सेंट्रल स्टेशन के आउटर व प्लेटफार्मों में अवैध वेंडरिंग आम बात है लेकिन ट्रेन के अंदर अवैध वेंडरिंग का गोरखधंधा पैसेंजर्स के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है. अवैध वेंडरिंग गैंग के आगे रेलवे की कई योजना दम तोड़ चुकी हैं. जिसमें एक योजना रेलमंत्री पीयूष गोयल की शुरू की गई इकोनॉमी मील सर्विस थी. जिसमें ट्राली के माध्यम से ट्रेन में जर्नी करने वाले पैसेंजर्स को उनके कोच में ही खानपान सामग्री मुहैया करानी थी. यह योजना भी कुछ दिनों के बाद ही दम तोड़ गई.

कानपुर (ब्यूरो)। सेंट्रल स्टेशन के आउटर व प्लेटफार्मों में अवैध वेंडरिंग आम बात है, लेकिन ट्रेन के अंदर अवैध वेंडरिंग का गोरखधंधा पैसेंजर्स के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। अवैध वेंडरिंग गैंग के आगे रेलवे की कई योजना दम तोड़ चुकी हैं। जिसमें एक योजना रेलमंत्री पीयूष गोयल की शुरू की गई इकोनॉमी मील सर्विस थी। जिसमें ट्राली के माध्यम से ट्रेन में जर्नी करने वाले पैसेंजर्स को उनके कोच में ही खानपान सामग्री मुहैया करानी थी। यह योजना भी कुछ दिनों के बाद ही दम तोड़ गई। लिहाजा वर्तमान में पैसेंजर्स को मजबूरन अधिक पैसा खर्च कर फूड स्टॉल से खानपान सामग्री खरीदनी पड़ रही है।

आठ ट्राली शुरू की गई थी
आईआरसीटीसी आफिसर्स के मुताबिक, रेलवे के योजना के तहत कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर पिछले साल जून में आठ इकोनॉमी मील ट्राली शुरु कर गई थी। जोकि ट्रेनों के कोच के सामने पैसेंजर्स को खानपान सामग्री बिक्री करती थी। इसमें पैसेंजर्स को ट्रेन से नीचे नहीं उतरने पड़ता था। वह ट्रेन के बैठे-बैठे की खानपान सामग्री खरीद सकते थे। इसमें पैसेंजर्स की समस्या को देखते हुए कम रेट में खानेपीने की सामग्री बिक्री होती थी। सोर्सेस की माने तो ट्राली के चलने के बाद अवैध वेंडरिंग का धंधा चौपट होने लगा। जिसको लेकर गोरखधंधे के बादशाहों ने कुछ आफिसर्स के साथ मिलकर इस योजना को पलीता लगा दिया।

प्लेटफार्म वेंडिंग परमिट का पेच
कानपुर सेंट्रल स्टेशन के एडिशनल कामर्शियल मैनेजर संतोष त्रिपाठी ने बताया कि इकोनॉमी मील ट्राली प्लेटफार्म वेंडिंग परमीशन न होने की वजह से बंद है। हर तीन माह में इसकी परमीशन ली जाती है। योजना शुरु होने के बाद तीन माह तक आईआरसीटीसी से ऑथराइज वेंडर ने इसको चलाया था। दोबारा प्लेटफार्म वेंडिंग परमीशन के लिए किसी ने अप्लाई नहीं किया। यहीं कारण है कि वह बंद पड़ी हैं।

कम पैसे में मिलेगा तो मंहगा कौन खरीदेगा
रेलवे की शुरु की गई इकोनॉमी मील योजना के तहत पैसेंजर्स को 50 रुपए में काम्बो भोजन की थाली मुहैया होती थी। जोकि फूड स्टॉल व अवैध वेंडर्स 60 से 80 रुपए में बिक्री करते हैं। कम पैसे में पैसेंजर्स को खाना उपलब्ध हो रहा हो तो अधिक पैसा खर्च कर कौन खाना खरीदेगा। यहीं कारण रहा कि अवैध वेंडर्स ने इस योजना को चलने की नहीं दिया। वर्तमान में मजबूरन पैसेंजर्स को मंहगा खाना खरीद कर अपनी भूख मिटानी पड़ रही है।

Posted By: Inextlive