बूथ के अंदर एटीएम मशीन का शटर रोक कर कभी चिमटे से रुपये निकालने और कभी नो पेमेंट करके बैैंक को चूना लगाने वाले दो शातिरों को नौबस्ता पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है. पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 56 एटीएम कार्ड बरामद किए. दोनों आरोपियों के बैैंक अकाउंट में जमा 70 हजार रुपये पुलिस ने फ्रीज कराए हैैं. पुलिस के मुताबिक गैैंग के शातिरों को नौबस्ता पुलिस पहले ही जेल भेज चुकी है. पूछताछ में दोनों ने पुलिस को बताया कि वे रूरल एरियाज ग्रामीणों को 5 हजार रुपये महीने का लालच देकर उनके एटीएम कार्ड ले लेते थे.

कानपुर (ब्यूरो) पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों में पहले का नाम अतुल कुमार है और वह हमीरपुर का रहने वाला है जबकि दूसरे का नाम सु्मित पाल है और वह जालौन का रहने वाला है। पुलिस ने दोनों को नौबस्ता थाना क्षेत्र में तब दबोचा जब वह एक और एटीएम को हैक करने की फिराक में थे। दोनों शातिरों के पिता किसान हैं। पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि अपनी मौज मस्ती के लिये इस ठगी के पैसे का इस्तेमाल करते थे। उनके बैंक एकाउंट में 70 हजार रुपये मिले जिसे टीम ने फ्रीज करा दिया। इसके अलावा करीब चार लाख रुपये के ट्रांजेक्शन के भी प्रमाण मिले हैं। दोनों अभियुक्त बीते छह माह से वारदातों को अंजाम दे रहे थे।

चकेरी निवासी गुरू से सीखा खेल
आमतौर पर चिमटे का इस्तेमाल रोटी बनाने के दौैरान किया जाता है। पुलिस हिरासत में अतुल और सुमित ने चिमटे का जो खेल बताया, उससे पुलिस कर्मियों के पैरों तले जमीन खिसक गई। दोनों ने बताया कि चकेरी निवासी गुरू जी ने उन्हें चिमटा फंसाकर शटर को रोकने की कला सिखाई थी। इस तरह की ठगी में आम आदमी की जगह बैैंक का रुपये जाता है, इस वजह से पुलिस भी ध्यान नहीं देती थी।

ऐसे देते थे वारदात को अंजाम
दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे बैग में चिमटा लेकर अपनी पहचान छिपाते हुए एटीएम बूथ में घुसते थे। पहले से ही किराए पर लिए एटीएम कार्ड उनके पास होते थे। कार्ड ट्रे में इनसर्ट करने के बाद रुपये निकालने का प्रॉसेस करते थे। इसी बीच शटर खुल जाता था। आरोपी शटर में एक चिमटा फंसा देते थे, जबकि दूसरे चिमटे को शटर के अंदर डालकर करेंसी ट्रे से रुपये निकाल लेते थे। कुछ एटीएम मशीनों में करेंसी ट्रे दूर होती थी, इस वजह से चिमटा वहां तक नहीं पहुंच पाता था। दूसरा शटर बंद न होने की वजह से ट्रांजेक्शन सक्सेज नहीं हो पाता था और शातिर बैैंक को नॉट पेमेंट का मैसेज भेज देते थे। ऐसे हालात में जो रुपये निकलते थे उसका नुकसान बैैंक को होता था।

Posted By: Inextlive