Kanpur:सिटी में कंटेजियस वॉटर की वजह से होने वाली बीमारियों का हमला.हॉस्पिटल्स की ओपीडी में पांच गुना पेशेंट्स बढ़े. हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट अवेयरनेस कैम्प लगाने शुरू किए


जीवन छोड़ा ही नहींकहते हैं जल ही जीवन है। लेकिन, मौसम की मार और जलकल विभाग की लापरवाही ने जल में जीवन छोड़ा ही नहीं है। इस वजह से सिटी में जल-जनित बीमारियों ने हमला बोल दिया है। हैलट, उर्सला के कंटेजियस डिजीज डिपार्टमेंट्स में आने वाले पेशेंट्स की संख्या लगभग पांच गुना बढ़ गई है। इसमें टायफाइड, कॉलरा, गेस्ट्रोइनट्राइटिस और फूड प्वॉइजनिंग जैसी बीमारियां मुख्य हैं।हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट


हॉस्पिटल्स में बदलते मौसम में जल जनित बीमारियों के बढऩे पर हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट हो गया है। सीएमओ डॉ। आरपी यादव ने बताया कि सिटी के अंदर और सिटी से जुड़े हुए एरियाज में मौसमी बीमारियों से बचने के लिए स्पेशल हेल्थ चेकअप कैम्प शुरू किए गए हैं। उन्होंने बताया कि ये सभी बीमारियां कंटैमिनेटेड वॉटर कंजम्पशन की वजह से ही हो रही हैं। इसलिए पब्लिक को जल जनित बीमारियों से अवेयर करने के लिए अवेयरनेस कैम्प भी ऑर्गनाइज किए जाएंगे।बच्चे हैं सॉफ्ट टारगेट

डॉ। सीएस गांधी के मुताबिक आजकल का टेम्परेचर और एटमॉस्फियर पानी में पनपने वाले बैक्टीरिया के लिए सपोर्टिव है। और इन बैक्टीरिया का सबसे सॉफ्ट टारगेट छोटे बच्चे बन रहे हैं। क्योंकि उनकी इम्यूनिटी ज्यादा स्ट्रांग नहीं होती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को बहुत ही साफ-सुथरे माहौल में रखा जाए। डॉ। गांधी के मुताबिक बच्चों में ही ज्वाइंडिस, टायफाइड और कॉलरा जैसी बीमारियों की प्रॉब्लम सबसे ज्यादा सामने आ रही है।साफ पानी पिएं, हाथ जरूर धोएंउर्सला हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ। शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि इस मौसम में बीमारियां हम लोगों के आसपास ही रहती हैं.  इनसे बचने के लिए हम सभी को थोड़ी सावधानी रखने की जरूरत है। सिर्फ दूषित पानी ही नहीं, एटमॉस्फियर की हवा भी नुकसान पहुंचा रही है। ऐसे मौसम में बैक्टीरिया की मात्रा हवा में काफी ज्यादा रहती है जो हमारे हाथों में लग जाते हैं। फिर जब बिना हाथ धोए हम कुछ खाते हैं तो मुंह के रास्ते ये बॉडी के अंदर आसानी से पहुंच जाते हैं। यानि, न सिर्फ पानी उबाल और छानकर पीना चाहिए, बल्कि  कुछ भी खाने से पहले हाथ जरूर धोना चाहिए। टायफाइड-ये सालमोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है।-इस बीमारी में धीरे-धीरे फीवर बढ़ता है।-बॉडी में वीकनेस और पसीने में अजीब सी स्मेल आनी शुरू हो जाती है।-तीसरे हफ्ते में आंतों में टायफाइड अल्सर बन जाता है, जिसकी वजह से मुंह का टेस्ट खराब होने लगता है और वॉमेटिंग होने लगती हैं।

-यदि कोई बुखार 8-9 दिन से ज्यादा रहे तो फौरन विडाल टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर ये टेस्ट पॉजिटिव आता है तो टायफाइड की पुष्टि हो जाती है।-शाम होने पर बुखार बढ़ता है।-थोड़ी-थोड़ी देर में वॉमेटिंग आती हैं-मुंह से खून भी आता है।-वीकनेस की वजह से चक्कर आने लगते हैं।-भूख नहीं लगती है, वजन कम होने लगता है।-बॉडी इनएक्टिव हो जाती है।क्या करें-साफ-सफाई का ध्यान रखें-फीवर को कंट्रोल करने के लिए ठंडे पानी की पट्टी करनी चाहिए।-पट्टी न करने पर मेनइनजाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।-ऑयली फूड बिल्कुल न खाएं।-आराम करें और ग्लूकोज का सेवन करें।-सोडियम और पोटेशियम बैलेंस बनाने के लिए इलेक्ट्राल का सेवन करें।कॉलरा- ये वीप्रियो कालरी नाम के बैक्टीरिया से होता है।-इसमें कई-कई लूज मोशन हो जाते हैं।-इंफेक्शन होने से वॉमेटिंग शुरू हो जाती है।-सीवियर डी-हाईड्रेशन हो जाता है, पानी की कमी होने लगती है।-हाथ-पैरों में एठन होने लगती है।-मसल्स वीक हो जाती हैं और वीकनेस होती है।-बीपी लो हो जाता है, ध्यान न देने पर मौत भी हो सकती है।-पेट में एठन और दर्द होता है। बुखार आता है। डाइजेस्ट पॉवर कम हो जाती है।ज्वाइंडिस
-ये इंफेक्टेड और कंटेमिनेटेड वॉटर के पीने से होता है।-इस बीमारी में वॉमेटिंग आती है।-आंखें पीली होने लगती हैं।-खून की कमी, नाखून पीले होना, स्टूल का रंग हल्का होना और यूरिन में पीलापन होने लगता है। -ज्वाइंडिस होने पर एसजीपीटी, एसजीओटी और सीरम बिलिरूबिन का टेस्ट करा लेना चाहिए।फूड प्वॉइजनिंगडॉ। हेमंत मोहन के मुताबिक शादी-पार्टी में मिलावटी घी और निम्न स्तर के ऑयल से बने फूड प्रोडक्ट्स को खाने से आंतों में भोजन का प्यूट्रीफिकेशन होने लगता है। इसी वजह से वॉमेटिंग और लूज मोशन होने लगते हैं। ऐसा होने पर वीकनेस, फीवर और फ्लूड लॉस होने लगता है।इन बातों का रखें ध्यान-कटे हुए फल न खाएं।-बाहर से पाउच का पानी न पिए।-अच्छा होगा कि पानी उबाल कर पिए।-जिंक, पोटेशियम, सोडियम कैल्शियम युक्त डाइट लेनी चाहिए।-ज्यादा मात्रा में लेकिन साफ और स्वच्छ पानी पिएं।-डीएनएस 5 परसेंट का घोल पीना चाहिए।

Posted By: Inextlive