स्वास्थ्य सेवा के नाम पर मरीजों को इलाज के बजाए मौत का इंतजाम हो गया है. यह हालात इस लिए बने कि सिटी में चल रही एंबुलेंसों में करीब 150 से अधिक ऐसी एंबुलेंस सडक़ पर दौड़ रही हैैं जो अनफिट हैैं. ऐसे एम्बुलेंस चालकों अथवा उसके मालिकों ने आरटीओ में एंबुलेंस का फिटनेस टेस्ट कराना जरूरी नहीं समझा. अब ऐसा हालात में तेज रफ्तार में जा रही एंबुलेंस अगर अनियंत्रित हो जाए तो मरीज तो जान से जाएगा ही उसके साथ चल रही अटेंडेंट की भी जिंदगी खतरे में आ जाएगी

कानपुर(ब्यूरो)। स्वास्थ्य सेवा के नाम पर मरीजों को इलाज के बजाए मौत का इंतजाम हो गया है। यह हालात इस लिए बने कि सिटी में चल रही एंबुलेंसों में करीब 150 से अधिक ऐसी एंबुलेंस सडक़ पर दौड़ रही हैैं जो अनफिट हैैं। ऐसे एम्बुलेंस चालकों अथवा उसके मालिकों ने आरटीओ में एंबुलेंस का फिटनेस टेस्ट कराना जरूरी नहीं समझा। अब ऐसा हालात में तेज रफ्तार में जा रही एंबुलेंस अगर अनियंत्रित हो जाए तो मरीज तो जान से जाएगा ही उसके साथ चल रही अटेंडेंट की भी जिंदगी खतरे में आ जाएगी। खास बात यह है कि आरटीओ की तरफ से इन अनफिट एंबुलेंस को नोटिस देकर फिटनेस के लिए बुलाया भी गया लेकिन उस नोटिस की भी परवाह नहीं की गई। सब सवाल उठता है कि आरटीओ इन जानलेवा एंबुलेंस पर नोटिस के बाद क्या कार्रवाई करेगा।

नामी हॉस्पिटल की एंबुलेंस भी
सिटी की सडक़ों पर दौड़ रही अनफिट एम्बुलेंस में उन हॉस्पिटल का भी नाम है। जो मरीजों के बेस्ट ट्रीटमेंट के साथ उनको बेस्ट फैसेलिटीज मुहैया कराने का दावा करते है। सिटी के ऐसे टॉप पांच हॉस्पिटल की एक दर्जन से अधिक एम्बुलेंस अनफिट व्हीकल की लिस्ट में है। बड़ी बात यह है कि आरटीओ ने इन हॉस्पिटल को नोटिस भी दी लेकिन उसको भी इन्होंने नजरअंदाज कर दिया।

आउटर से मरीज लाए जाते
कल्याणपुर शिवली रोड में सैकड़ों की संख्या में खुले हॉस्पिटल के नाम पर दर्ज दर्जनों एंबुलेंस की सालों से फिटनेस नहीं हुई है। ऐसे में सडक़ पर इनका चलना &यमराज&य से कम नहीं हैं। इन एंबुलेंस से सिटी के आउटर से मरीजों को शहर के बड़े अस्पताल में लाने का काम होता है। ग्रामीण इलाकों से यह एम्बुलेंस पहले मरीज को दुकानों में चल रहे नर्सिंगहोम ले जाती है। यहां से रिफर करने पर मरीज को सिटी के बड़े शहरों में इन एंबुलेंस से ही ट्रांसफर किया जाता है।

सरकारी विभागों की भी एंबुलेंस
आरटीओ में रजिस्टर्ड 447 एंबुलेंस में लगभग 152 एंबुलेंस अनफिट है। किसी एंबुलेंस की छह माह तो किसी की पांच साल से फिटनेस नहीं हुई हैं। अनफिट एंबुलेंस में सिटी के सरकारी विभाग की एंबुलेंस भी हैैं। जिसमें यूनिवर्सिटी, कैंट बोर्ड, पुलिस डिपार्टमेंट के नाम रजिस्टर्ड एम्बुलेंस भी हैं। जिनकी फिटनेस पांच-पांच सालों से नहीं कराई गई है। यह एम्बुलेंस सडक़ों पर चल रही है या फिर इनका अस्तित्व खत्म हो चुका है। इसकी भी जानकारी किसी को नहीं हैं।

फिटनेस में इनकी होती जांच
- एंबुलेंस के डाक्यूमेंट चेक होते हैं
- एंबुलेंस की टेक्निकल जांच की जाती है
- साइड, बैक व फ्रंट लाइट की जांच होती है
- एंबुलेंस में रेडियम टेप की भी जांच होती है
- एंबुलेंस के के टेक्निकल पार्टस चेक होता है
- एंबुलेंस की रियल स्थिति देख कर जांच की जाती है

इनकी एंबुलेंस भी अनफिट
2 - रामा हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर
1 - मधुराज नर्सिंग
1 - महाराणा प्रताप डेंटल
2 - रजनी हॉस्पिटल
2 - विकास डाग्नोस्टिक सेंटर
2 - वेदांता हॉस्पिटल
2 - रतनदीप हॉस्पिटल

&& अनफिट एंबुलेंस को चिन्हित किया गया है। सिटी में रजिस्टर्ड एंबुलेंस में 152 एंबुलेंस अनफिट है। नोटिस जारी होने के बावजूद भी जो एंबुलेंस से मरीज ढो रहे हैं। कोई घटना होने पर वह स्वयं जिम्मेदार होंगे.&य&य
राजेश सिंह, आरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive