पूर्व सांसद और शौर्य चक्र विजेता रहे चौधरी हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मंडे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों को उनकी विचारधारा को लेकर आड़े हाथों लिया. साथ ही उन्हें समझाया कि विचारधाराओं से बड़ा देश है. आज के दौर में विचारधारा देश से ऊपर हो गई है. कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़े पीएम नरेंद्र मोदी 33 मिनट तक जुड़े रहे. मंच से ही पूर्व विधान परिषद सभापति व पूर्व राज्यसभा सांसद रहे सुखराम सिंह यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी को उनके गांव आने के लिए आमंत्रित किया तो पीएम के चेहरे पर भी मुस्कुराहट दिखाई दी.

कानपुर (ब्यूरो) प्रधानमंत्री ने चौधरी हरमोहन ङ्क्षसह यादव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपनी बात शुरू की तो पूरा पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति से बड़ा संगठन और संगठन से बड़ा देश होता है। सभी गैर कांग्रेसी दलों ने इस विचारधारा को अपनाया। 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध की बात हो या परमाणु विस्फोट की। सभी विपक्षी दल सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे, लेकिन जब लोकतंत्र को कुचलने के लिए आपातकाल लगाया गया तो हम सबने साथ में आकर लड़ाई लड़ी। उन्होंने साफ कहा कि देश विचारधाराओं से बड़ा है, लेकिन हाल के समय में विचारधारा के देश के ऊपर होने का चलन हो गया है। आज विपक्ष इसलिए अड़ंगे डाल रहे हैं क्योंकि जब वे सत्ता में थे तो क्रियान्वयन नहीं किया और अब जब क्रियान्वयन हो रहा है तो वे विरोध कर रहे हैं। देश के लोग इसे पसंद नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का विरोध, दल का विरोध देश के विरोध में नहीं बदलना चाहिए क्योंकि देश सबसे पहले है।

14 मिनट बोले पीएम मोदी
अपने 14 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने जब भी चौधरी हरमोहन ङ्क्षसह यादव और उनके परिवार का नाम लिया वहां मौजूद लोगों ने खूब तालियां बजाईं। उन्होंने कहा कि आज इस मौके पर उनकी खुद आने की इच्छा थी लेकिन देश के लिए बड़ा लोकतांत्रिक दिवस था। आज राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण था और आदिवासी समाज की महिला राष्ट्रपति बनीं। यह हमारे लोकतंत्र की ताकत है। दिल्ली में आयोजन था, इसलिए संवैधानिक दायित्वों की पूर्ति के लिए उनका दिल्ली में रहना जरूरी था।

लोहिया के विचारों को फैलाया
चौधरी हरमोहन ङ्क्षसह यादव को याद करते हुए उन्होंने कहा कि शरीर जाने के बाद भी जीवन समाप्त नहीं होता। आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश नारायण की याद करते हुए उन्होंने कहा कि लोहिया के विचारों को ही हरमोहन ङ्क्षसह यादव ने कानपुर में फैलाया। ग्राम पंचायत से लेकर उन्होंने राज्यसभा तक का सफर तय किया। 1984 के सिख विरोधी दंगों में हरमोहन ङ्क्षसह यादव ने अपनी जान पर खेल कर भी सिखों की रक्षा की। इसके लिए उन्हें शौर्य चक्र भी मिला। हरमोहन ङ्क्षसह यादव शिक्षा को सबसे जरूरी मानते थे और आज उनके कामों को उनके बेटे सुखराम ङ्क्षसह यादव और पुत्र मोहित यादव आगे बढ़ा रहे हैं। इस मौके पर देश भर से अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के पदाधिकारी भी जुटे थे।

पुस्तक का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान यदुकुल शिरोमणि पुस्तक का भी विमोचन हुआ। जिसमें गोरखपुर के श्रीराम जन्म यादव योगी के कई मिनट चले शंखनाद ने लोगों में उत्साह भरा.कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, एमएसएमई मंत्री राकेश सचान, पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, महापौर प्रमिला पांडेय, हरमोहन ङ्क्षसह यादव जनकल्याण समिति के अध्यक्ष मोहित यादव भी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive