पांच सालों में 50000 से ज्यादा पैरामिलिट्री पर्सनल्स छोड़ चुके हैं अपनी job.

एक ओर जहां देश में बॉर्डर पर टेंशन बढ़ रही है तो वहीं माओवादियों ने भी सरकार की परेशानी को दोगुना कर दिया है। इन सबके बीच नौकरी से अलविदा कहते पैरामिलिट्री पर्सनल्स ने शायद चिंता को और बढ़ा दिया है। गौर करने वाली बात हैं बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के पर्सनल्स अपनी जॉब छोडऩे में सबसे आगे हैं।
Duty में नहीं satisfaction
पिछले पांच सालों में 7.26 लाख पैरामिलिट्री पर्सनल्स में से 51, 201 पैरामिलिट्री पर्सनल्स ने सिविक जॉब्स को पैरामिलिट्री फोर्स की जगह सेलेक्ट किया है। हैरानी की बात है कि पर्सनल्स का जॉब छोडऩे का यह डाटा असम राइफल्स की टोटल स्ट्रेंथ के बराबर है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स की ओर से सभी डायरेक्टर्स को भेजे गए डॉक्यूमेंट्स में इस बात को चिंताजनक बताते हुए इस पर एक्शन लेने की बात कही गई है। बताया जा रहा है कि पर्सनल्स जॉब से खुश नहीं है और ऐसे में उन्हें नौकरी छोडऩा ही बेस्ट ऑप्शन नजर आता है।

डिस्टैस्फिक्शन लेवल इतना ज्यादा है कि 2005 के 190 पर्सनल्स में से 30 पर्सनल्स अपनी जॉब छोड़ चुके हैं.  अब ऑफिसर्स भी अपनी नौकरी छोडऩे से पीछे नहीं हट रहे हैं। यहां तक कि वो उस अमाउंट का भी पूरा पेमेंट करने से पीछे नहीं हट रहे हैं जो उन पर ट्रेनिंग के समय खर्च किया गया है। एग्जाम्पल के तौर पर सीआरपीएफ के किसी भी ऑफिसर या पर्सनल को अगर प्राइवेट सेक्टर की कोई जॉब ऑफर होती है तो वो एक तय समय से पहले ही पैरामिलिट्री फोर्सेज को अलविदा कह देते हैं। इसके लिए वो दो से तीन लाख रुपए तक अदा करने को तैयार हैं। फॉर्मर बीएसफ डायरेक्टर जनरल प्रकाश सिंह ने बताया कि पैरामिलिट्री फोर्सेज अब ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स लेकर पॉलिटिशयंस तक हर किसी के लिए एक ईजी टारगेट बन गई हैं.

Why officers are leaving

StagnationLack of respect among peersExtremely difficult postingsLack of enough quarters for families at HQs

Why jawans are leaving

Not enough cost to sleepNot enough vehicles to pick & drop them at duty locationsStagnationLack fo respect among preesNo family timeNo cellphone facility at field stations 

Posted By: Inextlive