एडिशनल एजुकेशन डायरेक्टर एडी माध्यमिक की फेक ईमेल से जारी फेक पैनल से दो फर्जी टीचर्स की ज्वाइनिंग में वेडनसडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में बड़ा खुलासा हुआ है. मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज किदवई नगर में तैनात टीजीटी टीचर विनीता ने यूपी बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी भी की है. इसके अलावा आर्य कन्या इंटर कालेज गोविंद नगर में नियुक्ति पाने वाली पीजीटी टीचर रिक्षा पांडेय 02 मार्च से 25 मार्च तक कॉलेज आई हैै. इस बीच वह मैनेजर से बोर्ड कॉपियों के मूल्यांकन और चुनाव ड्यूटी लगवाने की मांग करती रही. हालांकि 25 मार्च से ही दोनों टीचर गायब हो गईं. एक ने तो अगले दिन रिजाइन भी भेज दिया था.

कानपुर (ब्यूरो)। एडिशनल एजुकेशन डायरेक्टर (एडी) माध्यमिक की फेक ईमेल से जारी फेक पैनल से दो फर्जी टीचर्स की ज्वाइनिंग में वेडनसडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में बड़ा खुलासा हुआ है। मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज किदवई नगर में तैनात टीजीटी टीचर विनीता ने यूपी बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी भी की है। इसके अलावा आर्य कन्या इंटर कालेज गोविंद नगर में नियुक्ति पाने वाली पीजीटी टीचर रिक्षा पांडेय 02 मार्च से 25 मार्च तक कॉलेज आई हैै। इस बीच वह मैनेजर से बोर्ड कॉपियों के मूल्यांकन और चुनाव ड्यूटी लगवाने की मांग करती रही। हालांकि 25 मार्च से ही दोनों टीचर गायब हो गईं। एक ने तो अगले दिन रिजाइन भी भेज दिया था। कमाल की बात ये कि कॉलेज से लेकर डीआईओएस ऑफिस तक में कहीं भी इन टीचर्स का मोबाइल नंबर नहीं है।

ये है पूरा मामला
बताते चलें कि अक्टूबर 2023 में एडी माध्यमिक की फेक ईमेल से डीआईओएस को टीचर्स के नौ नाम भेजे गए थे। जिन्हें माध्यमिक सेलेक्शन बोर्ड से सेलेक्ट बताते हुए कॉलेजों में ज्वाइन कराने के लिए कहा गया था। जिसमें दो टीचरों को नियुक्ति भी मिल गई थी। आचार संहिता लगने के कारण बाकी सात की ज्वाइनिंग नहीं हो पाई थी। बोर्ड से सत्यापन में बताया गया कि उनकी तरफ से कोई नाम नहीं भेजे गए हैं तब मामला खुला। सभी नौ नाम फर्जी होने पर कर्नलगंज थाने में डीआईओएस की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कराई गई। इसके अलावा लापरवाही बरतने में प्रधान सहायक राजन टंडन और वरिष्ठ सहायक सुनील को सस्पेंड कर दिया गया है।

लोकल एड्रेस नहीं बताया
पड़ताल के दौरान मदन मोहन अग्रवाल इंटर कॉलेज किदवई नगर में प्रिंसिपल चुनाव ट्रेनिंग की वजह से स्कूल में नहीं मिली। टीचर्स ने बातचीत में बताया कि विनीता ने दिसंबर में ज्वाइन कर लिया था। वह टीजीटी सोशल साइंस के सब्जेक्ट पर आई थी। आम टीचर्स की तरह ही क्लास 06 से 10वीं तक में अपने सब्जेक्ट की क्लास लेती थी। हालांकि लगभग चार महीने की नौकरी के दौरान उन्होंने किसी से भी अपना लोकल एड्रेस शेयर नहीं किया था। बताते चलें कि इस मामले में टीचर ने दो लाख से ज्यादा सैलरी भी उठा ली थी।

300 किमी दूर का मेडिकल
आर्यकन्या इंटर कालेज में दो मार्च से 25 मार्च तक नौकरी करने वाली पीजीटी रिक्षा पांडेय ने नागरिक शास्त्र सब्जेक्ट में ज्वाइन किया था। हालांकि इनको इस दौरान किसी क्लास की जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। 26 मार्च को रिक्षा ने मैनेजर शुभ कमार वोहरा को मेडिकल ग्राउंड पर दो मई तक का अवकाश मांगा। लीव एप्लीकेशन 26 मार्च को दी गई है और साथ में लगा सर्टिफिकेट ऑफ सिकनेस भी 26 मार्च का ही है, जिसे मिर्जापुर (कानपुर से लगभग 300 किमी दूर) के एक डॉक्टर ने जारी किया है। ऐसे में सवाल है कि एक दिन में मिर्जापुर जाकर मेडिकल सर्टिफिकेट लाना और कालेज टाइमिंग में ही मैनेजर को देना कैसे संभव है। जबकि 25 मार्च तक वह ड्यूटी पर थी। अंदेशा है कि सिकनेस सर्टिफिकेट भी फेक है। इतना ही नहीं रिक्षा की ओर से मैनेजर से चुनाव और बोर्ड एग्जाम की कापियों के मूल्यांकन में ड्यूटी लगवाने की भी मांग की गई थी। वह मैनेजर से अपनी सैलरी जारी करने के लिए भी कहने गई थीं।

डिमांड नहीं तो ज्वाइनिंग कैसे?
आर्यकन्या इंटर कालेज में रिक्षा की ज्वाइनिंग बिना डिमांड के हुई थी। यहां पर नागरिक शास्त्र टीजीटी के दो पद है, जिसमें एक में टीचर कार्यरत हैैं। स्टूडेंट्स कम होने के चलते स्कूल की ओर से दूसरे पद को भरने के लिए बोर्ड को कोई भी डिमांड नहीं भेजी गई थी। रिक्षा का नाम पैनल में आने और नियुुक्ति होने के बाद कालेज एडमिनिस्ट्रेशन ने सत्यापन के लिए जब बोर्ड को लेटर लिखा तब मामले का खुलासा हुआ। मदन मोहन अग्रवाल की विनीता और आर्य कन्या में नियुक्ति पाने वाली रिक्षा 25 मार्च से स्कूल नहीं आई हैैं। दोनों टीचर्स के एक ही दिन से न आने से इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा है कि इन दोनों को इस बात का पता चल गया था कि अब खेल खुलने वाला है।

26 को मेडिकल, 27 को रिजाइन
आर्यकन्या इंटर कालेज में पीजीटी रिक्षा ने 26 मार्च को मैनेजर को मेडिकल लीव के लिए एप्लीकेशन दी और 27 मार्च को स्पीड पोस्ट से मैनेजर के पास रिजाइन आया, जिसमें माता पिता के स्वास्थ्य का हवाला दिया गया है। ऐसे में स्पष्ट है कि मेडिकल देने वाले दिन या उससे पहले ही रिजाइन को स्पीड पोस्ट कर दिया गया था।

ये बात कुछ हजम नहीं हुई
मामले की पड़ताल के दौरान दोनों स्कूल में टीचर्स के मोबाइल नंबर मांगे गए तो वह नहीं मिल सके। मदन मोहन अग्रवाल में मैनेजर और टीचर्स ने नंबर होने से इंकार किया। वहीं, आर्यकन्या इंटर कालेज में प्रिंसिपल और मैनेजर एक दूसरे के पास नंबर होने की बात कहकर टालते रहे। हालांकि किसी टीचर का स्कूल में नौकरी करना और अफसरों के पास मोबाइल नंबर का न होना एक हास्यास्पद बात है। क्योंकि हर कॉलेज में प्रिंसिपल के साथ टीचर्स का एक वाट््सएप गु्रप भी होता है। जिस ग्रुप में जरूरी इंस्ट्रक्शन आते रहते हैं।

Posted By: Inextlive