- दोनों को कंसेंट के लिए राजी करेगी एटीएस, संदिग्धों के कानपुर कनेक्शन के खुलेंगे राज

- फंडिंग और हेल्प करने वालों पर गिरेगी गाज, कानपुर क्राइम ब्रांच करेगी एटीएस की हेल्प

kanpur : कानपुर में आतंक का नेटवर्क फैलाने वाले शकील और मिनहाज एटीएस की कड़ी पूछताछ के बाद भी कानपुर कनेक्शन और कुछ जरूरी प्वाइंट्स पर जवाब नहीं दे रहे हैं, हालांकि बहुत सारी जानकारी एटीएस की इनवेस्टिगेशन विंग को मिल गई है, लेकिन उमर हलमंडी की लोकेशन टीम को नहीं मिल पा रही है। इस समय एजेंसियों को ऑपरेशन हलमंडी दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियों की माने तो हलमंडी ने अपना ठिकाना पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर बना रखा है। इन दिनों हलमंडी की लोकेशन यूपी में बताई गई है। इस जानकारी को पता करने के लिए एटीएस ने पांचों संदिग्धों के पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन दी थी। जिसमें मिनहाज और शकील के लिए मंजूरी मिल गई है। अब टीम दोनों की कंसेट मिलने पर लैब में इनका पॉलीग्राफी टेस्ट कराएगी।

क्वेश्चनायर भी तैयार करा लिया

एटीएस सूत्रों के मुताबिक इनवेस्टिगेशन विंग और दूसरी एजेंसियों से क्वेश्चनायर भी तैयार करा लिया गया है। जिन जिलों के संपर्क और नाम रिमांड से पहले पूछताछ में सामने आए थे। उन जिलों के संबंध में रिमांड के दौरान जानकारी न होने की बात शकील और मिनहाज ने कही है। वहीं मुस्तकीम, जैद और मसीरुद्दीन ने बयानों में साफ कहा है कि उमर हलमंडी की जो भी जानकारी है वह शकील और मिनहाज के पास है। इनसे टेस्ट के दौरान कानपुर, मथुरा और अयोध्या की जानकारी ली जाएगी। एटीएस के मुताबिक अगर सब कुछ सही रहा तो रिमांड के तुरंत बाद इस टेस्ट को कराया जाएगा। जिससे टारगेट के लिए जो समय दिया गया है, उसके अंदर ही जरूरी जानकारियां मिल जाएं।

(बाक्स बनाएं)

कैसे होता है पॉलीग्राफी टेस्ट

जब किसी व्यक्ति का लाई डिटेक्शन (पॉलीग्राफी) टेस्ट किया जाता है तो उसके साथ 6 सेंसर अटैच किए जाते हैं। पॉलीग्राफ टेस्ट में स्फिग्मोमैनोमीटर, न्युमोग्राफ और इलेक्ट्रोड मशीनों का उपयोग किया जाता है। इन मशीनों के जरिए टेस्ट से गुजर रहे व्यक्ति के शारीरिक क्त्रियाओं जैसे ब्लड प्रेशर, सांस लेने की गति, पल्स रेट, शरीर से निकल रहे पसीने का डेटा रिकॉर्ड किया जाता है। कभी-कभी पॉलीग्राफ मशीन व्यक्ति के हाथ और पैरों की मूवमेंट को भी रिकॉर्ड करती है। सबसे पहले जांचकर्ता व्यक्ति से सामान्य प्रश्न पूछते हैं, आमतौर पर आदमी इन प्रश्नों के उत्तर सच ही देता है। इस दौरान व्यक्ति की शारीरिक क्त्रियाओं को रिकॉर्ड किया जाता है। फिर मुद्दे से जुड़े कड़े सवाल पूछे जाते हैं और पॉलीग्राफ मशीनों के जरिए शारीरिक क्त्रियाओं को रिकॉर्ड किया जाता है। आमतौर पर अगर व्यक्ति किसी प्रश्न का उत्तर गलत दे रहा है या झूठ बोल रहा है तो उस दौरान उसका ब्लड प्रेशर, सांस लेने की गति, पल्स रेट हाई रहता है। स्पेशलिस्ट सामान्य प्रश्नों के दौरान व्यक्ति की शारीरिक क्त्रियाओं और मुद्दे से जुड़े प्रश्नों के दौरान की शारीरिक क्त्रियाओं के पॉलीग्राफ मशीन में रिकॉर्ड डेटा का परीक्षण कर रिजल्ट देते हैं।

------------------------------------------

अब तक इन बिंदुओं पर हुई पूछताछ

एटीएस प्रतिदिन हुई पूछताछ के दौरान बयान रिकार्ड कर रही है। साथ ही इनके मैनुअल बयान भी लिए जा रहे हैं। एटीएस सूत्रों की माने तो अभी तक परिवार, साथियों, ट्रेनिंग, वारदातों में संलिप्तता, संगठन, टारगेट, साथियों, रिश्तेदारों, इनकम, एक्सपेंसेज, जो सामान बरामद हुआ उससे जुड़े, स्लीपर सेल्स, गनपाउडर, पिस्टल, प्रेशर कुकर से जुडे़ लोगों की जानकारी ली गई है। इस बात की जानकारी भी ली गई कि किस तरह लोगों का ब्रेनवॉश किया जाता है। इस पूरी पूछताछ में एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि ब्रेनवॉश करने के लिए आतंक फैलाने वालों की स्पेशल विंग होती है। जिसमें अलग-अलग ग्रेड के लोग होते हैं। संगठन में शामिल होने वाले किस ग्रेड के हैं? उनका ट्रेनर भी उसी ग्रेड का होता है।

मानव बम के मामले में भरी हामी

पकड़े गए शकील और मिनहाज ने बताया कि मानव बम बनने के लिए कम लोग तैयार होते हैं। धर्म के नाम पर काम करने वाले ही इस काम को अंजाम देते हैं। इसके लिए उन लोगों को तलाशा जाता है जो एग्रेसिव होते हैं। कभी कभी ऐन मौके पर जब मानव बम बनने वाला दहशत से मना कर देता है तो उसे दूसरे प्रदेश में ले जाकर मार दिया जाता है। इसकी वजह ये होती है कि उसको संगठन के विषय में बहुत जानकारी हो चुकी होती है। इन लोगों को खुला नहीं छोड़ा जाता, बल्कि इनकी हर छह घंटे में क्लॉस होती है। मिनहाज के मुताबिक उसके माध्यम से करीब 15 लोग भेजे गए थे। जिनका आज तक पता नहीं चला है। ट्रेनिंग के दौरान उनका क्या किया गया? इन दिनों उनके हालात क्या हैं? वे जिंदा हैं भी या नहीं इसका भी कुछ पता नहीं है।

Posted By: Inextlive