बढ़ती आतंकी गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को हाईटेक किया जा रहा है. इसी दिशा में यूपी-एसटीएफ के मुख्यालय में जेन कंटनेर ट्यूबुलर फायरिंग रेंज लाई गई है. जिससे एसटीएफ कमांडो को अचूक निशाने की प्रैक्टिस के लिए शूटिंग रेंज खाली होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. मुख्यालय पहुंची मोबाइल शूटिंग रेंज पूरी तरह से हाईटेक है और एक कंटनेर के अंदर बनाई गई है. इसके अंदर छोटे हथियारों के साथ लाइव इंडोर फायरिंग प्रैक्टिस की जाती है. 40 फीट का ये कंटेनर पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड है. अब एसटीएफ के कमांडों इसे पोर्टेबल शूटिंग रेंज में कभी भी अपने फायरिंग कौशल का परीक्षण कर सकेंगे.

कानपुर (ब्यूरो) एसटीएफ, एटीएस, एनआईए को तकनीकी दृष्टि से मजबूत करने की योजना है। विदेशी पुलिस की तर्ज पर हाईटेक वेपंस जिसमें पस्टल, एके-47, इंसास, एमपी-5 और कार्बाइन मशीन गन एसटीएफ की आर्मरी में शामिल किए गए हैं। हथियारों को इस जखीरे में 30 राउंड की अमेरिकन पिस्टल भी शामिल की गई है।

कहीं भी ले जा सकते
यूपी एसटीएफ के कमांडोज के लिए यूपी सरकार ने फ्रांस की जेन कंपनी से कंटेनर ट्यूबुलर फायरिंग रेंज को 80 लाख रुपये में खरीदा है। एसटीएफ अधिकारियों की मानें तो इससे फायरिंग रेंज की समस्या का समाधान भी होगा। इसके पहले दिल्ली में सीआईएसएफ को कंटेनर ट्यूबुलर फायरिंग रेंज देकर हाईटेक किया गया था। बता दें कि एसटीएफ जवानों को अपना निशाना मजबूत करने के लिए हर महीने फायरिंग प्रैक्टिस करनी पड़ती है। लेकिन अक्सर शूटिंग रेंज खाली न होने से फायरिंग प्रैक्टिस में बाधा पड़ जाती है। लेकिन कंटेनर ट्यूबलर फायरिंग रेंज से यह समस्या दूर हो गई है। सबसे बड़ी बात यह मोबाइल है। जरूरत के मुताबिक इसे कहीं भी ले जाया सकता है।

हर शॉट की मॉनीटरिंग
कमांडोज के साथ साथ सीनियर ऑफिसर्स भी इस पर प्रैक्टिस कर सकेंगे। प्रैक्टिस का पूरा रिकॉर्ड मेनटेन किया जाएगा। गोपनीयता बरकरार रखने के लिए इस फायरिंग रेंज पर दूसरे फोर्स के जवान प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि बाहर बैठा कंट्रोलर तभी कमांड देगा जब कमांडो पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। हर शॉट की पूरी तरह से मॉनीटरिंग होगी। अगर शॉट में कोई कमी पाई जाएगी तो कमांडो को चेतावनी देकर ठीक कराया जाएगा।

ट्यूबुलर फायरिंग रेंज से जवानों का निशाना और भी सटीक होगा। बड़े ऑपरेशंस के दौरान इससे फायदा मिलेगा। वहीं प्रैक्टिस में अब कोई बाधा नहीं होगी।
घनश्याम यादव, एसटीएफ अधिकारी

क्या हैं इसकी खूबियां
- -40 फीट का ये कंटेनर पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड है। फ्रांस की कंपनी से इसे 80 लाख रुपए में खरीदा गया है।
-कमांडोज की सुविधा के मुताबिक, कंटनेर में स्टैैंडिंग पोजीशन, नीलिंग पोजीशन और लाइंग पोजीशन में एडजस्ट किया जा सकता है।
- केबिन को छोटा-बड़ा भी किया जा सकता है। इस कंटेनर फायरिंग रेंज में एक बार में दो कमांडो प्रैक्टिस कर सकते हैैं।
- डिस्टेंस एडजस्ट की जा सकती है। जब तक कमांडो पूरी तरह से तैयार नहीं होगा उसका वेपन वहीं रुक जाएगा। धोखे का कोई काम नहीं होगा
- ट्यूबलर फायरिंग रेंज एक स्मार्ट टारगेट सिस्टम से लैस है जो एक्यूरेसी के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से स्टोर कर बनाए रखता है।
- यह ट्यूबलर बूथ फायरप्रूफ, एंटी रिकोचिट बुलेट ट्रैप मैटेरियल और स्मार्ट टारगेट प्रणाली के साथ बख्तरबंद स्टील बट के प्रिंसिपल पर काम करता है।

Posted By: Inextlive