-शहर में आबादी के बीच बनेंगे वेटलैंड

-वेटलैंड तैयार करने के लिए जगह की तलाश शुरू, लॉन्ग टर्म और शॉर्टटर्म योजना भी तैयार

-शहर की एयर क्वॉलिटी होगी बेहतर, लोगों के लिए टूरिस्ट स्पॉट के रूप में काम करेग वेटलैंड

KANPUR: इकोलॉजी सिस्टम का बैलेंस किसी भी सिटी के वातावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि सिटी में लगातार वेटलैंड की अनदेखी होती रही है। हालांकि अब प्रशासन ने इसके लिए तैयारी करना शुरू कर दिया है। शहर की आबादी के बीच में वेटलैंड्स को इस प्रकार डेवलप किया जाएगा कि वो लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन जाए और एन्वॉयरमेंट को भी इसका सीधा लाभ मिले। यहां घूमकर लोग खुद को स्ट्रेस फ्री भी महसूस कर सकें।

मॉनसून का पानी सहेजेंगे

जलशक्ति अभियान के तहत वेटलैंड बनाने के लिए लॉन्ग और शॉर्ट टर्म योजना तैयार की गई है। इसके तहत नदियों और मॉनसून में बारिश को सहेज कर वेटलैंड एरिया डेवलप किए जाएंगे। इन्हें इस कदर तैयार किया जाएगा कि यहां लोग घूमने और टहलने भी आ सकेंगे। पॉल्यूशन, टेंप्रेचर कम करने में भी काफी मददगार साबित होंगे।

चिन्हित किए जाएंगे स्थान

नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के डायरेक्टर जनरल राजीव रंजन मिश्रा ने जलशक्ति अभियान के तहत वेटलैंड चिन्हित और डेवलप करने के निर्देश दिए हैं। एनएमसीजी के निर्देश पर नमामि गंगा के स्पेशल सेकेट्री राजेश कुमार पांडेय ने कानपुर समेत यूपी के सभी डीएम को इसको लेकर कार्ययोजना भेजी है। इसके तहत शॉर्ट टर्म योजना के तहत कानपुर में इसको लेकर काम शुरू कर दिया गया है। बीते दिनों व‌र्ल्ड वेटलैंड डे के मौके पर कमिश्नर ने कानपुर जू का निरीक्षण कर यहां बने वेटलैंड एरिया को मॉडल मानकर शहर के अन्य जगहों पर वेटलैंड तैयार करने के निर्देश दिए थे।

वेटलैंड के ये अच्छे विकल्प

मसवानपुर स्थित मामा का तालाब और मंगला विहार स्थित तालाब वेटलैंड के लिए अच्छे ऑप्शन हो सकते हैं। नगर निगम इनका मेंटेनेंस भी करने जा रहा है। आईआईटी इनकी डिजाइन तैयार कर रही है। इसके अलावा 70 लाख रुपए से नगर निगम 10 अन्य तालाबों का भी ब्यूटीफिकेशन कराने जा रहा है। फिलहाल कानपुर में सीएसए और कानपुर जू में वेटलैंड एरिया हैं।

क्या होते हैं वेटलैंड?

-नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को वेटलैंड कहा जाता है। दरअसल, वेटलैंड वे क्षेत्र होते हैं, जहां भरपूर नमी पाई जाती है।

-वेटलैंड पानी को पॉल्यूशन फ्री बनाते हैं। यहां पूरे साल या आंशिक तौर पर हमेशा पानी बना रहता है। यह ग्राउंड वाटर रिजार्जिग का जरिया भी बनेंगे।

-इनके बनने से आसपास ग्रीनरी भी आसानी से डेवलप होती है और टेंप्रेचर और पॉल्यूशन को कम करने में कारगर हैं।

डिस्ट्रिक्ट गंगा कमेटी के कार्य

फरवरी से अपै्रल- डेवलपिंग बेसलाइन (जगह चिन्हित)

अप्रैल से मई- रैपिड असेस्मेंट ऑफ वेटलैंड कंडीशन

मई- आईडेंटिफाइंग मैनेजमेंट एक्शन

अगस्त से सितंबर- रैपिड असेस्मेंट ऑफ वेटलैंड कंडीशन

अक्टूबर- वेटलैंड कंडीशन की जांच व हेल्थ ि1रपोर्ट

वेटलैंड बनाने के लिए शॉटर् टर्म प्लान

-अर्बन वाटर बॉडीज को चिन्हित करना

-वेटलैंड की बाउंड्री का चिन्हिकरण

-आसपास अतिक्रमण हटाया जाना

-कनेक्टिंग चैनल्स को तैयार करना

-आसपास हार्मफुल वेजीटेशन को दूर करना

-वेटलैंड के आसपास कूड़े का हटाना

-प्लांटेशन कर जगह को हरा-भरा बनाना

-वेटलैंड एरिया को पोष्ि1ात करना

वेटलैंड का लोगों पर पड़ेगा ये असर

- एयर क्वॉलिटी को बेहतर करेगा

-ग्राउंड वाटर लेवल रीचार्ज होगा

-लोगों के लिए नेचुरल ग्रीन स्पेस बनेगा

-शहरों के टेम्परेचर को कम करने में हेल्पफुल

-टूरिज्म के लिहाज से रेवेन्यू जेनरेशन का सोर्स

अर्बन एरियाज में वेटलैंड डेवलप करने के लिए स्थान चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं। इनकी उपयोगिता और इसका लाभ लोगों को मिले, इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

-डॉ। राज शेखर, कमिश्नर, कानपुर मंडल।

Posted By: Inextlive