kanpur@inext.co.in kanpur : एक बार फिर पाकिस्तान की धूर्तता और घिनौनी

- जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में एलओसी पर गोलीबारी में नौबस्ता निवासी त्रिवेद प्रकाश सहित सेना के 5 जवान शहीद

-संडे देर रात बेटे की शहादत की खबर मिलते ही घर पर मचा कोहराम, ट्यूजडे को फतेहपुर स्थित गांव पहुंचेगा पार्थिव शरीर

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KANPUR : एक बार फिर पाकिस्तान की धूर्तता और घिनौनी करतूत का मुंहतोड़ जवाब देने में सीमा पर सेना के पांच जवान शहीद हो गए। इन शहीदों में शहर के आवास विकास नौबस्ता निवासी त्रिवेद प्रकाश का भी नाम है। संडे देर रात क्क् बजे जब त्रिवेद के शहीद होने की खबर परिजनों को मिली तो घर में कोहराम मच गया। बुजुर्ग माता-पिता इकलौते बेटे की शहादत पर बिलख उठे। त्रिवेद की शहादत की खबर सुनते ही पड़ोसी और रिश्तेदार भी पहुंच गए। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि कुछ दिन पहले ही साथ में होली मनाने का वादा करके जाने वाले त्रिवेद ने इतनी छोटी सी उम्र में देश की सरहद की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए। शहीद का पार्थिव शरीर ट्यूजडे सुबह तक गांव पहुंचने की सूचना है।

ख्0क्भ् में भतर्ी हुए थे

मूलरूप से फतेहपुर निवासी अरुण कुमार तिवारी के सबसे छोटे बेटे त्रिवेद प्रकाश सेना की म्आरआर बटालियन पैरंट यूनिट फ्फ्ख् मीडियम रेजीमेंट में तैनात थे। वे ख्0क्भ् में नासिक महाराष्ट्र से सेना में भर्ती हुए थे। मौजूदा समय में उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में एलओसी पर थी। जहां पर हुई गोलीबारी में उनके शहीद होने की सूचना संडे की रात घर वालों को मिली।

इस शहादत पर गर्व है

चचेरे भाई राजा ने बताया कि त्रिवेद के पिता अरुण कुमार तिवारी भी सेना से रिटायर्ड जवान हैं.मां प्रेमा देवी गृहणी हैं। त्रिवेद पांच भाइयों में सबसे छोटा था। बड़े भाई शिवमोहन, हरमोहन गांव में रहते हैं। तीसरे नंबर के भाई वेद प्रकाश संयुक्त शिक्षा निदेशक कानपुर मंडल कार्यालय में लिपिक हैं। उनसे छोटे देव प्रकाश सेना क्म् मीडियम रेजीमेंट में जयपुर में तैनात हैं। देश के लिए त्रिवेद की शहादत पर परिवार को गर्व है। त्रिवेद ने यशोदानगर के आरपीएम इंटर कॉलेज से पढ़ाई की थी। त्रिवेद की मौत की खबर सुनते ही कॉलेज में भी शोक की लहर दाैड़ गई।

शादी की तैयारी में थे परिजन

त्रिवेद के परिवार वाले उनकी शादी की तैयारी कर रहे थे। होली की छुट्टी में आने पर उनका रिश्ता तय होना था। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। सबसे छोटा बेटा होने की वजह से त्रिवेद परिवार में सबके लाडले थे। जिसने भी त्रिवेद के शहीद होने की खबर सुनी, वो उसके घर की तरफ चल दिया। कुछ दोस्तों से होली पर वादा पूरा करने के लिए कहा था तो परिवार की कुछ जरूरतें भी पूरा करने का वादा किया था।

Posted By: Inextlive