- नशे की लत छुड़वाने के लिए शहर में चल रहे हैं कई केंद्र, लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति से ही हासिल हो सकती है एडिक्शन पर जीत

-एक्सपट्स के मुताबिक, नशे की लत भी एक तरह की मानसिक बीमारी, छोड़ने के लिए एडिक्ट को कई स्टेजेस से पड़ता है गुजरना

KANPUR: ड्रग्स की लत लग जाने के बाद उससे बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इच्छाशक्ति मजबूत हो तो जीत तय है। नशे को छोड़ने के प्रयासों में कई बार एडिक्ट को मेडिकल ट्रॉमा की स्थितियों से गुजरना पड़ता है। नशे से मुक्ति दिलाने का काम नशा मुक्ति केंद्र व रिहैबिलेटेशन सेंटर्स पर होता है। कानपुर में ऐसे एक दर्जन से ज्यादा केंद्र हैं। इसके अलावा प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले कुछ साइक्रियाटिस्ट भी नशा मुक्ति के लिए मेडिकेशन की सुविधा देते हैं। इन डॉक्टर्स का साफ कहना होता है कि नशे की लत को छुड़ाने में काफी वक्त लगता है। इसमें कई दवाएं यूज की जाती हैं। जिनका दिमाग पर असर पड़ता है। ऐसे में नशे की लत छोड़ने में सबसे जरूरी चीज ड्रग एडिक्ट की इच्छाशक्ति ही होती है। जिसके जरिए वह नशे की अपनी लत पर जीत पा सकता है।

कई तरह के बदलाव आते

कानपुर में मानसिक रोग कार्यक्रम से जुड़े डॉ। चिरंजीव बताते हैं कि नशे की लत भी एक तरह की मानसिक बीमारी होती है। ऐसे में उसे छुड़ाने की एक पूरी प्रक्रिया होती है। जिसमें कई स्टेजेस से ड्रग एडिक्ट को गुजरना पड़ता है। कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ वक्त तक नशे की लत छूट जाए, लेकिन वह दोबारा नशे का लती न बने इसके लिए उसकी इच्छाशक्ति पर ही काफी कुछ निर्भर रहता है। साथ ही इसे छुड़ाने के लिए होने वाला ट्रीटमेंट भी लंबा है। इस दौरान पेशेंट के बिहेवियर में कई तरह के बदलाव भी आते हैं जिसे फैमिली के सपोर्ट से और खुद उस ड्रग एडिक्ट को अपनी इच्छाशक्ति के जरिए ही कंट्रोल करना होता है।

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Posted By: Inextlive