गर्मी को लेकर केस्को की तैयारियों की पोल खुलकर सामने आ गई है. गर्मी के साथ-साथ बिजली संकट बढ़ता जा रहा है. वहीं बिजली गुल रहने से पानी के लिए लोगों को घरों से बाहर निकलना पड़ रहा है. ओवरलोडिंग के चलते ट्रांसफार्मर डैमेज होने की रफ्तार दोगुनी से अधिक हो गई है. इसकी वजह से कानपुराइट्स को रात-रात भर पॉवर क्राइसिस का सामना करना पड़ा. वहीं एलटी एचटी लाइन टूटने सीटी फटने आदि वजहों से भी कानपुराइट्स को डेली घंटों पॉवर व ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस से जूझना पड़ रहा है.

कानपुर (ब्यूरो)। गर्मी को लेकर केस्को की तैयारियों की पोल खुलकर सामने आ गई है। गर्मी के साथ-साथ बिजली संकट बढ़ता जा रहा है। वहीं बिजली गुल रहने से पानी के लिए लोगों को घरों से बाहर निकलना पड़ रहा है। ओवरलोडिंग के चलते ट्रांसफार्मर डैमेज होने की रफ्तार दोगुनी से अधिक हो गई है। इसकी वजह से कानपुराइट्स को रात-रात भर पॉवर क्राइसिस का सामना करना पड़ा। वहीं एलटी, एचटी लाइन टूटने, सीटी फटने आदि वजहों से भी कानपुराइट्स को डेली घंटों पॉवर व ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस से जूझना पड़ रहा है।

और ज्यादा होती रफ्तार
केस्को ऑफिसर्स के मुताबिक करंट फाइनेंशियल के पहले महीने अप्रैल में 16 ट्रांसफार्मर डैमेज हुए थे। वहीं मई में 35 ट्रांसफार्मर जल गए, यानि मई में ट्रांसफार्मर डैमेज होने की स्पीड दोगुने से अधिक है.ये हाल तब है जब अभी पिछले वर्ष के बराबर पॉवर की डिमांड नहीं पहुंची है। पिछले वर्ष पॉवर लोड 750 मेगावॉट को भी पार कर गया था, वहीं इस साल अब तक पॉवर लोड 700

मेगावाट से कम बना हुआ है।
लोगों को कहना है कि अगर पॉवर की डिमांड पिछले वर्ष के बराबर पहुंचती तो ट्रांसफॉर्मर डैमेज होने की संख्या और भी बढ़ जाती है। इसी वजह से बर्रा 2, बिरहना रोड मेडिकल मार्केट, शारदा नगर आदि मोहल्लों में रहने वालों को जबरदस्त बिजली संकट का सामना करना पड़ा। रात भर लाइट गायब रहने से जहां लोग सो नहीं सके, वहीं पानी संकट से अलग से जूझना पड़ा।

डैमेज होने की रफ्तार दे रही गवाही
ट्रांसफार्मर डैमेज होने की एक नहीं कई वजह हैं। इसमें ट्रांसफॉर्मर्स में अर्थिंग का अभाव भी शामिल हैं। पिछले वर्ष दर्जनों मोहल्लों के लोगों को ट्रांसफार्मर्स में दम तोड़ चुकी अर्थिंग के कारण लो वोल्टेज की समस्या से जूझना पड़ा। तत्कालीन केस्को एमडी अनिल ढींगरा के आदेश के बावजूद ट्रांसफार्मर्स में इस वर्ष भी अर्थिंग नहीं की जा सकी है। इसके अलावा ओवरलोडिंग की समस्या, लोड बैलेंसिंग न होने, लीकेज ऑयल आदि वजहों से ट्रांसफार्मर डैमेज हुए हैं। ये सब कार्य गर्मी से पहले कर लिए जाने चाहिए, लेकिन ट्रांसफार्मर डैमेज होने दोगुने से अधिक रफ्तार बता रही है कि लापरवाही बरती गई।

22-22 घंटे तक पॉवर क्राइसिस
एक दर्जन से अधिक ट्रांसफार्मर में आई खराबी साइट पर ही सही की गई। इसके लिए मौके पर टेस्ट टीम भेजी गई है। ट्रांसफार्मर की टेस्टिंग में जो ट्रांसफार्मर फेल हुए, वहां रहने वालों को और अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। क्योंकि पहले टेस्ट टीम आने फिर टेस्टिंग और उनके डैमेज डिक्लेयर करने के बाद ही स्टोर से दूसरा ट्रांसफार्मर रिलीज करने का प्रॉसेज शुरू किया गया। इस बीच लोगों के पास बिजली-पानी संकट से जूझने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं बचा था। लोग ट्रांसफॉर्मर डैमेज होने, अंडरग्र्राउंड केबिल फाल्ट होने आदि वजहों से 22-22 घंटे तक पॉवर क्राइसिस से जूझे, लेकिन कागजों पर केस्को की पॉवर सप्लाई मेेनटेन है। केस्को डेटा की मानें तो डेली 23 घंटे से अधिक पॉवर सप्लाई की जा रही है।

मई में अधिक ट्रांसफॉर्मर डैमेज हुए हैं, लेकिन उनके मेंटीनेंस में कोई लापरवाही नहीं बरती गई। डैमेज ट्रांसफॉर्मर को जल्द से जल्द बदला गया है।
ललित कृष्णा, पीआरओ, केस्को

ये है केस्को का दावा
डेट-- पॉवर लोड -एवरेज सप्लाई
31 मई-- 582-- 23.41 घंटे
30 मई- 561-- 23.07 घंटे
29 मई-- 591-- 23.48 घंटे
28 मई-- 503-- 23.46 घंटे
25 मई-- 638-- 23.38 घंटे
24 मई-- 670-- 23.40 घंटे
23 मई-- 671-- 23.40 घंटे

Posted By: Inextlive