kanpur@inext.co.in kanpur : लखनऊ में मिनहाज क्भ् साल से रह रहा था. उसे अलकायदा से जुड़े हुए क्क् साल हो गए थे. कुछ साल तो मिनहाज स्लीपर सेल रहा उसके बाद उसने अलक

- लंबे समय से शहर में आतंक की जड़ें मजबूत करने में लगा है अलकायदा

- वीवीआईपी के कानपुर आने के दौरान भी मसरुद्दीन की मिली थी लोकेशन

>kanpur@inext.co.in

KANPUR : लखनऊ में मिनहाज क्भ् साल से रह रहा था। उसे अलकायदा से जुड़े हुए क्क् साल हो गए थे। कुछ साल तो मिनहाज स्लीपर सेल रहा, उसके बाद उसने अलकायदा ज्वाइन कर लिया। नौकरी से निकाले जाने के बाद वह फुल टाइम आतंकी संगठन के लिए काम करने लगा था। बीते तीन साल में उसकी मुलाकात संगठन के बड़े लोगों से हुई और उसे बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई। इस दौरान वह पड़ोसी मुल्क गया या नहीं, इसकी जानकारी की जा रही है। फिलहाल मिनहाज के पासपोर्ट पर कोई वीजा नहीं मिला है।

धमाके की ली थी ट्रेनिंग

एटीएस पूछताछ में जानकारी मिली है कि इन आतंकियों की ट्रेनिंग श्रीनगर के इलाकों में हुई थी। अपनी पहचान छिपा कर किसी तरह रेकी की जाती है? कुकर बम कैसे बनाया जाता है? मानव बम में क्या क्या जरूरत होती है? इन सभी चीजों की ट्रेनिंग दी गई। तीन महीने की ट्रेनिंग में अपनी पहचान छिपाकर किस तरह धमाका करना है? इसकी भी ट्रेनिंग दी गई थी। ट्रेनिंग के बाद वह शांतिपूर्वक लखनऊ में रहकर बड़े धमाके की योजना बना रहा था। ख्0ख्0 में लॉकडाउन के दौरान भी धमाके की योजना थी लेकिन पुलिस की अलर्टनेस से मिनहाज आतंक के सामान को लेकर लखनऊ से निकल नहीं पाया।

मसीरुद्दीन ने बनाए थे नक्शे

एटीएस सूत्रों की माने तो मसीरुद्दीन नक्शे बनाने का एक्सपर्ट है। कानपुर में वह मिनहाज के साथ 9 दिन रुका था। इस दौरान इन लोगों ने बाइक से न सिर्फ रक्षा प्रतिष्ठानों की रेकी की बल्कि वहां से ड्यूटी ऑफ कर लौट रहे लोगों से बातचीत भी की। संस्थानों का ज्योग्राफिकल नॉलेज लिया और नक्शे तैयार कर लिए। अलकायदा संगठन को भी इन लोगों ने नक्शे भेजे हैं। एक धमाके का प्लान भी पास हो कर आ गया था, लेकिन वह धमाका कहां होना था? इसे एटीएस ने गुप्त रखा है। एक वीवीआईपी के आने के दौरान भी मसीरुद्दीन की लोकेशन कानपुर में पाई गई थी। लेकिन अभेद्य सुरक्षा की वजह से वह उन स्थानों तक नहीं पहुंच सका, जहां वीवीआईपी मूवमेंट था।

मई में धमाकों का था प्लान

अलकायदा समर्थित अंसार गजवातुल हिंद से जुड़े आतंकी मिनहाज अहमद और मसीरुद्दीन ने अपने आकाओं के हुक्म पर मई में सूबे के कई शहरों में धमाकों की योजना बनाई थी। इसके लिए उसने मानव बम के लिए उन्नाव निवासी शाहिद और शहर के कई अन्य युवाओं को तैयार कर लिया था। मई में बढ़ते कोरोना संक्त्रमण के चलते जब लॉकडाउन हुआ तो आतंकियों ने प्लान चेंज कर दिया। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के आस पास धमाके की रणनीति तैयार की। इस दौरान मिनहाज अहमद और मसीहुद्दीन ने घर पर ही कुकर बम बनाना शुरू कर दिया।

Posted By: Inextlive