सुनने में ये शब्द जरूर अजीब लगेगा लेकिन आतंक की भाषा में ये प्लान सबसे सुरक्षित माना जाता है. एटीएस सूत्रों की माने तो जो नया व्यक्ति संगठन में शामिल होता है. उसे इस प्लान की जानकारी दी जाती है. इस कला में कम उम्र में सैफुल्ला पारंगत हो गया था. इस प्लान में फिजिक्स भौतिक विज्ञान के दो शब्द रियल और वर्चुअल बहुत काम आते हैैं. सैफुल्ला ने कट्टरपंथ का प्रचार-प्रसार करने के लिए वर्चुअल नाम से आईडी बनाकर लोगों को जोडऩा शुरू किया. इसमें दोस्त ही वर्चुअल आभासी नहीं बल्कि मोबाइल नंबर भी आभासी हैं. यानी ऐसा जाल बुना जिसमें अगर तह में उतर कर जांच न की जाए तो इसमें कौन-कौन शामिल हैं उसका पता चलाना मुश्किल है.

कानपुर (ब्यूरो) फतेहपुर से गिरफ्तार किए गए आतंकी सैफुल्लाह के मोबाइल और पास मिले सिम से तमाम राज सामने आए हैैं। मोबाइल फोन में आतंकियों की पकड़े जाने की समाचार पत्रों की कटिंग और जेहादी सामग्री मिली है। शुरुआती जांच में आतंकी समूह के इस तबके (जैश-ए- मोहम्मद) से कानपुर के भी रिश्ते सामने आए हैं। सैफुल्ला के सेलफोन में दर्ज संदिग्ध कार्रवाई वाले वाट््सएप ग्रुप में दो दर्जन नंबर ऐसे मिले हैं, जिनका कनेक्शन कानपुर से होने की पूरी आशंका है।

बस से आता था स्लीपर सेल्स से मिलने
सैफुल्ला के कानपुर आने और यहां के स्लीङ्क्षपग माड्यूल से मिलने की सूचनाएं मिली हैं। ये भी बताया गया कि वह अपने लोगों से मिलने के लिए रोडवेज बस से आता था और फकीरों के बीच में बैठकर बात करता था, इसलिए किसी को भी उनकी बातचीत पर शक नहीं होता था। साथ ही दो दर्जन वाट््सएप ग्रुप से जिन 400 संदिग्ध लोगों को आतंकी गतिविधियों में शामिल माना गया है, उनमें से कई कानपुर के हैं। हालांकि अब तक इनके वास्तविक नाम व पते तक एटीएस नहीं पहुंच सकी है। एटीएस सूत्रों की माने तो सैफुल्ला के पकड़े जाने के बाद से लगातार ये सारे नंबर बंद आ रहे हैैं।

तुम नहीं झुका पाओगे
एटीएस की इनवेस्टिगेशन में सैफुल्ला किसी प्रोफेशनल आतंकी की तरह पेश आया। सूत्रों की माने तो इनवेस्टिगेशन के दौरान ये नहीं लगा कि ये आतंक से जुड़ा कोई नया युवक है। जबकि असलियत ये है कि नूपुर शर्मा के बयान के बाद ही सैफुल्ला ने कड़ाई से आतंक का रास्ता अख्तियार किया था। फतेहपुर के एड्रेस पर सैफुल्ला ने पासपोर्ट के लिए भी एप्लाई किया था, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि उसे 15 अगस्त पर गड़बड़ी करने का टारगेट दिया गया था। इसके बाद उसे ट्रेनिंग के लिए पड़ोसी देश के समर्थित कैम्पों में जाना था।

सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट
स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों को सतर्क किया गया। गौरतलब है कि शहर के आर्यनगर, रावतपुर गांव, जाजमऊ, काकादेव, कल्याणपुर व मुस्लिम इलाकों से आतंकियों का कनेक्शन है। सिमी, पीएफआई, दावत-ए-इस्लामी समेत कई अन्य आतंकी मुस्लिम संगठनों के सदस्य शहर में सक्रिय हैं।

13 सालों में शहर से पकड़े गए आतंकी
- 11 सितंबर 2009 को आइएसआई एजेंट इम्तियाज सचेंडी से गिरफ्तार।
- 27 सितंबर 2009 को बिठूर से आईएसआई एजेंट वकास पकड़ा गया।
- 18 सितंबर 2011 को आईएसआई एजेंट फैसल रहमान रेलबाजार से अरेस्ट
- जुलाई 2012 में सेंट्रल रेलवे स्टेशन से फिरोज को गिरफ्तार किया गया।
- अप्रैल 2014 में पटना में विस्फोट करने वाले आतंकी को पनकी से पकड़ा।
- मार्च 2017 में भोपाल में ब्लास्ट करने वाले खुरासान माड््यूल के तीन आतंकी पकड़े
- वर्ष 2017 में जाजमऊ में सैफुल्लाह के साथी अफीकुर्रहमान गिरफ्तार।

27 सालों में शहर की चर्चित आतंकी घटनाएं
- 1995 में घंटाघर चौराहा पर साइकिल में लदे बमों से विस्फोट।
- 2001 में आर्य नगर चौराहा पर एक मकान में हुआ कुकर बम ब्लास्ट।
- 2006 में रोशन नगर में बम ब्लास्ट।
- 2008 में राजीव नगर में बम ब्लास्ट।
- 2009 में नजीराबाद में विस्फोट।
- 2010 में कल्याणपुर के बारासिरोही में बम ब्लास्ट।
- 2011 में रावतपुर से किदवई नगर जाने वाले टेम्पो में टिफिन बम मिला।

Posted By: Inextlive