-रूरल एरियाज के घाटों पर लकड़ी की शॉर्टेज, ड्योढ़ी घाट पर अंतिम संस्कार के लिए खुद लकड़ी लेकर पहुंच रहे हैं परिजन

-बिठूर घाट पर 100 से ज्यादा की वेटिंग मिल रही, पनकी और कल्याणपुर में ही बामुश्किल मिल पा रही लकड़ी

केस-1

बिठूर घाट पर 100 वेटिंग

पनकी निवासी अरविंद त्रिवेदी की मां का देहांत कोविड-19 की चपेट में आने से हो गया। बिठूर घाट पर 100 की वेटिंग और मंधना स्थित घाट पर लकड़ी नहीं मिली। मजबूरी में उन्हें ड्योढ़ी घाट जाना पड़ा, वहां स्थित उनके परिजनों ने गांव में लकड़ी का जुगाड़ किया, तब जाकर शव का अंतिम संस्कार हो सका। सुबह से अंतिम संस्कार के लिए परेशान परिजन रात को 8 बजे अंतिम संस्कार कर पाए।

केस-2

24 घंटे बाद भैरवघाट में अंतिम संस्कार

कोविड के लक्षणों के चलते विनायकपुर निवासी वृद्ध का देहांत हो गया। पुत्र राजीव शुक्ला ने बताया कि अचानक पिता का देहांत होने से भैरवघाट गए तो पता चला कि शाम तक नंबर आएगा। बिठूर और ड्योढ़ी घाट में भी यही हाल था। कई लोगों ने बताया कि वहां लकड़ी भी खुद ही लेकर जानी पड़ेगी। इसलिए गया ही नहीं मजबूरी में 24 घंटे बाद भैरवघाट में अंतिम संस्कार कराया। सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार हो सका।

सरकारी आंकड़ों का खेल

सरकारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या भले बेहद कम हो, लेकिन घाटों पर शवों की 'भीड़' हालात कुछ और बयां कर रहे हैं। आलम ये है कि रूरल एरियाज के घाटों में लकड़ी तक नहीं बची है, जहां लकड़ी हैं भी वहां 10 घंटे से ज्यादा तक की वेटिंग है। भैरवघाट और भगवतदास घाट में सैकड़ों की संख्या में रोजाना अंतिम संस्कार हो रहे हैं। आलम ये है कि लोग सुबह बॉडी लेकर आ रहे हैं तो दोपहर बाद उनका नंबर आ रहा है। इससे लोग रूरल एरियाज में बने घाटों का रुख कर रहे हैं। वहां भी अंतिम संस्कार के लिए घंटों की वेटिंग मिल रही है।

शहर के घाटों में भी वेटिंग

कानपुर जिले में 10 प्रमुख घाटों पर अंतिम संस्कार किए जाते हैं। अर्बन एरिया में 4 और रूरल एरिया में 6 घाट आते हैं। सभी घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए लंबी वेटिंग मिल रही है। भैरवघाट और भगवतदास घाट पर नगर निगम फ्री में लकड़ी उपलब्ध करा रहा है। स्वर्गाश्रम में अंतिम संस्कार के लिए 4 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। यहां लकड़ी की आपूर्ति बमुश्किल हो पा रही है। सिद्धनाथ घाट में लकड़ी की आपूर्ति बेहद मुश्किल से हो पा रही है। लकड़ी भी खत्म हो चुकी है। बीते दिनों बालयोगी अरुण चैतन्य पुरी डीएम को लेटर लिखकर इसकी जानकारी भी दे चुके हैं। वहीं बिठूर, ड्योढ़ी, नजफगढ़ घाट, गौशाला, नारायणपुर, डोमनपुर घाट में भी लकड़ी की आपूर्ति लगभग खत्म है।

विद्युत शवदाह गृह में 7 गुना बॉडी

मार्च के मुकाबले भैरवघाट और भगवतदास घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में मार्च के मुकाबले अप्रैल में 7 गुना तक शवों के दाह में बढ़ोत्तरी हो गई है। मार्च में 104 लोगों को अंतिम संस्कार किया गया, इसमें 14 कोरोना संक्रमित थे। जबकि 27 अप्रैल तक 700 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। 21 अप्रैल को सर्वाधिक 91 और 24 अप्रैल को 82 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है।

स्वर्गाश्रम का हाल बेहाल

घाटों पर कहीं भी कोविड रूल्स का पालन नहीं किया जा रहा है। कोरोना संक्रमित से मरने वाली बॉडी को भी परिजन खुद की घाट तक लेकर और चिता के ऊपर रख रहे हैं। घाटों पर कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। स्वर्गाश्रम में एक के पीछे एक बॉडी रखी जा रही हैं। छोटी जगह में एक साथ 25 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। चिताओं के बीच में महज 1 मीटर की दूरी भी नहीं रखी जा रही है और एक साथ चिताएं सजने के बाद उनका एक साथ ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इससे भारी अव्यवस्था का आलम बना हुआ है।

नगर निगम कर रहा आपूर्ति

भैरवघाट और भगवतदास घाट पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध करवा रहा है। सीतापुर और घाटमपुर से बमुश्किल लकड़ी की आपूर्ति हो पा रही है। चीफ इंजीनियर एसके सिंह के मुताबिक लकड़ी की कमी नहीं हो दी जा रही है, आपूर्ति बनी हुई है। लकड़ी लाने में समस्या तो बनी हुई है। वहीं पनकी और कल्याणपुर स्थित लकड़ी की दुकानों में लकड़ी की भारी किल्लत बनी हुई है।

Posted By: Inextlive