- आतंकी कनेक्शन में एटीएस ने खाते सीज कर शहर के छह हवाला कारोबारियों को राडार पर लिया

- स्लीपर सेल्स की कमर तोड़ने की कवायद, करेंसी एक्सचेंज करने वालों के अकाउंट्स की जांच शुरू

KANPUR : यूपी से आतंक को जड़ से मिटाने के लिए अब एटीएस ने संदिग्धों और स्लीपर सेल की कमर तोड़ना शुरू कर दिया है। कानपुर में संदिग्धों से जुड़े लोगों की पड़ताल के दौरान एटीएस को 9 बैंक अकाउंट की जानकारी मिली है। इन खातों से जनवरी 2021 से जून तक 32 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया है। शहर के छह हवाला कारोबारियों की भी जानकारी मिली है जो कानपुर में स्लीपर सेल्स को फाइनेंशियल मजबूत करते थे। तीन करेंसी एक्सचेंज करने वाले भी एटीएस के राडार पर हैं। इन सभी को एटीएस ने अपनी जांच में शामिल किया है। शहर की घनी आबादी में बने कुछ कैफे भी एटीएस की जांच के घेरे में अा गए हैं।

जले मोबाइल से डिटेल मिली

हैदराबाद एफएसएल से मिनहाज के जले मोबाइल की डिटेल भी आ गई है। एटीएस को जिन संपर्को की जानकारी भी नहीं थी, वे संपर्क उनकी जानकारी में आ गए हैं। शहर के लगभग एक दर्जन जमीनों की खरीद फरोख्त करने वाले इन स्लीपर सेल्स के संपर्क में थे। जिनसे मिनहाज बात करता था या कानपुर में रहने के दौरान इन लोगों से कान्टैक्ट मजबूत किए थे। एटीएस सूत्रों की माने तो इस मोबाइल में कोडिंग से कुछ संदेश मिले हैं, जिन्हें डिकोड किया जा रहा है। वहीं मिनहाज और शकील के सोशल मीडिया के संपर्क जब छांटे गए तो कई इंटरनेशनल नाम और उनके साथ उनके पेज पर लाइक और कमेंट भी नजर आए। इन कमेंट्स पर जवाब भी दिया गया यानी जवाब देने वाला भी मिनहाज का बहुत करीबी था।

कमांड ऑफिस बनाने की तैयारी

मिली जानकारी के मुताबिक एटीएस इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि भले ही मिनहाज और पकड़ी गई पूरी टीम ने भले ही बड़ी वारदात को अंजाम अब तक न दिया हो लेकिन उन्होंने कानपुर और लखनऊ को अपना कमांड ऑफिस बनाने की तैयारी कर ली थी। नेपाल और गोरखपुर के उसके संबंध भी सामने आए हैं। इस मोबाइल में कुछ एयर लाइंस से जुड़ी जानकारियां भी एटीएस को मिली हैं। कानपुर के एक प्रोफेसर जिनकी तलाश एटीएस कर रही थी, उनसे भी संपर्क और संबंधों की पुष्टि हुई है। मोबाइल डिटेल से जानकारी मिली है कि ज्यादातर नंबर नाम से नहीं बल्कि संबंधों से फीड थे। किसी का नंबर कानपुर वाले चच्चा तो किसी का नंबर कानपुर वाले बड़े अब्बा, कोई फुफ्फो तो कोई बाजी। हां जिस शहर के संपर्क थे, उस शहर का नाम आगे लिखा जाता था।

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मदद कर जेहाद के रास्ते पर लाते

एटीएस की जांच में ये सामने आया है कि स्लीपर सेल्स की ये जिम्मेदारी थी वह घनी आबादी वाले इलाकों में घूम घूम कर केवल यह तलाश करें कि 14 से 19 साल तक के कितने युवक परेशान हैं? उन पर क्या जुल्म हो रहा है? मुस्लिम होने की वजह से उन्हें किन परेशानियों से जूझना पड़ता है? ऐसे युवकों को मामूली सहारा देकर स्लीपर सेल्स जेहाद के लिए तैयार करते थे। इनके दिमाग में मुल्क के प्रति नफरत और सीमा पार मुल्क को अपना मुल्क मानने की जेहनियत पैदा करते थे। रुपये पैसे की मदद देकर इन्हें समाज में खड़ा करते थे। लॉकडाउन के दौरान स्लीपर सेल्स ने समाज के लोगों की मदद से लोगों में खाना भी बंटवाया। एहसानों के बदले इनसे छोटे काम भी कराए जाते थे। जैसे कागज या पैकेट कहीं दूसरी जगह पहुंचाना। आईडी पर सिम कार्ड लेना या बैंक में खाता खोलना। धीरे धीरे भोले भाले और जरूरतमंद लोग इनके कब्जे में आते चले जाते हैं और होश तब आता था जब इनकी पहचान एजेंसियों को हो जाती थी।

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यूपी में शकील, मुस्तकीम का था नाम

एटीएस सूत्रों के मुताबिक यूपी एटीएस को शकील और मुस्तकीम की जानकारी पांच साल पहले हुई। शकील के संपर्क सैफुल्ला से सामने आए थे। 2017 में सैफुल्ला के एनकाउंटर के बाद एटीएस के पास ये दो नाम आए थे। एनकाउंटर के बाद आका ने इन्हें अंडर ग्राउंड कर दिया था। अयोध्या में नींव पूजन के दौरान भी इनकी उपस्थिति वहां पाई गई थी। उस समय एजेंसी इन पर हाथ डालना चाहती थी लेकिन सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होने की वजह से ये किसी वारदात को अंजाम न दे सके और गोरखपुर होते हुए नेपाल निकल गए थे। इन पर यूथ टेरर को तैयार करने की जिम्मेदारी थी। एटीएस के मुताबिक इनके पकड़े जाने से न जाने कितने परिवारों पर आतंकियों के परिवार की मुहर लगने से बच गई।

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कॉलेज में मिनहाज धार्मिक तकरीरें

लखनऊ में पकड़े गए मिनहाज की पत्नी एक प्राइवेट यूनीवर्सिटी में काम करती हैं। उनके बयान भी एटीएस इंट्रोगेशन रूम में दर्ज किए गए। मिनहाज की पत्नी ने एटीएस को बताया कि दो साल पहले उन्हें मिनहाज की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी हुई थी। जिसके बाद उसने बच्चों को रिश्तेदारी में भेज दिया था। कॉलेज में काम करने के दौरान मिनहाज धार्मिक तकरीरें करता था। इसकी जानकारी जब कॉलेज प्रशासन को हुई तो उसे वार्निग दी गई। इसके बाद भी जब मिनहाज के रंग ढंग नहीं बदले तो उसे कॉलेज से निकाल दिया गया। कानपुर देहात स्थित भोगनीपुर में मिनहाज के रिश्तेदारों के घर भी एटीएस ने छापेमारी की लेकिन सफलता नहीं मिली। इस घर में 70 साल के सीनियर सिटीजन मिले। जानकारी करने पर पता चला कि 20 साल पहले मिनहाज के पिता से वह मिले थे लेकिन उन्हें नहीं पता था कि मिनहाज आतंक की राह पर चल रहा है।

Posted By: Inextlive