कोरोना वायरस की सेकेंड वेव में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी ने बड़ी तबाही मचाई थी. ऑक्सीजन न मिलने से सैकड़ों मरीजों ने घरों और अस्पताल की चौखट पर दम तोड़ दिया था. अब कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से थर्ड वेव का खतरा मंडरा है.आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ भी तीसरी लहर की संभावना जता रहे हैं. ऐसे में इस बार ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े इसके लिए ऑक्सीजन का भरपूर इंतजाम किया गया है. सेकेंड वेव के बाद शहर में सरकारी अस्पतालों में 10 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्वीकृत किए गए. जिसमें से 9 प्लांट चलने लगे हैं. जबकि हैलट के न्यूरो कोविड आईसीयू के लिए एक ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट आ गया है. उसका इंस्टालेशन होना अभी बाकी है.


कानपुर (ब्यूरो) शहर के बड़े सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए वैकल्पिक इंतजाम किए गए हैं। ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाने के साथ ही सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की पुरानी व्यवस्था को भी जारी रखा गया है। 3 सीएचसी में जहां 250 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनाने की क्षमता वाले प्लांट लगाए गए हैं। वहीं 6 प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट क्षमता से ऑक्सीजन बना सकते हैं। हैलट इमरजेंसी के पास एक हजार लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनाने की क्षमता वाला एक प्लांट चालू हो चुका है।

अमेरिका से मंगाया प्लांट
सीएसआर के जरिए एक करोड़ की लागत से अमेरिका से एक ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट और मंगाया गया है। एलएलआर एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स के एसआईसी प्रो.आरके मौर्या बताते हैं कि अब अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई के तीन विकल्प है। ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था पहले से है। इसके अलावा लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट भी है और अब ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट भी लग गए हैं। ऐसे में ऑक्सीजन की क्षमता अब सरप्लस में है। एक और ऑक्सीजन प्लांट आ रहा है। साथ ही अब सभी वार्डों में पाइप्ड ऑक्सीजन सप्लाई देने के लिए काम चल रहा है। इसी तरह उर्सला अस्पताल में भी इनडोर और इमरजेंसी पेशेंट्स के लिए दो ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाए गए हैं।

Posted By: Inextlive