से डेढ़ महीने के अंदर ही प्याज की कीमतें तीन गुनी हो चुकी हैं। 25 रुपए किलो में मिलने वाला प्याज 70 रुपए के ऊपर पहुंच चुका है। पिछले एक हफ्ते में ही कीमत 15 से 20 रुपए प्रति किलोग्राम बढ़ चुकी हैं। जानकारों का मानना है कि अगले एक महीने तक कीमतों में राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। बल्कि रेट बढ़कर 100 रुपए किलो तक पहुंच सकते हैं। खरीफ की फसल आने पर ही कीमतें नीचे आएंगी।

दो साल के शिखर पर

प्याज के थोक विक्रेता राकेश कुमार बताते हैं कि एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव महाराष्ट्र में है। यहां प्याज की कीमतें दो साल के शिखर पर हैं। देश की कुल खपत का 70 से 80 फीसदी प्याज इसी मंडी से सप्लाई होता है। थोक बाजार में प्याज 60 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास है। वहीं रिटेल में प्याज की कीमत 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। प्याज की क्वालिटी के हिसाब से कीमत में 10 रुपए तक का अंतर है। प्याज की कीमतों में जुलाई से तेजी बनी हुई है। एक्सपर्ट बताते हैं कि केंद्र सरकार ने कीमतों पर लगाम लगाने के लिए प्याज इंपोर्ट के लिए टेंडर जारी किया है। इसके अलावा ट्रेडर्स अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत कई देशों से प्याज इंपोर्ट कर रहे हैं।

15 सितंबर के बाद आएगी नई फसल

थोक व्यापारी ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि प्याज की कीमतों में तेजी सितंबर के अंत तक बनी रहेगी। खरीफ सीजन की शुरुआती प्याज की फसल की आवक कर्नाटक में 5 सितंबर और पुणे में 15 सितंबर के आसपास होगी। इसके बाद ही प्याज की कीमतों में गिरावट आ सकती है। उत्पादन में कमी और प्याज का सीजन न होने के कारण जुलाई से सितंबर के दौरान सप्लाई कम रहती है। प्याज कारोबारी अजित शाह ने बताया कि मुख्य उत्पादन केन्द्र नासिक और धुले में प्याज का स्टॉक तेजी से घट रहा है। ऐसे में प्याज की कीमतें चालू स्तर से 20 रुपए प्रति किलो तक और बढ़ सकती है। ऐसे में महंगे प्याज से निजात के लिए अब भी डेढ़ से दो महीने इंतजार करना पड़ेगा। शाह के मुताबिक चालू मानसून सीजन के दौरान प्याज के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र महाराष्ट्र में औसत से कम बारिश हुई है। जिसका नकारात्मक असर खरीफ की फसल पर पड़ेगा।

क्वालिटी पर भी पड़ा है फर्क

इस साल खरीफ प्याज की आवक में देरी का भी खतरा है। उन्होंने बताया कि इस साल मंडियों में आवक कमजोर है और क्वालिटी भी खराब है। उत्पादन कम होने की वजह से प्याज की आवक पिछले साल के मुकाबले करीब 70 फीसदी कम है। इसके कारण डिमांड-सप्लाई का गैप बढ़ गया है। उन्होंने बताया मीडियम प्याज 5400 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से थोक बाजार में बिक रहा है। पिछले साल अगस्त में प्याज की कीमत 1675 रुपए प्रति क्विंटल थी। महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में प्याज महंगा हो गया है। इसकी वजह से प्याज की कीमतों में तेजी आई है।

Posted By: Inextlive